December 26, 2024

Economy : श्रीलंका की तरह नेपाल की भी डगमगाने लगी अर्थव्यवस्था, केंद्रीय बैंक ने कर्ज न देने का दिया निर्देश

download (2)

नई दिल्ली,08अप्रैल(इ खबर टुडे)। श्रीलंका के बाद नेपाल की भी अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी है। नेपाल का केंद्रीय बैंक नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी) अर्थव्यवस्था को बचाने में जुट गया है। एनआरबी ने अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर नियंत्रण लगाने को कहा है। वहीं बैंको को वाहनों समेत गैर जरूरी चीजों के लिए कर्ज न देने का निर्देश दिया है।

एनआरबी ने 27 वाणिज्यिक बैंकों के साथ हुई बैठक में बैंकों को कर्ज न देने का निर्देश दिया है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय बैंक का ये फैसला डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने की खातिर है। इसी तरह नेपाल आयातित पेट्रोलियम उत्पादों के लिए भारत को हर महीने 24 से 29 अरब रुपये का भुगतान करता है।

नेपाली केंद्रीय बैंक का सुझाव है कि वित्त मंत्रालय इस रकम में कटौती कर 12 से 13 अरब रूपये करे। वहीं केंद्रीय बैंक के सुझाव पर नेपाल के तेल निगम के कार्यवाहक प्रबंध निदेशक नागेंद्र शाह ने कहा है कि अगर सुझाव मान लिया जाता है तो पूरे नेपाल में पेट्रोल-डीजल का गंभीर संकट हो सकता है। निगम ने जुलाई 2021 तक हर महीने 14 अरब डॉलर का खर्च ईंधन पर किया। कीमतों में बढ़ोतरी के कारण खर्च दोगुना हो गया है।

वाहनों का आयात घटेगा तो ईंधन बचेगा
केंद्रीय बैंक के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष के पहले सात महीने में भुगतान घाटा 2.07 अरब डॉलर है। यही घाटा पिछले वर्ष इसी समय 817.6 लाख डॉलर था। हिमालयम बैंक के सीईओ अशोक राणा ने बताया है कि केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि गैर जरूरी चीजें जिसमें वाहन भी शामिल हैं उसके लिए कर्ज न दिया जाए। बैंक दिशा-निर्देशों का पालन भी कर रहे हैं। केंद्रीय बैंक का कहना है कि वाहनों का आयात कम होगा तो ईंधन की भी खपत कम होगी।

विदेशी मुद्रा भंडारण में भी गिरावट
केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार फरवरी के मध्य तक नेपाल के पास मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार में 17 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 के जुलाई मध्य में नेपाल के पास 11.75 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था जो फरवरी में घटकर 9.75 अरब डॉलर रह गया है। बैंक ने कहा है कि उसके पास इतना ही विदेशी भंडार बचा है जिससे 6.7 माह तक ही जरूरी वस्तुओं का आयात संभव है, जबिक बैक का लक्ष्य सात माह होता है।

पर्यटन ठप होने से खतरा बढ़ा
बैंक अधिकारियों की मानें तो विदेशी मुद्रा कोष में पांच फीसदी योगदान पर्यटन क्षेत्र का था। कोरोना महामारी के कारण पर्यटन क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हआ है जिसके कारण आर्थिक क्षति बढ़ी है। आयात बढ़ने और विदेशी मुद्रा घटने से इस बार व्यापार घाटा 207 करोड़ डॉलर का हो गया है। पिछले साल इसी अवधि में यह घाटा 81 करोड़ डॉलर था। केंद्रीय बैक का कहना है कि बढ़ता व्यापार घाटा आर्थिक ढांचे के लिए खतरनाक हो सकता है।

आर्थिक संकट को लेकर आशंकित
एनआरबी के प्रवक्ता गुनाखर भट्ट का कहना है कि हम देश में जल्द आने वाले आर्थिक संकट को लेकर आशंकित हैं। इसी को ध्यान में रखकर तत्काल गैर जरूरी वस्तुओं के आयात पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है। देश की अर्थव्यवस्था को बचाना सभी की जिम्मेदारी है। ऐसे में बैंको को इस दिशा में हर हाल में गंभीरता बरतनी होगी। कोरोना महामारी के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अर्थव्यवस्था को खतरे की गुंजाइश बढ़ गई है।

विदेशी भंडार और नेपाल का संबंध
एनआरबी के पूर्व एक्जक्यूटिव डायरेक्टर नर बहादुर थापा का कहना है कि नेपाल खाने, कपड़े, वाहनों और उद्योगों के लिए कच्चे माल की खरीदारी के लिए सबसे ज्यादा खर्च विदेशी मुद्रा भंडार से करता है। वर्ष 2020 में तीन माह लॉकडाउन रहा। सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पांच फीसदी की ब्याज दर पर 153 अरब रुपये का कर्ज बांटा लेकिन लोगों ने पैसे का इस्तेमाल जमीन खरीदने और शेयर में किया। अब नतीजा सामने है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds