CM Rising/सीएम राइजिंग में स्कूलों की सौगात:विधायक की अनुशंसा पर मिली जावरा व पिपलोदा में स्वीकृति
रतलाम,29 जून(इ खबरटुडे)। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की घोषणा अनुसार जावरा विधानसभा क्षेत्र में दो विद्यालयों को सी एम राइजिंग स्कूल के लिए चयन किया गया है जहां लगभग 34 करोड़ रु की लागत से आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। नवीन शिक्षण सत्र से ये विद्यालय प्रारम्भ किये जायेंगे।
इस संबंध में विधायक डॉ. राजेन्द्र पांडेय ने बताया कि स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने जावरा व पिपलोदा उत्कृष्ट विद्यालयो के प्रस्ताव पर स्वीकृति प्रदान की है। सीएम राइजिंग स्कूल शासन की शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने के उद्देश्य से अभिनव योजना है।
डॉ. पांडेय ने बताया कि दोनों स्थानों पर नर्सरी कक्षा से हॉयर सेकेंडरी तक कक्षाओं का संचालन किया जाएगा जिसके लिए पर्याप्त कक्षा रूम, प्रयोगशाला, खेल मैदान के अलावा समस्त शैक्षणिक संसाधन उपलब्ध कराया जाएगा। नर्सरी कक्षाओं के बच्चों को आधुनिक तरीको से पढ़ाया जाएगा।
लगभग दो हजार बच्चों की संख्या वाले इन स्कूल में ब्लाक स्तरीय बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा जिसके लिए परिवहन हेतु सुविधा भी प्रारंभ की जाएगी। जावरा में महात्मा गांधी उत्कृष्ट हायर सेकंडरी स्कूल परिसर एवं पिपलोदा उत्कृष्ट विद्यालय परिसर में संचालित होने वाले सीएम राइजिंग स्कूल के लिए आवश्यक निर्माण कार्य हेतु प्राक्कलन भी बनाया जा रहा है।
प्रति विद्यालय लगभग 17 करोड़ रु की लागत से समस्त कार्य किये जायेंगे। डॉ. पांडेय ने क्षेत्र को मिली बड़ी सौगात पर हर्ष व्यक्त कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के प्रति आभार व्यक्त किया है।
ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजा जाएगा
विधायक डॉ. पांडेय के निरंतर प्रयास से महात्मा गांधी विद्यालय व कमला नेहरू (मच्छी भवन) हायर सेकंडरी स्कूल भवन की ऐतिहासिक व पुरातत्व महत्व को दृष्टिगत रखते हुए उनके वास्तविक स्वरूप को यथावत रखते हुए सँवारने के लिए कदम उठाए जा रहे है। डॉ. पांडेय की पहल पर स्थानीय प्रशासन व नगर पालिका परिषद ने लगभग 60 लाख रु. की कार्ययोजना बनाई है।
इस कार्ययोजना के अंतर्गत महात्मा गांधी विद्यालय का मुख्य भवन व परिसर के अंतर्गत अन्य विद्यालय भवन, प्रयोगशाला, स्टेज के साथ ही कमला नेहरू कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल का मुख्य भवन का जीर्णोद्धार, रंगरोगन किया जाएगा। दोनों ऐतिहासिक भवनों को अपने मूल स्वरूप में रंग देने की कोशिश की जा रही है।