December 24, 2024

PFI ban in India: RSS पर भी लगे बैन; PFI पर प्रतिबंध से भड़के कांग्रेस सांसद सुरेश ने की यह मांग

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नई दिल्ली,28सितंबर(इ खबर टुडे)। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर पांच साल के प्रतिबंध के बाद सियासत शुरू हो गई है। गृह मंत्रालय के फैसेल पर कांग्रेस सांसद ने आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की है। केरल में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में मुख्य सचेतक कोडिकुन्निल सुरेश ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, पीएफआई पर प्रतिबंध लगाना कोई उपाय नहीं है। हम आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं। आरएसएस पूरे देश में हिंदू सांप्रदायिकता फैला रहा है। पीएफआई और आरएसएस एक समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) ने केंद्र सरकार के फैसले का विरोध किया है। पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पीएफआई पर बैन लगाना भारतीय संविधान और लोकतंत्र पर हमला है। बयान में कहा गया है कि देश में अघोषित आपातकाल लागू है।

पीएफआई से जुड़े संगठनों पर भी प्रतिबंध
गृह मंत्रालय ने आतंकी फंडिंग व अन्य देश विरोधी गतिविधियों के चलते भारत में पीएफआई को पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से इसके लिए अधिसूचना (नोटिफिकेशन) भी जारी कर दी गई है। यूएपीए एक्ट के तहत इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया गया है। PFI के अलावा उनके सहयोगी संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन(केरल) पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

देशभर में पीएफआई से संबद्ध ठिकानों पर छापेमारी और करीब 100 से अधिक लोगों को उसकी कई गतिविधियों के लिए गिरफ्तार करने और कई दर्जन संपत्तियों को जब्त करने के कुछ दिन बाद केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मंगलवार देर रात जारी एक अधिसूचना के अनुसार, पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के नेता हैं और पीएफआई के जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से भी संबंध हैं। जेएमबी और सिमी दोनों ही प्रतिबंधित संगठन हैं।

अधिसूचना में कहा गया कि पीएफआई के ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया’ (आईएसआईएस) जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ संबंधों के भी कई मामले सामने आए हैं। अधिसूचना में दावा किया गया कि पीएफआई और उसके सहयोगी या मोर्चे देश में असुरक्षा की भावना फैलाने के लिए एक समुदाय में कट्टरपंथ को बढ़ाने के लिए गुप्त रूप से काम कर रहे हैं, जिसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि पीएफआई के कुछ कार्यकर्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए हैं।

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