December 24, 2024

Shiva mahapuran : रतलाम वाले भाग्य लेकर जन्मे, एक नवयुग का निर्माण है शंकर शिवमहापुराण की कथा – पंडित श्री प्रदीप मिश्रा

pandit mishra ji

रतलाम,29 अप्रैल (इ खबरटुडे)। हमारे वैद, पुराणों और शास्त्रों में लिखा है कलयुग अपना काम करेगा लेकिन हम कलयुग को भजन-कीर्तन, धर्म-कर्म से सतयुग बना सकते हैं। भक्ति से सतयुग नहीं भी बना तो शिवयुग तो बन ही जाएगा। एक नवयुग का निर्माण है शंकर शिवमहापुराण की कथा। सारा सुख-दुख शिव भगवान के चरणों में सौंप दो। शिव जो करेगा श्रेष्ठ करेगा। श्रेष्ठ के लिए शिव के बिना कुछ नहीं। वर्तमान में देखते हैं कि थोड़ी सी असफलता में युवा आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं। असफलता पर घबराना नहीं है। परिणाम बिगड़े तो बिगड़ जाने दो, शिव ने उससे भी कुछ अच्छा सोचकर रखा होगा।

उक्त विचार अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने हरथली फंटा (कनेरी रोड) पर आयोजित वैशाखी शिवमहापुराण कथा के समापन अवसर पर शुक्रवार को व्यक्त किए। कथा से पूर्व सुबह पंडित श्री मिश्रा ने श्री गढक़ैलाश मंदिर पर पहुंच शिवजी का जलाभिषेक कर पूजन-अर्चन किया। कथा का आयोजन कल्याणी रविंद्र पाटीदार द्वारा भाई अरविंद पाटीदार की स्मृति में कराया गया। कथा सुनने के लिए सुबह से ही पांडाल में श्रद्धालुजन बड़ी संख्या में एकत्र होने लगे थे। कथा शुरू होने के करीब 2 घंटे पूर्व ही सभी पांडाल श्रद्धालुओं से भर चुके थे।

कथा का शुभारंभ व्यासपीठ की पूजा-अर्चना के साथ हुआ। मुख्यरूप से जावरा विधायक डॉ. राजेंद्र पांडेय, भाजपा जिलाध्यक्ष राजेंद्रसिंह लुनेरा, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रमेश मईड़ा एवं वैभव जाट मौजूद थे। इनके द्वारा पंडित श्री मिश्रा का स्वागत कर आशीर्वाद प्राप्त किया गया। कथा में पंडित श्री मिश्रा ने हरी भजन बिना उद्दार नहीं…, भोलेनाथ बिना पार नहीं…, सुमधुर भजन गाकर पूरे पांडाल को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। पंडित श्री मिश्रा ने कहा किसी को कष्ट देना सनातन धर्म में नहीं लिखा है। सनातन धर्म हमेशा सर्वे भवंतु सुखिन की राह पर चलता है। सात दिवसीय शिवमहापुराण कथा के बीच में पंडित श्री मिश्रा ने अमृतसागर तालाब की दुर्दशा पर चिंता जताई थी। समापन से पूर्व व्यासपीठ से पंडित श्री मिश्रा ने बताया कि अमृतसागर तालाब की दुर्दशा पर चिंता के बाद अच्छी बात यह है कि तालाब को लेकर काम शुरू हो गया है। प्रशासन और नेताओं को उन्होंने धन्यवाद दिया। कथा के अंत में पंडित श्री मिश्रा ने सात दिनी वैशाखी शिवमहापुराण में सेवा देने वालों को धन्यवाद देते हुए कहा कि इनकी सेवा अजर-अमर हो गई है। कथा के पूर्व सात दिन से चल रहा महारूद्राभिषेक का भी विधिवत समापन हुआ। पंडित आनंदीलाल शर्मा (हरीओम) के सानिध्य में 21 ब्राह्मणों द्वारा 756 यजमानों को महारूद्राभिषेक संपन्न कराया।

रतलाम वाले भाग्य लेकर जन्मे हैं
व्यासपीठ से पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि रतलाम वालों ने भाग्य लेकर जन्म लिया है। जो भी कर्म करते हैं भक्ति, श्रद्धा एवं विश्वास से करते हैं। शिवपुराण कहती है मनुष्य की देह छोटी है। कब आई कब चली गई मालूम नहीं पड़ता। भगवान की भक्ति को जितना कर सकते हो उस परमात्मा को अपने जीवन में उतारो। पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि हमें दुनिया की निगाह में अच्छा नहीं बनना है। सामने वाले की नजर जैसी होगी वह वैसे ही देखेगा। तुम कितने ही अच्छे बन जाओ लेकिन सामने वाले की दृष्टि भी अच्छी होना चाहिए।
जो मिले उसे प्राप्त करो, भटको नहीं

कथा के अंतिम दिन व्यासपीठ से श्रद्धालुओं को पंडित श्री मिश्रा ने समझाया कि जीवन योनी में मानव भटकता रहता है। उदाहरण देकर बताया कि कपड़े की दुकान पर जब बैठते हो तो महिलाओं को सबसे पहले चार साड़ियां दिखाई जाती हैं। इसके बाद महिलाएं दुकान की 200 से अधिक साड़ियां जरूर देखती हैं लेकिन पसंद उन्हें शुरुआत की वो चार साड़ियां ही आती हैं। इसी प्रकार बगीचे में गुलाब का फूल अच्छे से अच्छा शुरुआत में ही मिल जाता है लेकिन मनुष्य के मन का भाव यह रहता है कि आगे चलो और अच्छा फूल मिलेगा परंतु मिलता नहीं है। लौटकर आने पर जब पुराने देखे अच्छे फूल खोजता है तो वह भी माली तोड़ जाता है। इसलिए जीवन में जो प्राप्त हो रहा है उसे सहजते जाओ। इससे आपकी उन्नति और प्रगति के द्वार खुलना शुरू हो जाएंगे और भगवान शिव की कृपा आप पर होनेे लगेगी।

बैंक लॉकर की तरह जीवन में होती दो चाबियां
पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि जिस तरह बैंक में लॉकर होता है और दो चाबियां होती है। एक चाबी मैनेजर के पास और दूसरी तुम्हारे पास रहती। इसी तरह मनुष्य जीवन की भी दो चाबियां होती हैं। एक कर्म की तो दूसरी भाग्य की होती है। कर्म की चाबी तुम्हारे पास रहती है जबकि भाग्य की चाबी भगवान भोलेनाथ के पास है। भाग्य के भरोसे रहूंगा, एक ही काम करूंगा ऐसी सोच नहीं होना चाहिए। तुम कर्म करते चले जाओ इससे लाभ होगा और काम में भी बदलाव आएगा। भाग्य की चाबी के लिए एक लौटा जल भरकर शिवजी को चढ़ाना मत छोड़ना। भगवान भोले को दिल से जल अर्पण कर कहोगे तो वह भाग्य की चाबी से किस्मत का लॉकर खोल देगा।

अंतिम दिन व्यासपीठ से बताया यह उपाय
पंडित श्री मिश्रा ने बताया कि जिसके शरीर के नसे ब्लॉक हो गई हैं। बायपास करने की स्थिति होने पर ऑपरेशन के पूर्व किसी भी माह की शिवरात्रि पर काला तिल और लाल चंदन दोनों को घिसकर उसका उपटन बनाकर बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग पर लगाना चाहिए। शिवालय में अंतरआत्मा से अपना नाम, गोत्र बोलकर अभिषेक करना चाहिए। अभिषेक पश्चात शिवलिंग पर लगाए गए काले तिल और लाल चंदन के उपटन को अपने वक्षस्थल पर लगा लें। आठ दिन तक प्रक्रिया निरंतर करने के बाद डॉक्टर से जांच करवाए।

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