December 24, 2024

Christian Missionary – प्रशासन ने कर दी कार्यवाही,लेकिन पुलिस को अब तक नहीं मिले सबूत,शिकायत के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं

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रतलाम,24 मई (इ खबरटुडे)। जिले के आदिवासी अंचल बाजना में शासकीय किल कोरोना अभियान के दौरान ईसाई मिशनरी की गतिविधि सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने तो आरोपी महिलाकर्मी की सेवाएं समाप्त करने का नोटिस जारी कर दिया है। लेकिन पुलिस विभाग ने शिकायत होने के बावजूद अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है,जबकि मध्यप्रदेश में ऐसे मामलों के लिए धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम लागू है।

उल्लेखनीय है कि बाजना में शनिवार को महिला स्वास्थ्यकर्मी डा.संध्या तिवारी द्वारा सर्वे के दौरान लोगों से कहा जा रहा था कि अगर वे ईसा मसीह की प्रार्थना करेंगे तो कोरोना नैगेटिव हो जाएगा। हिन्दू संगठनों की सक्रियता के बाद उक्त स्वास्थ्यकर्मी को रोका गया। उसके पास से ईसाई धर्म प्रचार के पर्चे भी बरामद हुए,जिसमें लोगों को ईसाई धर्म अपनाने की सलाह दी गई है। उक्त घटना के विडीयो भी सोशल मीडीया पर वायरल हो चुके है। उक्त मामला प्रकाश में आने के बाद बाजना तहसीलदार द्वारा मामले की जांच की गई। जांच के दौरान स्वास्थ्यकर्मी संध्या तिवारी ने भी यह स्वीकार किया कि वह लोगों को ईसाई धर्म अपनाने की सलाह दे रही थी। यहां तक कि संध्या तिवारी ने जांचकर्ता अधिकारी से इस बात पर बहस भी की,कि वह जो कर रही थी,उसमें कुछ भी गलत नहीं था। उसका कहना यह भी था कि वह स्वयं कोरोना पाजिटिव थी और ईसा मसीह की प्रार्थना करने से वह नैगेटिव हो गई। तहसीलदार के जांच प्रतिवेदन के आधार पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा उक्त महिला स्वास्थ्यकर्मी की संविदा समाप्त करने की अनुशंसा स्वास्थ्य विभाग से की गई है और तब तक के लिए उक्त महिला को काम करने से रोक दिया गया है।

इस मामले में बाजना पुलिस को उक्त महिला स्वास्थ्यकर्मी के विरुद्ध लिखित शिकायत भी की गई है। यहां यह उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में वर्ष 1968 से धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम लागू है। अधिनियम की धारा 3 में स्पष्टत: कहा गया है कि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन या धर्म परिवर्तन का प्रयास नहीं करेगा। इसमें यह भी स्पष्ट रुप से कहा गया है कि धर्म परिवर्तन या धर्म परिवर्तन के प्रयास के लिए किसी प्रकार का प्रलोभन देने या प्रलोभन देने का प्रयास नहींकरेगा। यदि कोई ऐसा करता है तो अधिनियम की धारा 4 में इसके दण्ड का प्रावधान है। मध्यप्रदेश शासन ने इस अधिनियम में हाल ही में वर्ष 2020 में संशोधन करते हुए इसके प्रावधानों को और भी कडा कर दिया है।

वर्ष 2020 के संशोधन के अनुसार धारा 3 इस प्रकार है-

धारा 3 (1) कोई व्यक्ति
(क) दुव्र्यपदेशन,प्रलोभन,धमकी या बल प्रयोग,असम्यक असर,प्रपीडन,विवाह या किसी अन्य कपटपूर्ण साधन द्वारा किसी भी व्यक्ति को प्रत्यक्षत: या अन्यथा संपरिवर्तित नहीं करेगा या प्रत्यक्षत: या अन्यथा संपरिवर्तन करने का प्रयास नहीं करेगा।
(ख) ऐसे संपरिवर्तन का दुष्प्रेरण या षडयंत्र नहीं करेगा।

धारा 3 से स्पष्ट है कि धर्म परिवर्तन करने का प्रयास भी दण्डनीय अपराध है। इतना ही नहीं वर्ष 2020 के संशोधन में सबूत का भार आरोपी पर डाला गया है। अधिनियम की धारा 12 में स्पष्ट किया गया है कि धर्म संपरिवर्तन करने या धर्म संपरिवर्तन का प्रयास करने के आरोप पर स्वयं को निर्दोष बताने के लिए सबूत का भार आरोपी पर होगा। अर्थात उसे स्वयं साबित करना होगा कि ऐसा अपराध उसने नहीं किया है।

इतने स्पष्ट कानूनी प्रवाधान होने के बावजूद बाजना पुलिस ने अब तक इस मामले में प्रकरण पंजीबद्ध नहीं किया है। शिकायतकर्ताओं ने लिखित शिकायत प्रस्तुत की है,साथ ही घटना के विडीयो भी सोशल मीडीया में वायरल हो चुके है। इतना ही नहीं स्वयं तहसीलदार द्वारा मामले की जांच कर यल निष्कर्ष निकाला गया है कि स्वास्थ्यकर्मी लोगों को अपना धार्मिक विश्वास बदलने के लिए कोरोना नहीं होने का कपटपूर्ण प्रलोभन दे रही थी। इतना सबकुछ होने के बावजूद पुलिस द्वारा इस मामले में कार्यवाही नहीं की जाना समझ से परे है।

बाजना से मिली जानकारी के अनुसार,उक्त महिला स्वास्थ्यकर्मी पिछले कई दिनों से अपने इसी षडयंत्र में लिप्त थी और अनेक लोगों को ईसा मसीह की प्रार्थना करने से कोरोना मुक्त होने का प्रलोभन दे रही थी। यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि जिले के सैलाना बाजना आदिवासी अंचल में ईसाई मिशनरी सक्रिय है और कोरोना संकट के इस काल में धर्म परिवर्तन के षडयंत्र को तेज गति से चलाया जा रहा है।

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