हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेते समय रखें इन बातों का ध्यान, मेडिकल इमरजेंसी में आएगी काम
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Keep these points in mind when taking a health insurance plan, it will be useful in a medical emergency.
Health insurance:हेल्थ इंश्योरेंस मेडिकल इमरजेंसी में बचत को सुरक्षित रखता है। हालांकि पॉलिसी लेते वक्त कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रखना चाहिए। ताकि क्लेम करने पर इलाज पर खर्च अधिकतम राशि मिले। जानते हैं पॉलिसी लेते वक्त कौन सी गलतियां हो सकती हैं, उनसे कैसे बच सकते हैं।
- नो रूम रेंट कैपिंगः इंश्योरेंस में रूम रेंट कैपिंग नहीं होनी चाहिए। अगर लिमिट है तो इससे ऊपर खर्च राशि का बिल खुद देना होगा। इसलिए पॉलिसी लेते समय इस बात का ध्यान रखें.
- नो को-पेमेंटः 80:20 का को-पेमेंट है। यानी कुल बिल का 80% इंश्योरेंस कंपनी देगी। 20% खुद भरना होगा। नो को-पेमेंट वाली पॉलिसी चुनें। ताकि आपको पूरा पेमेंट मिल सके.
- नो सब लिमिट को ध्यान में रखकर इंश्योरेंस करवा: कुछ इंश्योरेंस सब लिमिट के साथ आते हैं। जैसे कैंसर के इलाज के लिए अधिकतम 2 लाख का ही दावा कर सकते हैं। ऐसे में नो सब लिमिट वाला इंश्योरेंस चुनें। जिससे आपको खर्च की अधिक लिमिट मिलेगी
- क्या पीपीई व उपकरण कवर हैं? पीपीई ध्यान रखने योग्य
किट, सीरिंज, नर्स का खर्च बिल का 5-10% होता है। ऐसे में सुनिश्चित करें कि आपके इंश्योरेंस में यह कवर हो। अगर जिस कंपनी से आप ले रहे हो उसमें यह नहीं दिया जाता है तो दूसरी कंपनी चुने।
- दोबारा बेनिफिटः यदि कवर 10 लाख है।
बीमारी पर 10 लाख क्लेम किया गया। उसी साल दोबारा बीमारी होने पर फिर 10 लाख कवर मिले। इसे भी ध्यान में रखते हुए इंश्योरेंस करवाए
- 2-3 वर्ष से ज्यादा न हो वेटिंग पीरियडः
प्रतीक्षा अवधि जितनी कम होगी उतना ही बेहतर पॉलिसी होती है। ये 2-3 वर्ष से अधिक न हो।
- नो क्लेम बोनस 50% या कवर के 2 गुना तकः यह देखें कि क्या मूल कवर के दो गुना तक का नो क्लेम बोनस क्लेम कर सकते हैं। या नहीं कर सकते।
- हॉस्पिटल में भर्ती होने से पूर्व और पश्चात 60 दिनों का बीमा कवरः पॉलिसी में देखें कि क्या आप अस्पताल में भर्ती होने के दोनों ओर कम से कम 60 दिनों के लिए बीमा कवर हैं।
- बीमारी पर 10 लाख क्लेम किया गया। उसी साल दोबारा बीमारी होने पर फिर 10 लाख कवर मिले। इसे भी ध्यान में रखते हुए इंश्योरेंस करवाए
- प्रतीक्षा अवधि जितनी कम होगी उतना ही बेहतर पॉलिसी होती है। ये 2-3 वर्ष से अधिक न हो।