वापस लिए जाने चाहिए देश के सर्वोच्च पदों पर रहे नेताओं के भारत रत्न अलंकरण-अनिल झालानी
रतलाम,11 फरवरी (इ खबरटुडे)। देश के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों,सर्वश्री नरसिंहाराव,चौधरी चरण सिंह और कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन जी को हाल ही में भारत रत्न अलंकरण दिए जाने की घोषणा की गई है। इससे पहले भी भारत के कई पूर्व प्रधानमंत्रियों को भारत रत्न अलंकरण से नावाजा गया है। हाल में दिए गए अलंकरणों की घोषणा होते ही इस पर राजनीति भी होने लगी है और विभिन्न राजनैतिक दल अलग अलग प्रतिक्रियाएं देने लगे है। इन अलंकरणों को लेकर विरोध के स्वर भी उठ रहे है।
श्री झालानी ने ग्यारह वर्ष पूर्व तत्कालीन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिख कर ऐसा सुझाव दिया था,जिसके बाद भारत रत्न जैसे अलंकरण पर राजनीति ही नहीं हो पाती। भारत गौरव के अनिल झालानी का कहना है कि भारत के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद अपने आप में अत्यन्त महत्वपूर्ण और सम्मानित पद है। इन पदों पर पंहुचने वाले व्यक्ति द्वारा किए गए कार्यो और देश के प्रति उसके योगदान के परिणामस्वरुप ही इस तरह के पदों तक कोई व्यक्ति पंहुच पाता है। देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन व्यक्ति द्वारा यदि कोई विशेष उपलब्धि भी अर्जित की जाती है,तो वह उपलब्धि उस पद पर रहने की वजह से ही प्राप्त होती है। इतना ही नहीं देश के सर्वोच्च पदों जैसे राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,उप राष्ट्र्पति के रुप में कार्य करने वाले व्यक्ति की प्रतिष्ठा पूरे विश्व में होती है और दुनियाभर के लोग उन्हे दीर्घकाल तक स्मरण करते रहेंगे।
भारत गौरव के श्री झालानी ने ये बातें 19 नवंबर 2013 को तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे अपने पत्र में कही थी। अपने पत्र में श्री झालानी ने सर्वोच्च पदों पर आसीन दोनो नेताओं को लिखा था कि देश के सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न को प्रदान किए जाने के मामले में गहन चिंतन और मंथन की आवश्यकता है। जो व्यक्ति देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन रहे हों उन्हे सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान करने की आवश्यकता ही नहीं है।
अपने पत्र में श्री झालानी ने लिखा था कि डा.राजेन्द्र प्रसाद,पं. जवाहर लाल नेहरु,डा. राधाकृष्णन,श्री लालबहादुर शास्त्री,डा.जाकिर हुसैन,श्री वीवी गिरी,श्रीमती इन्दिरा गांधी,श्री राजीव गांधी,श्री मोरारजी देसाई,डा. अब्दुल कलाम आदि को भारत रत्न की आवश्यकता ही नहीं है,क्योकि राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति,प्रधानमंत्री जैसे पद पर विराजित और इन पदों को सुशोभित करने वाला व्यक्ति भी तो देश का सर्वोच्च नागरिक होते हुए अतिसम्मानित और अतिविशीष्ट होते हुए भारतरत्न के समान ही होता है।
आज से लगभग ग्यारह वर्ष पूर्व लिखे अपने पत्र में श्री झालानी ने कहा था कि भारत सरकार को एक कठोर,अप्रिय किन्तु व्यावहारिक कदम उठाते हुए भारत में सभी भूतपूर्व राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,उप राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पदों पर आसानी विभूतियों के न केवल भारत रत्न सम्मान वापस लिए जाने चाहिए,वरन भविष्य में यदि भारत रत्न से सम्मानित हो चुके किसी व्यक्ति को इन उच्च पदों पर शपथ दिलाई जाती है,तो शपथ लेने से पूर्व उससे यह सम्मान वापस भी लिया जाना चाहिए। श्री झालानी ने अपने पत्र में लिखा था कि भारत रत्न से सम्मानित सर्वोच्च नागरिक,गैर राजनीतिक होने पर निर्विवादित और सर्वसम्मानित हो सकता है। भारत रत्न यदि किसी खिलाडी को देने का प्रावधान नहीं था,तो यह भी प्रावधान होना चाहिए कि किसी सक्रिय राजनीतिज्ञ को यह सम्मान न दिया जाए।
श्री झालानी ने यह सुझाव भी दिया था कि भारत रत्न,पद्म श्री,पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे नागरिक सम्मान प्रदान करने वाली समिति,निर्वाचन आयोग,सर्वोच्च न्यायालय और सीबीआई की तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी के रुप में गठित की जाना चाहिए,ताकि वास्तव में देश की प्रगति के लिए अतुलनीय योगदान देने वाले योग्य व्यक्तियों को सम्मान मिल सके।