December 25, 2024

Raag Ratlami : “सर तन से जुदा” वाली जेहादी जहालत और ड्रग्स का डर,दोनो खतरे मण्डरा रहे है रतलाम पर/कालोनाईजर बनी शहर सरकार

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-तुषार कोठारी

रतलाम। किसी जमाने में माना जाता था,कि रतलाम में सांप्रदायिकता का संकट नगण्य है लेकिन बीतें कुछ सालों में सबकुछ बदल गया है। एक तरफ तो जेहादी जहालत ने अपने पांव पसार लिए है,वहीं दूसरी तरफ ड्रग्स का डर भी फैलता जा रहा है। वैसे तो दोनो डर अलग अलग दिखाई देते है,लेकिन बारीकी से देखा जाए तो ये दोनो ही डर एक ही सिक्के के दो पहलू है।

जेहादी जहालत के मोर्चे पर तो रतलाम पूरे सूबे में अपनी अलग पहचान बना रहा है। रतलाम के जेहादी जाहिलों ने अल सूफ्फा बनाकर एनआईए जैसी राष्ट्रीय एजेंसी को भी रतलाम के रास्ते दिखा दिए है। आईएसआईएस की तर्ज पर बनाए गए सूफ्फा ने पूरे देश में अपनी पहचान बनाई है। कुछ ही महीनों पहले राजस्थान मे विस्फोटक सामग्र्री के साथ धराए रतलामी बन्दे अल सूफ्फा से ही ब्रेनवाश हुए थे और राजस्थान में धमाके करने जा रहे थे। लेकिन उससे पहले ही खाकी वर्दी वालों की चैकिंग में धरा गए। राजस्थान के खाकी वर्दी वालो को पहले तो लगा कि मामला छोटा मोटा ही होगा। लेकिन जल्दी ही उन्हे पता लग गया कि उनके जाल में किस्मत से बडी मछली पकडा गई। बस फिर क्या था,एनआईए जैसी प्रीमयर एजेंसी भी यहां कई चक्कर लगा चुकी है।

सूफ्फा के जेहादियों की धर पकड और एनआईए के रडार पर रतलाम जैसे छोटे शहर के आने के बाद रतलाम के लोगों को लगा था कि अब जेहादी जाहिलों का खतरा शहर से टल गया है। लेकिन उनकी ये उम्मीद पूरी तरह फर्जी साबित हो गई,जब शहर की सडकों पर “सर तन से जुदा” जैसे नारे गूंज गए। एक छोटी सी फेसबुक पोस्ट की खिलाफत में पुलिस चौकी पर पंहुची जालीदार गोल टोपी वालों की भीड में एक तबका ऐसा भी था,जो सर तन से जुदा के नारे बुलन्द कर रहा था। वर्दी वालों ने फौरन फेसबुक पोस्ट करने वाली बालिका के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कर लिया,लेकिन सर तन से जुदा का नारा लगा रहे जाहिलों की जिद थी कि उसे इसी वक्त पकडा जाए।

बहरहाल वर्दी वालों ने जैसे तैसे उस भीड को रवाना किया और अगले दिन फेसबुक पोस्ट वाली बालिका को पकडा गया। लेकिन “सर तन से जुदा” के नारों की गूंज सूबे की राजधानी तक जा पंहुची और सूबे के गृहमंत्री ने इसे बेहद गंभीरता से लिया। उन्होने राजधानी से एलान कर दिया कि सर तन से जुदा का नारा लगाने वालों को उनके घरों से जुदा कर सलाखों के पीछे पंहुचाया जाएगा। फिलहाल तीन जाहिल सींखचों के पीछे भेज दिए गए है,बाकी की तलाश जारी है।

ये तस्वीर का एक पहलू है। तस्वीर का दूसरा पहलू,नशे के कारोबार का है। शहर के गली मोहल्लों में जहर की पुडियाएं धडल्ले से बेची जा रही है। जहर का ये कारोबार लगातार फैलता जा रहा था। कारोबार इतना फैल रहा था कि शहर के लोगों को इसके खिलाफ जुलूस निकालना पडा। जुलूस के पहले तक वर्दी वाले इस कारोबार पर नजर तक डालने को तैयार नहीं थे। जुलूस निकला तो वर्दी वालों ने नशे के कारोबा र के खिलाफ मुहिम चलाने की घोषणा की और वर्दी वालें हर दिन कुछ ना कुछ करते हुए दिखाई देने लगे। कभी शराब पीने वालों को पकडा जाने लगा,तो कभी गांजा और डोडाचूरा वालों को,लेकिन ड्रग्स वालों पर फिर भी कार्रवाई नहीं हुई। यही वजह थी कि वर्दी वालों के पुराने कप्तान बडी जल्दी यहां से रवाना कर दिए गए।

वर्दी वालों के नए कप्तान ने रतलाम में आते ही नशे के कारोबार की जडों तक पंहुचने की कोशिशें शुरु कर दी। वर्दी वालों के कप्तान ने रतलाम में एमडी जैसे सिन्थेटिक ड्रग्स की शुरुआत करने वाले और इसे फैलाने वालों को धर दबोचा। कप्तान की नजर अब उन पर है,जिनके जरिये ये जहर रतलाम तक पंहुचता है। इस पूरे गोरखधन्धे में कई सारे सफेदपोश भी शामिल है। कप्तान का दावा है कि जल्दी ही ड्रग्स के डर को पूरी तरह दूर कर दिया जाएगा।

बडी बात ये है कि जेहादी जहालत और ड्रग्स के कारोबार का आपसी कनेक्शन भी तगडा है। ड्रग्स के कारोबार से पैदा होने वाली रकम जेहादी जहालत के कामों पर खर्च होती है। जेहादी जहालत रखने वाले कई सारे लोग भी ड्रग्स के कारोबार में लगे हुऐ है। गनीमत ये है कि वर्दी वाले अब दोनो ही खतरों को काबू में लाने पर काम कर रहे है। लेकिन जो सफेदपोश इन दोनो ही खतरों के पीछे सक्रिय है,उनपर कडी कार्यवाही भी बेहद जरुरी है।

“सर तन से जुदा” के नारे लगाने वाले चेहरे तो विडीयो फुटेज से मिल सकते है,लेकिन इन चेहरों को वहां बुलाने वाले सफेदपोशों की तलाश करने के लिए वर्दी वालों को ज्यादा मशक्त करना पडेगी। उम्मीद की जाए कि वर्दी वालें ऐसे लोगों को भी सींखचों के पीछे भेजेंगे।

कालोनाईजर बनी शहर सरकार

शहर की समस्याएं दूर करने के लिए सीवरेज सिस्टम की व्यवस्था की जा रही थी,लेकिन अब सीवरेज सिस्टम खुद एक समस्या बन गया है। इसका कारण पता करने पर पता चला कि सीवरेज के लिए केन्द्र और राज्य ने अपने अपने हिस्से की रकम तो दे दी,लेकिन शहर सरकार के हिस्से की रकम शहर सरकार के पास थी नहीं,इसलिए काम पूरा नहीं हो पाया। इसी के चलते सिस्टम खुद समस्या में तब्दील हो गया।

शहर सरकार के नए साहब करीब तेईस साल बाद फिर से शहर सरकार सम्हालने आए है। ये दरबार जब पहली बार शहर सरकार का जिम्मा सम्हालने आए थे,उस वक्त शहर में कच्चे शौचालयों और सुअलों की भारी समस्या थी। दरबार ने बडी खूबसूरती से इन समस्याओं का निराकरण किया था। ये निराकरण भी ऐसा किया था,कि तब से आज तक फिर ये समस्याएं पैदा नहीं हो पाई।

शहर सरकार के दरबार जब दोबारा आए तो सीवरेज समेत कई नई समस्याएं सामने है। तमाम समस्याओं के हल में शहर सरकार की कडकी हालत बडी बाधा है। शहर सरकार की कमाई का बडा हिस्सा वेतन भत्तों में खर्च हो जाता है। जब तक शहर सरकार के पास माल नहीं होगा समस्याएं हल नहीं हो सकती। शहर सरकार की कडकी दूर करने के लिए नए साहब ने नया फार्मूला ढूंढा है। दरबार ने देखा कि शहर सरकार की मालकियत की एक बेशकीमती जमीन खाली पडी है। दरबार ने इस जमीन से शहर सरकार की कडकी दूर करने का तरीका निकाल लिया।

अब तक ऐसा हुआ नहीं था,लेकिन अब हो रहा है। शहर सरकार कालोनाईजर बन रही है। शहर सरकार अपनी मालकियत की जमीन पर कालोनी काट रही है। इसके करीब डेढ सौ प्लाट बेच कर कडकी दूर की जाएगी और इससे मिलने वाली रकम से अधूरी योजनाओं को पूरा किया जाएगा। स्वतंत्रता दिवस के बाद किसी भी दिन शहर सरकार की कालोनी के प्लाटों की बुकींग शुरु कर दी जाएगी। उम्मीद की जाना चाहिए कि कालोनाईजर बनकर शहर सरकार शहर की समस्याओं का निराकरण करने में सफल रहेगी।

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