सृजन भारत के सुझाव पर बनी पीएम प्रणाम योजना, 3.70 लाख करोड़ बचत से रासायनिक उर्वरकों के साथ साथ गन्दगी और कचरे से भी मिलेगी मुक्ति, ग्रामीणो को मिलेगा रोजगार
रतलाम,09 जुलाई (इ खबरटुडे)। देश के खाद्यान्न संकट को दूर करने के लिए कृषि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों को लगातार बढावा दिया जाना पड़ा जिससे धीरे – धीरे भूमि की ऊर्वरकता कम हो गई। रासायनिक कीटनाशकों के जहर से नागरिकों को कई तरह की बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। सृजन भारत के ने 16 वर्ष पूर्व ही भविषय मे आने वाली इस समस्या को भांप कर सरकार को समय के पूर्व चेताना प्रारंभ किया था। अंततोगत्वा लंबे सोच विचार के बाद श्री झालानी के द्वारा रोपे गए सुझाव अब सरकार ने पीएम प्रणाम योजना (Prime minister pragati EVAM fuokj.k for agriculture finance in motion) को मंजूरी दे कर फलीभूत किया है । जिसके अन्तर्गत चरणबद्ध तरीके से देश में रासायनिक उर्वरकों की सब्सिडी खत्म करते हुए जैविक खाद को प्रोत्साहित किया जाएगा।
रासायनिक खाद व कीटनाशक खरीदने के लिए किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी बढते बढ़ते आज लगभग 1-50 लाख करोड़ रु. तक जा पंहुची और तब जाकर सरकार की आँखें खुली। सरकारी सब्सिडी के प्रयासों से कृषि उत्पादन तो बढ़ा। लेकिन धीरे धीरे भूमि की उर्वरता समाप्त होने लगी। रासायनिक जहरीले कीटनाशकों और खादों के उपयोग के कारण कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियां भी बढ़ने लगी। इन समस्याओं के लगातार विकराल होते जाने के साथ ही कृषि में जैविक और प्राकृतिक खादों व कीटनाशकों के उपयोग की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग के आदी हो चुके किसानों को जैविक खाद की ओर मोडना बेहद कठिन काम साबित हो रहा है। क्योंकि जैविक खाद के उपयोग से उत्पादन में आने वाली कमी जैविक खाद की अनुपलब्धता और नकली जैविक खाद जैसी समस्याओं के चलते किसान जैविक खेती के प्रति अब तक आश्वस्त नहीं हो पा रहे है।
इस जटिल समस्या के समाधान के लिए सृजन भारत के संयोजक अनिल झालानी ने सर्वप्रथम वर्ष 2007 में तात्कालीन मनमोहन सरकार को रासायनिक खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी को शैने-शैने रोककर इसकी बचत से जैविक खाद बनवाने की दिशा में एक दूरदर्शी योजना का बीज मंत्र देकर। पहल करी।
वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की, तब इस अभियान से जोड़ते हुए, एक विस्तृत नीतिपत्र तैयार कर रासायनिक खाद के बदले जैविक खाद, उसके उत्पादन, रोजगार और उसकी वितीय व्यवसथा से संबंधित एक संपूर्ण आलेख प्रकाशित किया।
अपने प्रयासों को जारी रखते हुए वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर यूरिया खाद के आयात को बन्द करने जैविक खाद को प्रोत्साहन देने के लिए उपयोगी सुझाव दिए थे। 25 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री को प्रेषित अपने पत्र में श्री झालानी ने कहा कि देश के किसान रासायनिक खाद पर पूरी तरह आश्रित हो चुके है और पशुओं के गोबर व खेती बाडी के कचरे से मेहनत करके गांव गांव में जैविक खाद बनाने की परम्परा समाप्त हो चुकी है।जबकि इस तरह से गांवों में सफाई भी हो जाया करती थी।
श्री झालानी ने सुझाव दिया था कि रासायनिक खाद का आयात बन्द करने और जैविक खाद को बढावा देने की योजना के प्रथम चरण में शासन को यह घोषणा करना चाहिए कि शासन तीन वर्ष की अवधि तक किसानों को सिर्फ भारत में उत्पादित रासायनिक खाद ही अनुपातिक रुप में उपलब्ध कराएगी और उसका आयात प्रतिवर्ष कम करते हुए तीन वर्षों में पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में किसान भाईयों की अपनी आवश्यकता की खाद या तो स्वयं बनाकर या कहीं से जैविक खाद खरीदकर प्राप्त करना पड़ती। इसके लिए शासन प्रत्येक किसान को स्वयं की आवश्यकता के लिए खाद बनाने पर किसानों को आवश्यक सहयोग व सहायता उपलब्ध कराएगा। इस प्रकार योजनाबद्ध ढंग से काम करने पर रासायनिक खाद के आयात बन्द कर बहूमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत करते हुए जैविक खाद उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सकता है और इससे रासायनिक खादों पर दी जाने वाली सब्सिडी की राशि से स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन भी किया जा सकता है।