November 8, 2024

उंडासा पर पंचक्रोशी यात्रियों का सबसे बड़ा जमावड़ा, कालियादेह पर 150 यात्री ही

गुरूवार दोपहर बाद से ही सिर पर पोटली लिये यात्रियों की नगर में दस्तक, आज होगी अष्टतीर्थ यात्रा, दोपहर में सबसे बड़ा कारवां करेगा नगर प्रवेश

उज्जैन 17 अप्रैल(इ खबरटुडे)। सिर पर पोटली और मन में आस्था, यात्रा की पूर्णता पर चेंहरे पर झलकता विश्वास लिये यात्री नागचंद्रेश्वर भगवान को यात्रा बल लौटाने और रामघाट पर विश्राम के लिये पहुंच रहे थे। इधर सबसे बड़ा कारवां गुरूवार को उण्डासा पड़ाव पहुंच गया था। जो आज दोपहर में गाजे-बाजे के साथ कोयला फाटक से नगर प्रवेश कर नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर, पटनी बाजार पहुंचेगा। यहां यात्रा का बल लौटाने के साथ ही श्रध्दालु रामघाट पर विश्राम करते हुए रात्रि में कर्कराज महादेव मंदिर से अष्टतीर्थ यात्रा शुरू करते हुए रणजीत हनुमान, कालभैरव, बावन कुण्ड, सिध्दवट, मंगलनाथ, सांदीपनी आश्रम होते हुए यात्रा का पुण्य प्राप्त कर घर को रवाना होंगे। आस्था और विश्वास की पंचक्रोशी यात्रा पूर्णता की ओर है हालांकि गुरूवार को छिटपुट संख्या में पंचक्रोशी यात्रियों ने नगर में दस्तक देना शुरू कर दी थी। करीब 2 हजार यात्रियों का जत्था सबसे आगे चल रहा था। यह जत्था बुधवार को ही उण्डासा पड़ाव पहुंच चुका था। उण्डास से यात्रा शुरू कर दोपहर बाद से ही नगर में पंचक्रोशी यात्रियों का आगमन शुरू हो गया था। इस पांच दिवसीय पंचक्रोशी यात्रा में प्रशासन के अनुमानित करीब 29 हजार श्रध्दालु यात्रा कर रहे हैं जबकि धर्मालुओं के अनुसार करीब 40 हजार श्रध्दालु इस यात्रा मार्ग के अलग-अलग पड़ाव पर हैं। जहां-जहां पड़ाव डाले यात्रि विश्राम कर रहे हैं वहां-वहां ग्रामीण संस्कृति की झलक, भजन-कीर्तन के संग भक्ति के रंग, दालबाटी चुरमा जैसे व्यंजन की महक दिखाई पड़ रही है।
पंचक्रोशी यात्रा का महत्व प्रतिपादित करते हुए धर्मालु कहते हैं कि संपूर्ण भारत वर्ष के मानवाकार मानचित्र के मध्य भाग में विराजित मध्यप्रदेश एवं उसके भी मध्य नाभिस्थान में स्थित भूतभावन भगवान महाकालेश्वर की यह अवंतिका नगरी जिसे विश्व में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। जिसे अमृत्स्य नाभि कहा गया है। जो योतिषीय गणना का सर्वोत्तम स्थान हैं। स्कन्द पुराण का एक संपूर्ण खण्ड अवंतिका खण्ड के नाम से विख्यात है एवं अवंतिका की गौरवमयी गाथा से भरा है, जिसमें अवंति क्षेत्र अनेकानेक यात्राओं का वर्णन है, जिसमें कई यात्राएं तो समाप्त प्राय: हो चुकी है तथा कुछ यात्राओं में से पंचेशानी यात्रा या पंचक्रोशी यात्रा अपने प्राचीन वैभव को समृध्द कर रही है। नेमीशारणय एवं पंचक्रोशी यात्रा प्राचीनकाल से आज तक अनवरत चल रही है। पुराणों में कहा गया है –
पदे पदे या परिपूजकेभ्य: सद्यो श्वमेघादि फलंददाति।
समस्त पाप क्षय हेतु भुतां प्रदशिणाते परित: करोमि॥
अर्थात जब देवपूजा क्रम की पूर्ति के लिए परिक्रमा करता है तो वह एक-एक पग अश्वमेघ यज्ञ करने का फल प्राप्त करता है तथा अपने संपूर्ण पापाें को समूल नष्ट करता हुआ शिव सानिध्य प्राप्त करता है। यह यात्रा 118 किमी की है। जो अवंतिका नगरी के चारों द्वारों पर शिव के आराधना के साथ-साथ भगवान महाकालेश्वर का अर्चन विधान परिपूर्ण कर साधक को अपार संतुष्टि प्राप्त होती है।
इस यात्रा निशक्त यात्रियों के सहयोग हेतु सेवा, शक्ति एवं समर्पण के लक्ष्य को धारण कर हनुमान भक्त मंडल के माध्यम से पंचकोशी यात्रा में शिवरथ निरंतर 21वें वर्ष भी अपनी सेवाएं दे रहा है, जिसमें अब तक पड़ावों में पूर्व द्वार अधिपति पिंग्लेश्वर महादेव, दक्षिण द्वारा अधिपति कायावरूणेश्वर महादेव, पश्चिम द्वारा अधिपति बिल्केश्वर महादेव के दर्शन उपरांत उंडासा में शिवरथ का पड़ाव रहा। विस्तृत जानकारी देते हुए शिवरथ संरक्षक पं. कमलेश पंचोली एवं शिवरथ प्रभारी रवि प्रजापत ने बताया कि, प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी शिवरथ संपूर्ण यात्रा मार्ग में यात्रियों की सेवा के लिए धर्म एवं आस्था के केंद्र के रूप में विद्यमान है। गुरूवार शिवरथ उंडासा पड़ाव पर पहुंचा जहां समाजसेवी भगवानदास प्रजापत एवं वरिष्ठजनों ने शिवरथ की आरती एवं पूजन किया एवं रात्रि में भजन-कीर्तन के साथ पड़ाव पर विश्राम के उपरांत आज दोपहर 12 बजे नगर प्रवेश करेगा। हनुमान भक्त मंडल के संयोजक अशोक प्रजापत ने उजैन की धर्मप्राण जनता एवं सामाजिक- धार्मिक संस्थाओं, वित्तीय संगठन, अर्धशासकिय संगठनों एवं होलसेल किराना एसोसिएशन, बर्तन व्यापारी एसोसिएशन, आभूषण निर्माता एवं विक्रेता एसोसिएशन एवं अन्य अनुषांगिक संगठनों से अपील की है कि वे नगर प्रवेश पर पंचकोशी यात्रियों एवं शिवरथ का अपने स्तर पर भव्य स्वागत करें।
आज शुक्रवार को शिवरथ हीरामिल गेट से दोपहर 12 बजे विधि-विधान से पूजन के पश्चात नगर प्रवेश हेतु प्रस्थान करेगा जो कि कोयला फाटक, चामुण्डा माता चौराहा, मालीपुरा, दौलतगंज, फव्वारा चौक, एटलस चौराहा, नई सड़क, कंठाल, सतीगेट, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा, कार्तिक चौक, दानीगेट चौरहा होते हुए क्षिप्रा तट (छोटी रपट) पर पहुंचेगा। यहां पर रथ की आरती की जावेगी एवं यहा से रथ अष्टतीर्थी यात्रा के लिए रवाना होगा।
इस अवसर पर शिवरथ पर सेवा देने वाले सदस्यों में पं.कुलदीप जोशी, पं.लोकेन्द्र श्रोत्रिय, गोपाल सोनी, हिमांशु सोलंकी, विष्णु आरोण्या, छगनलाल चक्रवर्ती, सुभाष जायसवाल, बबलू शुक्ला, केशरसिंह पटेल, ऋषि तिवारी, गिरीश शर्मा, दिलीप शर्मा, किशोर पहलवान, निर्मल चौऋषिया, रमेश पुरोहित, शांतिलाल देतवाल, अरविंद शर्मा चांदबड़, जीवन दादा लोदिया, वीरेन्द्र चौहान, अनिल प्रजापत, मंगल कुंभकार, सचिन नगरिया, योगेश नगरिया, चिन्तामण भगत, शैतान सिंह, बबलू शर्मा ,दिल्लू पहलवान, विजय पटेल एड., अशोक गर्ग आदि। यह जानकारी शिवरथ प्रभारी रवि प्रजापत ने दी।

चंदन का तिलक लगाकर एम ग्रुप भी करेगा यात्रियों का स्वागत

आज पंचक्रोशी यात्रियों को एम ग्रुप उजैन द्वारा चंदन का तिलक लगाकर तथा उन्हें बिस्किट का वितरण कर उनका अगवानी की जायेगी। एम ग्रूप अध्यक्ष देवांक माते ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी पंचक्रोशी यात्रियों का चंदन का तिलक लगाकर उनका पुष्पहार तथा पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया जायेगा। कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील कुश आठिया, अंशुल आठिया, अभिषेक भारद्वाज, प्रवेश माते, सुमित पाटीदार, नरेन्द्र वर्मा, शुभम नरवरिया, रवि माली, अमेय शर्मा द्वारा की गई।

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