रतलाम / डिजिटल अरेस्ट के नाम पर धोखाधड़ी से रहे सावधान, एसपी श्री कुमार ने जारी की एडवाइजरी (देखिये वीडियो)
रतलाम,16 नवम्बर (इ खबर टुडे)। सायबर ठगी के नए नए तरीकों से लोगों को ठगने के बढ़ते मामलों के दृष्टिगत पुलिस अधीक्षक अमित कुमार के निर्देशन पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राकेश खाखा के मार्गदर्शन में सायबर क्राइम सेल रतलाम टीम ने आम लोगो को सायबर ठगी ने नए नए तरीकों के प्रति आम लोगो को जागरूक करने के उद्देश्य से सायबर फ्रॉड के तरीके और उनसे बचने के उपाय के बारे में समय समय पर एडवाइजरी जारी की जा रही है। इसी क्रम में आज वर्तमान में सायबर अपराधियों ने धोखाधड़ी के नए तरीके डिजिटल अरेस्ट से बचने के बारे में एडवाइजरी जारी की जा रही है।
क्या है डिजिटल अरेस्ट ?
भारतीय कानून में कही पर भी डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान नहीं है। डिजिटल अरेस्ट सायबर अपराधियों द्वारा लोगों को डरा धमका कर धोखाधड़ी का नया तरीका है। डिजिटल अरेस्ट में स्कैमर्स स्वयं को पुलिस, ईडी, सीबीआई या इनकमटैक्स का अधिकारी बताकर फोन करते है, सोशल मीडिया अकाउंट्स या अन्य अन्य ओपन सोर्स से हमारी पर्सनल जानकारी जैसे हमारे कार्यक्षेत्र से जुड़ी जानकारी, परिवार के लोगों की जानकारी जुटाकर हमे बताते है जिससे हमें उनकी बातों पर विश्वास हो जाए। फिर हमें किसी गंभीर अपराध में संलिप्तता बताकर जैसे हमने एक पार्सल पकड़ा है जिसमें ड्रग्स मिली है इस पर आपका नाम नंबर लिखा है, या आपके अकाउंट में इलीगल फंड आया है या आपके नाम का गिरफ्तारी वारंट है हम आपको डिजिटल अरेस्ट कर रहे है आपको फिर किसी माध्यम से वीडियो कॉल से जुड़ने के लिए कहा जाता है। फिर आपको कहा जाता है कि आप डिजिटल अरेस्ट किए गए है अब आप वीडियो काल डिस्कनेंट नहीं कर सकते और यहां से कही जा नहीं सकते किसी से कोई संपर्क नहीं कर सकते।
सायबर अपराधी आपको एक कमरे में बंद रहने के लिए धमकाते हुए मजबूर करते है। सायबर अपराधी वीडियो कॉल पर पुलिस की यूनिफॉर्म में दिखाई देते है। तथा हमें पुलिस कार्यवाही का डर दिखाकर पैसों की मांग करते है। सायबर अपराधी कह सकते है कि आपके बैंक खाते में अवैध फंड आया है हम उसकी जांच कर रहे है। जांच चलने तक आप डिजिटल अरेस्ट रहेंगे और वीडियो कॉल छोड़कर कही जा नहीं सकते फिर आपसे आपकी बैंक डिटेल्स मांगते है। आपकी व्यक्तिगत एवं बैंक से संबंधित गोपनीय जानकारी लेकर आपके खाते से रुपए उड़ा देते है।
एक अन्य तरीका यह भी है सायबर अपराधी किसी अनजान नंबर से फोन करते है और कहते है की आपका बेटा/बेटी एक संगीन अपराध में संलिप्त है जिसे हमने गिरफ्तार कर लिया है। उसे छुड़ाना चाहते हो तो तुरंत हमारे बताए अकाउंट में रुपए ट्रांसफर कर दो। सायबर अपराधी आपको विश्वास दिलाने के लिए आपके बच्चे का नाम या उसकी व्यक्तिगत जानकारी भी बताते है और आपके बेटे/ बेटी से मिलती जुलती आवाज में किसी से बात भी करवाते है। और आपको हिदायत देते है की आपके बेटे /बेटी से संपर्क करने का प्रयास मत करना क्योंकि उसका फोन सर्विलेंस पर है। आपको व्हाट्स ऐप पर फर्जी गिरफ्तारी वारंट समंस भेजकर डराते है। और प्रकरण निपटने के नाम पर पैसों की मांग की जाती है।
डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचे
पिछले दिनों माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों से जागरूक रहने की सलाह दी थी. इसमें पीएम मोदी ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम से बचने के लिए लोगों को ‘रुको, सोचो और एक्शन लो’ की सलाह दी थी. माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा भी डिजिटल अरेस्ट से जागरूक रहने की अपील की गई है।
सीबीआई, ईडी, पुलिस या कोई भी सरकारी एजेंसी जांच के नाम पर वीडियो कॉल नहीं करती है ना ही डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान है। अगर आपके पास किसी अनजान नम्बर से फोन आ रहा है और वो आपको कहते है कि आपके बेटे को इस अपराध में पकड़ लिया गया है या आपके परिवार की कोई महिला सदस्य इस आपराधिक घटना में शामिल पाई गई है या फिर आपके द्वारा मंगवाए गए सामान में कुछ आपराधिक वस्तु मिली है, तो सबसे पहले हमें वही रुकना हैं और अपने फोन में स्क्रीन रिकॉर्डर ऑन करके सबूत जुटाने हैं और स्कैमर्स से किसी प्रकार की जानकारी शेयर नहीं करनी है. कोई भी विभाग पुलिस, ईडी या सुप्रीम कोर्ट भी ऑनलाइन वॉरंट जारी नहीं करते हैं. स्कैमर्स खुद को पुलिस विभाग से बताकर वारंट दिखाते हैं और एफआईआर दर्ज करने और अरेस्ट करने का डर दिखाकर अपने शिकार को फंसाते हैं. कोई भी सरकारी एजेंसी फोन के माध्यम से किसी को भी इस प्रकार अरेस्ट नहीं करती है. तीसरा काम हमें ये करना है कि भारत सरकार साइबर क्राइम पोर्टल cybercrime.gov.in इस पर रिपोर्ट दर्ज करवानी है और 1930 पर घटना की सूचना देकर स्क्रीनशॉट और स्क्रीन रिकॉर्डिंग के साथ स्थानीय थाने में रिपोर्ट देनी चाहिए।