पूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण और फिटनेस प्रमाण पत्र के बाद बाबा की सवारी में शामिल होता है श्यामू हाथी
उज्जैन,08अगस्त(इ खबर टुडे/ब्रजेश परमार)। भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी में उनके मनमहेश स्वरूप को अपनी पीठ पर सवार कर नगर भ्रमण करवाने वाले श्यामू (एशियन मादा हथनी) को इसके लिए बडी मशक्कत करना पडती है। उसे हर सप्ताह दो दिन के पूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण के दौर से गुजरना पड़ता है। डाक्टरों के पूर्ण फिटनेस प्रमाणीकरण के उपरांत ही श्यामू को सवारी में शामिल किया जाता है। उसके बावजूद सवारी में पूरे समय उसे वन विभाग के रेस्क्यू दल और पशुचिकित्सकों की निगरानी में रहना पड़ता है।
भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी सावन एवं भादो मास में निकाली जाती है। इसमें दुसरी सवारी से ही श्यामू का काम शुरू हो जाता है। पहली सवारी में भगवान के मन महेश स्वरूप को रजत पालकी में निकाला जाता है उसके उपरांत सभी सवारी में मन महेश स्वरूप को हाथी पर सवार कर निकाला जाता है। इससे पहले रामू (एशियन मादा हाथी) करीब 4 दशक तक भगवान की सवारी में निकली थी। उसकी 2018 में मौत होंने के उपरांत श्यामू यह जिम्मेदारी निर्वहन करती है।
श्यामू का खाना पीना सब डाक्टरों की देखरेख में
पशु चिकित्सक अरविंद मैथनिया बताते हैं कि श्यामू एशियन मादा हाथी है। इसकी उम्र 26 वर्ष है।सोमवार को निकलने वाली सवारी के लिए इसके स्वास्थ्य पर रविवार से ही पूरी नजर रखी जाती है। रविवार रात को उसे हल्का खाना दिया जाता है जिससे की उसे गैस की समस्या खड़ी न हो जाए। उसे डायजेशन के लिए कभी कभार चूर्ण देकर पेट साफ रखा जाता है। सोमवार को सुबह वरिष्ट पशु चिकित्सक मुकेश जैन एवं वन विभाग के अधिकारी की उपस्थिति में उसका फिजिकल एवं क्लिनिकल टेस्ट किया जाता है। इसमें उसकी एक्टिविटी देखी जाती है। उसका व्यवहार सामान्य है या नहीं। उसके खाने का तरीका कैसा है? वह अपने महावत के आदेश का पालन किस तरह से कर रहा है ? इसके साथ ही थर्मामीटर से उसके गुदा द्वार से कोर टेंम्प्रेचर की जांच की जाती है।टेम्प्रेचर 95-97 डिग्री फेरेनहाईट से अधिक होने पर उसे दवा दी जाती है।उसके बाद ही उसे फिटनेस प्रमाणीकरण सवारी के लिए दिया जाता है। वन विभाग के डिप्टी रेंजर मदन मौरे बताते हैं कि श्यामू को विभाग की तरफ से लायसेंस जारी किया गया है। पूर्व में यह लायसेंस स्व.टायगर गिरी महाराज के नाम से था अब यह लायसेंस शरमन गिरी के नाम से जारी पूर्न पंजीयन है। सवारी के दौरान पशु चिकित्सक, वन विभाग के अधिकारी एवं अन्य कर्मचारियों के साथ रस्से एवं ट्रेंक्यूलाईज गन को साथ लेकर किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार होकर पीछे चलते हैं।
आसाम के व्यापारी अकरम से खरीदा था टाईगर गिरी ने
श्यामू मादा हाथी के मालिक शरमनगिरी बताते हैं कि उनके गुरू स्वर्गीय टाइगर गिरी महाराज श्यामू को आसाम से अकरम अली खान नामक व्यापारी से खरीद कर 2006 में मात्र 8 वर्ष का लेकर आए थे। इस हाथी के जन्म का प्रमाणीकरण 8 नवंबर 1997 भी उनके पास उपलब्ध है। जिला वन विभाग में उन्होंने पंजीयन के साथ ही लायसेंस भी ले रखा है। प्रत्येक सवारी में शामिल होने के लिए उन्हें हाथी का मेहनताना पांच हजार एक सौ रूपए श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति देती हैं। सभी सवारियों के अंत में यह पैमेंट उनके बैंक खाते में जमा किया जाता है। इसके साथ ही मंदिर प्रबंध समिति उन्हें घास, चारा, सुकला, आटा भी देती है। सवारियों के उपरांत साल के शेष दिनों में महाकाल क्षेत्र एवं हरसिद्धि क्षेत्र में उनके हाथी को खडे रहने पर श्रद्धालू ककड़ी, कद्दू, केले, पपीता खिलाते हैं उनके आश्रम स्थल शिव सप्तेश्वर महादेव मंदिर में भी कई भक्त आकर हाथी के लिए चारा, बाटी एवं अन्य सामग्री उपलब्ध करवाते हैं।