December 25, 2024

Energy Crisis : वैश्विक स्तर पर गहराया ऊर्जा संकट, ब्रिटेन में छः सौ प्रतिशत बढ़े गैस के दाम; दूसरे देशों में भी जबरदस्त इजाफा

man pumping gasoline fuel in car at gas station

transportation and ownership concept - man pumping gasoline fuel in car at gas station

नई दिल्ली,13 अक्टूबर(इ खबर टुडे)। पूरी दुनिया में ऊर्जा संकट का असर ईंधन कीमतों में भारी वृद्धि के रूप में दिखाई दे रहा है। एशिया, यूरोप और अमेरिका में कोयले, प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल की कीमतें अपने रिकॉर्ड स्तर पर हैं। इससे दुनियाभर के लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है, तो कई मिल-फैक्टरियों पर बंद होने की कगार पर पहुंच गई है।

विश्व में गैस की औसत कीमत जनवरी से लेकर अब तक 250 फीसदी बढ़ी है। लेकिन गैस के दाम में सबसे ज्यादा इजाफा यूरोपीय देशों में हुआ है। यूरोप में जनवरी के मुकाबले अक्तूबर में गैस की कीमतें छह गुना हो गईं। यूरोप अपनी गैस जरूरत का 35 फीसदी आयात रूस से करता है, इसलिए रूस में गैस के महंगा होने से यूरोप में भी दाम बढ़ गए।

यूरोपियन यूनियन के देशों में पिछले कुछ हफ्तों में बिजली दरों में भारी इजाफा देखा जा रहा है। स्पेन में तो दरें तीन गुना तक बढ़ गई हैं। दरों में इजाफे से यूरोप में आने वाली सर्दियां मुसीबत का सबब बन सकती हैं। सर्दियों में बिजली की डिमांड सबसे ज्यादा होती है। एशियाई देशों में भी ईंधन की कीमतें बढ़ी हैं।

ईंधन की ऊंची कीमतों से बढ़ी महंगाई:

1-ब्रिटेन में गैस की कीमतें 600 फीसदी बढ़ीं: ऊर्जा और बिजली संकट के मद्देनजर ब्रिटेन में गैस की कीमतें जनवरी के मुकाबले अक्तूबर के दूसरे हफ्ते तक बढ़कर 600 फीसदी हो गईं। जनवरी में एक यूनिट गैस की कीमत 50 पेंस थी, लेकिन अब इसकी कीमत 400 पेंस है। इसी तरह ब्रिटेन में पेट्रोल के दाम 136.5 पेंस प्रति लीटर तक पहुंच गए हैं।

असर: ईंधन के दाम में बढ़ोतरी से ब्रिटेन के विशेषज्ञ कुछ कंपनियों के बंद होने की आशंका जता रहे हैं। ब्रिटेन में चार लोगों के परिवार का खर्च दिसंबर तक 1800 पाउंड बढ़ जाएगा। एक मीडिया संस्थान ने अपनी रिसर्च में पाया कि सुपर मार्केट के खाद्य पदार्थ 44 फीसदी तक महंगे हो गए हैं।

2-श्रीलंका में गैस सिलेंडर 2500 रुपये के पार: श्रीलंका में साढ़े 12 किलोग्राम वजनी रसोई गैस सिलेंडर का दाम दोगुना हो गया है। आवश्यक वस्तुओं के लिए मूल्य सीमा समाप्त करने की सरकार की घोषणा के बाद रसोई गैस के एक सिलेंडर की कीमत 11 अक्तूबर को बढ़कर 2657 रुपये हो गई।

असर: ईंधन की कीमत में बढ़ोतरी का असर परिवहन खर्च पर पड़ता है। इसके परिणाम स्वरूप श्रीलंका में दूध जैसी जरूरी चीज के दाम 1200 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गए हैं। लोगों ने कीमतों को वापस लेने की मांग के साथ सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई है।

3-पाक में गैस सिलेंडर 30 फीसदी महंगा: पाकिस्तान में 30 अप्रैल से लेकर अगस्त तक गैस के दाम में 30 फीसदी इजाफा हुआ। फिलहाल पाकिस्तान में 11.8 किलोग्राम वाले रसोई गैस सिलेंड की कीमत 2000 रुपये से अधिक है। पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत बढ़ाकर 127 रुपये प्रति लीटर से अधिक है। प्रति लीटर हाई-स्पीड डीजल की कीमत 122 रुपये और मिट्टी के तेल की कीमत 99 रुपये से अधिक है।

असर: पाकिस्तान में महंगाई का आलम यह है कि इस साल गेहूं का भाव बढ़कर 60 रुपये प्रति किलो हो गया। पाकिस्तानी मंत्री को लोगों को चाय में कम चीनी डालने और रोटी कम खाने की सलाह देनी पड़ रही है। पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान मामलों के संघीय मंत्री अली अमीन गंडापुर ने माना कि ईंधन की कीमतों में वैश्विक स्तर पर बढ़ोतरी हुई है।

4-चीन में कोयला 223 रुपये प्रति टन: झेंगझाउ कामोडिटी एक्सचेंज पर प्रति टन कोयला का भाव बढ़कर 233.6 रुपये हो गया। कोयले की किल्लत और इसके रिकॉर्ड ऊंचे भाव से कई संयंत्रों को संकट का सामना करना पड़ रहा है। भारी बारिश के कारण 60 से अधिक कोयला खदानों के बंद होने और कोयला संकट गहराने से गैस और तेल की मांग बढ़ गई। मांग बढ़ने से इनके दाम में काफी अधिक बढ़ोतरी हुई है।

असर: चीन में बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है। जरूरी चीजों के दाम बढ़ने से चीन में महंगाई का स्तर 13 साल में सर्वाधिक है।

5-जापान में बिजली 33 रुपये प्रति यूनिट : कोयला, गैस और कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे के बाद जापान में बिजली की दर बढ़ गई। अब प्रति किलोवाट घंटा (एक यूनिट) के लिए 33 रुपये देने पड़ रहे हैं। यह पिछले नौ महीने में बिजली दर की सर्वाधिक ऊंची कीमत है। इसके अलावा रसोई गैस और तेल की कीमतों में इजाफे से खाद्य पदार्थ महंगे हो गए हैं।

असर: जापान में मुद्रास्फीति और महंगाई 13 साल के सर्वोच्च स्तर पर है।

6- अमेरिका में दाम बढ़े : अमेरिका में मंगलवार को कच्चे तेल की कीमतें सात साल का रिकॉर्ड तोड़कर 80.9 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। सिटीग्रुप इंक ने चौथी तिमाही में तेल की कीमतें बढ़कर प्रति बैरल 90 डॉलर होने का अनुमान लगाया है। कच्चा तेल वैश्विक स्तर पर भी तीन साल के सबसे उच्चतम स्तर 83.8 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है।

असर: कीमतें बढ़ने का अमेरिका पर कोई खास असर अभी नहीं दिखा है। लेकिन ऊर्जा संकट के मद्देनजर विश्व में कच्चे तेल की प्रतिदिन की मांग बढ़कर ढाई लाख से साढ़े सात लाख बैरल तक हो सकती है, इससे तेल के दाम और बढ़ सकते हैं।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds