November 23, 2024

नगर निगम और वन विभाग के बीच गोल्ड कॉम्प्लेक्स की जमीन का विवाद सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन : मनीष शर्मा

रतलाम,21 फ़रवरी (इ खबर टुडे)।रतलाम वैसे तो सोने की शुद्धता की के कारण जाना जाता हे लेकिन नगर को जो विकास का सपना बताने में शहर के बड़े प्रोजेक्ट 134 करोड़ के गोल्ड काम्प्लेक्स के लिए नगर निगम गांधी उद्यान के पास की भूमि निजी क्षेत्र को आवंटन जिला प्रशासन द्वारा रिडेंसीफिकेशन योजना के तहत किया गया वह भूमि का प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं । जिसे छिपाया जा रहा है।

उक्त बयान देते हुए भाजपा पूर्व युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष मनीष शर्मा ने बताया कि उक्त भूमि के स्वामित्व को लेकर नगर निगम एवं वन विभाग के बीच विवाद चला था। जिसमे हाई कोर्ट द्वारा नगर निगम को भूमि का स्वामित्व मानते हुए निगम रतलाम के पक्ष में निर्णय दिया। लेकिन इसके विरुद्ध वन विभाग द्वारा सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली में याचिका दायर की जिसका क्रमांक 10862/2012 सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक 05/07/2014 सीए नंबर 006006/2014 है। जिसका निर्णय लंबित हैं ।

प्रकरण का सुप्रीम कोर्ट में लंबित होना न्यायालय की अवमानना की श्रेणी मे आता है ।कही ऐसा ना हो की गोल्ड कॉम्प्लेक्स की स्थिति भी राजीव गांधी सिविक सेंटर जैसी दुर्दशा हो जाए। जिला प्रशासन द्वारा गोल्ड कॉप्लेक्स के नाम पर नगर निगम के स्वामित्व की भूमि प्रशासन द्वारा गोल्ड कांप्लेक्स को आवंटित की है तो उससे होने पर प्राप्त राशि नगर निगम को प्रदान की जाए जिससे नगर निगम की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर रतलाम शहर में सड़क नाली पेयजल की व्यवस्था कर सके । आर्थिक स्थिति अच्छी होगी तो रतलाम की अवैध कालोनियों में विकास कर पाएगा सिविक सेंटर के करोड़ों बकाया शासन को प्रदान कर करोड़ों की संपत्ति जो लावारिश स्थिति में पड़ी हुई है उसका समुचित निदान नही हो सका।

निगम अध्यक्ष मनीष शर्मा ने बताया कि प्रशासन ने जिस व्यक्ति को भूमि आवंटित की है उसके द्वारा उक्त भूमि पर हजारों पेड़ों को काट कर उनकी हत्या की जा रही है जोकि अवैधानिक है एक तरफ शासन पर्यावरण पर जोर दे रहा है दूसरी और प्रशासन पर्यावरण को समाप्त करवा रहा है ।

प्रशासन से मांग है कि उपरोक्त प्रकरण का निराकरण नहीं होने तक जिस व्यक्ति को भूमि आवंटित की है उसे निर्देशित किया जाए कि वहां पर किसी भी पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचाये। निगम अध्यक्ष मनीष शर्मा ने बताया कि उस भूमि पर वर्षों से व्यापार कर रहे व्यापारियों को व्यापार करने के लिए अन्य स्थान प्रदान किया जाए क्योंकि ये सभी व्यापारी द्वारा नगर निगम को विधिवत किराया दिया जा रहा था ।

जिला प्रशासन ने हठ धर्मिता दिखाते हुए 50 वर्षों से ज्यादा समय से किरायेदार के रूप में अपना व्यवसाय कर भरण पोषण कर रहे छोटे व्यवासीय को हटा दिया गया । जिला प्रशासन से आग्रह है कि छोटे हटाए गए व्यापारियो को उचित स्थान प्रदान किया जाए ।कुछ दिनों पूर्व जिला प्रशासन ने नगर निगम पर नजूल की बकाया राशि वसूलने के लिए नगर निगम के बैंक खाते सीज करा दिए ऐसे में गोल्ड कॉम्प्लेक्स से प्राप्त राशि से नगर निगम की बकाया राशि को समायोजित कर निगम संपति को मुक्त किया जाए।

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