November 18, 2024

Collector Justice: वर्षों से भटकते आदिवासी को कलेक्टर ने दिलाया न्याय,गरीब आदिवासी को उसकी करोड़ों की भूमि पर कब्जा मिला

रतलाम 08 जुलाई (इ खबरटुडे)। ग्राम सांवलियारुंडी का गरीब आदिवासी थावरा अब गरीब नहीं रहा। उसकी बेशकीमती भूमि करोड़ों रुपए मूल्य की भूमि उसे वापस मिल चुकी है। कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम की संवेदनशीलता ने गरीब थावरा तथा उसके भाइयों मंगला एवं नानूराम को उनकी करोड़ों की भूमि वापस दिलवा दी है जो अन्य व्यक्तियों के कब्जे में थी। थावरा जब कलेक्टर से अपनी भूमि की पावती एवं खसरा नकल प्राप्त कर रहा था तब उसके चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी, वर्षों बाद खोया हुआ सुकून पुनः उसके चेहरे पर झलक रहा था।

रतलाम मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर ग्राम सांवलियारुंडी के रहने वाले आदिवासी मंगला, थावरा तथा नानूराम भावर के अनपढ़ गरीब पिता को वर्ष 1961 में किन्ही व्यक्तियों द्वारा बरगला कर ओने-पौने दामों में भूमि हथिया ली गई थी। लगभग 16 बीघा जमीन खो देने के बाद यह आदिवासी परिवार मजदूरी करके 60 सालों से अपना गुजर-बसर जैसे-तैसे कर रहा था। इसी दौरान थावरा तथा उसके भाइयों द्वारा अपनी भूमि वापस लेने के लिए बहुत कोशिश की गई लेकिन नतीजा हाथ नहीं आया था। काफी कोशिशों के बाद 1987 में तत्कालीन एसडीएम द्वारा आदेश पारित किया जाकर वर्ष 1961 का विक्रय पत्र शून्य घोषित किया गया और भूमि का कब्जा प्रार्थीगण आदिवासियों को दिए जाने का आदेश जारी हुआ परंतु आदिवासी भाइयों का नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं किया जाकर कब्जा नहीं दिलाया गया। निर्णय के विरुद्ध जिन व्यक्तियों के कब्जे में भूमि थी उनके द्वारा विभिन्न न्यायालयो एव फोरम पर अपील की जाती रही। समय अंतराल में भूमि अन्य व्यक्तियों द्वारा एक से दूसरे को बेचे जाने का क्रम जारी था।

सभी स्तरों से अपने पक्ष में फैसला आने के बाद भी भूमि का कब्ज़ा नहीं मिलने पर विगत सप्ताह थावरा कलेक्ट्रेट आकर कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम से मिला और उनको अपनी भूमि पर कब्जा दिलाने के लिए आवेदन दिया। कलेक्टर ने संवेदनशीलता के साथ तत्काल एसडीएम रतलाम शहर को एक सप्ताह में आदिवासी के नाम उसकी भूमि के दस्तावेज तैयार करने और कब्जा दिलाने के निर्देश दिए। आदेश के पालन में एसडीएम अभिषेक गहलोत, नायब तहसीलदार संतोष रत्नावत, राजस्व निरीक्षक तरुण रघुवंशी, पटवारी गिरीश शर्मा द्वारा पूरी मेहनत से काम करते हुए रिकॉर्ड का अध्ययन करके दस्तावेज तैयार किए। थावरा तथा उसके भाइयों के नाम से पावती एवं खसरा तैयार किया गया। 8 जुलाई को थावरा एवं उसका भाई मंगला जब अपने भांजे-भतीजे तथा दामाद के साथ कलेक्ट्रेट आया, कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के हाथों अपनी भूमि की पावती तथा खसरा नकल प्राप्त की। अब आदिवासी परिवारों की खोई हुई खुशी वापस लौट आई है।

थावरा ने कहा कि वर्षो बीत गए लड़ते-लड़ते, अपनी बाप-दादा की भूमि वापस लेने के लिए परंतु अब वह समय आया जब हमारी भूमि हमें वापस मिल गई है। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तथा हमारे जिले के कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को बहुत-बहुत धन्यवाद। कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि उनके द्वारा एसडीएम को आदेशित किया गया है कि यदि आदिवासी थावरा और उसके भाइयों की भूमि पर यदि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कोई हस्तक्षेप पुनः किया जाता है तो एट्रोसिटी के तहत प्रकरण दर्ज किया जाए।

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