November 23, 2024

Rani Kamlapati Railway Station: मुस्लिम महि‍लाओं ने लगाए हर-हर मोदी के नारे; हाथ हिलाकर PM ने अभिवादन स्‍वीकारा ,रानी कमलापति रेलवे स्‍टेशन का किया लोकार्पण

भोपाल,15नंबर(इ खबर टुडे)। राजधानी में जनजातीय महासम्‍मेलन और पुनर्विकसित वर्ल्ड क्लास रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के लोकार्पण अवसर पर आए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का काफ‍िला कुछ समय के लिए होशंगाबाद रोड पर उस समय रोक देना पड़ा जब बड़ी संख्‍या में मुस्लिम महिलाएं और समाजजन उनके इस्‍तकबाल के लिए वहां मौजूद थे।

जब प्रधानमंत्री का काफ‍िला जम्‍बूरी मैदान से कमलापति स्‍टेशन की ओर जा रहा था तो होशंगाबाद रोड पर बड़ी संख्‍या में लोग उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब थे। इनमें मुस्लिम महिलाओं के साथ मुस्लिम बंधु भी थे। इनमें से कुछ लोगों का कहना था कि वे करीब तीन घंटे से यहां जमा हैं और मोदी के दीदार करना चाहते हैं। कुछ समाजजनों ने बताया कि मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक से मुक्ति दिलवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का धन्‍यवाद देना चाहती हैं। इस दौरान महिलाओं ने हर-हर मोदी के नारे भी लगाए। ये महिलाएं अपने हाथों में नारे लिखी तख्‍तियां लेकर खड़ी हुई थी। इस दौरान जिंदाबाद के नारे भी लगे। जंबूरी मैदान पर संबोधन के बाद प्रधानमंत्री मोदी बरकतउल्ला विश्वविद्यालय हेलीकाप्टर द्वारा पहुंचे थे। वहां से रानी कमलापति स्टेशन का लोकार्पण करने वे सड़क मार्ग से रवाना हुए थे।

मोदी के इंतजार में खड़ीं महिलाओं में से एक ने कहा कि हमें उम्मीद नहीं है कि प्रधानमंत्री से मुलाकात हो पाएगी, लेकिन यदि हुई तो हम उन्हें धन्यवाद देने चाहते हैं कि उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के हित में जो यह कानून बनाया है, उससे हम बहुत शुक्रगुजार हैं। इससे मुस्लिम समाज को आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। हालांकि सुरक्षा कारणों को देखते हुए प्रधानमंत्री वाहन से बाहर नहीं आ सके। उन्‍होंने कार में बैठै-बैठे ही हाथ हिलाकर इन लोगों का अभिवादन किया।

प्रधानमंत्री ने सोमवार को रानी कमलापति रेलवे स्‍टेशन का लोकार्पण किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने अपने उद्धोधन में कहा कि भोपाल के इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन का सिर्फ कायाकल्प ही नहीं हुआ है, बल्कि गिन्नौरगढ़ की रानी, कमलापति जी का इससे नाम जुड़ने से इसका महत्व भी और बढ़ गया है। गोंडवाना के गौरव से आज भारतीय रेल का गौरव भी जुड़ गया है। लोगों ने स्थितियों के बदलने की उम्मीदें तक छोड़ दी थीं। लेकिन जब देश ईमानदारी से संकल्पों की सिद्धि के लिए जुटता है, तो सुधार आता है, परिवर्तन होता है, ये हम बीते सालों से निरंतर देख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि 6-7 साल पहले तक जिसका भी पाला भारतीय रेल से पड़ता था, तो वो भारतीय रेल को ही कोसते हुए ज्यादा नजर आता था। स्टेशन पर भीड़-भाड़, गंदगी, ट्रेन के इंतज़ार में घंटों की टेंशन, स्टेशन पर बैठने-खाने-पीने की असुविधा, ट्रेन के भीतर गंदगी, सुरक्षा की चिंता, दुर्घटना का डर, ये सबकुछ एक साथ दिमाग में चलता रहता था। भारत कैसे बदल रहा है, सपने कैसे सच हो सकते हैं, ये देखना हो तो आज इसका एक उत्तम उदाहरण भारतीय रेलवे भी बन रही है।

You may have missed