भारत गौरव के अनिल झालानी द्वारा दिए गए सुझावों पर सम्बन्धों को अधिक प्रगाढ करने की दिशा में आगे बढे भारत और फ्रांस; श्री झालानी ने दोनो राष्ट्रों की समान समस्या पर साझा रणनीति बनाने का दिया था सुझाव
रतलाम, 26 जनवरी(इ खबर टुडे)। भारत और फ्रांस के द्विपक्षीय और रणनीतिक सम्बन्ध नई ऊंचाईयों को छू रहे हैं और फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुअल मैक्रों इस वर्ष के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित है। भारत फ्रांस के प्रगाढ द्विपक्षीय और रणनीतिक सम्बन्धों को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिए भारत गौरव के अनिल झालानी ने भी अपनी भूमिका निभाई है। श्री झालानी द्वारा तीन वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिए गए कूटनीतिक सुझावों पर सरकार आगे बढती नजर आ रही है।
पिछले कुछ वर्षों में फ्रांस को मुस्लिम आतंकवाद के कई हमले झेलने पडे है और कïट्टर इस्लामिक आतंकवाद के चलते फ्रांस में कई बार दंगे भी भडकते रहे है,जिसमें कई निर्दोष फ्रांसिसी नागरिकों को अपनी जान और माल का नुकसान उठाना पडा है। ठीक यही हालत भारत की भी है। दोनों ही देश मुस्लिम आतंकवाद से बुरी तरह पीड़ित भी है। इन्ही परिस्थितियों को देखते हुए भार गौरव के अनिल झालानी ने तीन वर्ष पूर्व भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,गृहमंत्री अमित शाह,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,विदेश मंत्री एस जयशंकर,भारत में फ्रांस के राजदूत और फ्रांस में नियुक्त भारत के राजदूतों को पत्र लिखकर भारत और फ्रांस की तत्समय होने वाली द्विपक्षीय चर्चा में भारत की ओर से उठाए जाने वाले मुद्दों के बिंदु दिए थे।
उल्लेखनीय है कि ठीक इसके बाद तीन वर्ष पूर्व वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फ्रांस ने अपने राष्ट्रीय पर्व बेस्टील डे के कार्यक्रम में अतिथि के रुप में अमंत्रित किया था। विगत 14 जून 2021 को प्रधानंत्री को लिखे अपने पत्र में श्री झालानी ने सुझाव दिया था कि फ्रांस द्वारा आतंकवाद को रोकने के लिए उठाए गए सभी कदमों का पुरजोर समर्थन करते हुए फ्रांस के साथ खडे रहने का संदेश दिया जाना चाहिए।
अपने पत्र में श्री झालानी ने यह भी सुझाव दिया था कि इस्लामिक आतंकवाद से प्रभावित सभी राष्ट्रों को एकजुट करते हुए उन सभी राष्ट्रों को सहमत करते हुए विश्व के सभी धर्मो के धार्मिक ग्रंथों में से एक दूसरे के धर्म के प्रति विद्वेष, घृणा, प्रतिशोध या नफरत वाली सामग्री को विलोपित करने का अभियान प्रारंभ किया जाए,जिसकी वजह से पूरे विश्व में हिंसा का माहौल बना हुआ है। इसके लिए फ्रांस को इसलिए सहमत किया जाए,क्योकि कई सदियों तक विश्व के बहुत बडे भाग पर फ्रांस का औपनिवेशिक प्रभुत्व रहा है। फ्रान्स संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के 5 स्थाई सदस्यों मे भी है।
श्री झालानी ने अपने पत्र में फ्रांस में हिंसक घटनाओं पर टर्की और पाकिस्तान द्वारा फ्रांस के उठाए गए कदमों के बाद वहां की आम जनता द्वारा दी गई प्रतिक्रिया को स्थाई नीति में शामिल किया जाए क्योंकि इससे इस्लामिक राष्ट्रों का भविष्य में संभावित एकजुटता को दूरदर्शी खतरा मानते हुए सतही तौर पर लेकर नजरअंदाज ना किया जाए।