कांग्रेसी उलझे राहुल की सदस्यता बहाली में;भाजपा चुनावी तैयारी में जुटी
-चंद्र मोहन भगत
सूरत के न्यायालय के निर्णय मैं राहुल की सदस्यता समाप्त होने के बाद से सभी विपक्षी दल भौचक हैं और बहुत से दलों के सदस्यों को यह डर भी सताने लगा है कि कहीं बीते वर्षों में उनके सार्वजनिक भाषणों में भी आलोचक वाक्य कहीं राहुल गांधी के वाक्य के बराबर है या ज्यादा गहरे अर्थ वाले ना निकल गए हो ! पुराने भाषणों की तलाश शुरू हो गई एक दूसरे के विरोधी आपत्तिजनक हिस्सा तलाशेंगे और मौका आने पर निपटाएंगे भी । जैसे अभी राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को निपटा दिया है। कांग्रेस संगठन में अगर गांधी परिवार के किसी भी सदस्य के खिलाफ कहीं कोई आरोप लगे या निर्णय हो जाए तो बगैर देखे भाले आनन-फानन में पूरी कांग्रेस वानर सेना की तरह एकजुट होकर सारे काम छोड़ पूरी ताकत से अपने बंदे के पीछे खड़े होकर आक्रामक बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं ।
भाजपा और सरकारी एजेंसी के खिलाफ विरोध शुरू कर दिया गया है। नतीजा जो भी हो कुछ समय बाद ही आएगा पर इस दौरान कांग्रेसियों का एकमात्र उद्देश्य अपने नेता के बचाव में खड़े रहना होता है । फिर चाहे कांग्रेस संगठन की बाकी गतिविधियां ठप ही क्यों ना पड़ जाए। , कुछ ऐसा बल्कि इससे ज्यादा ही राहुल के खिलाफ निर्णय आने के बाद से नजर आ रहा है । किसी भी राजनीतिक संस्था के सदस्यों के लिए ऐसी एकजुटता समर्पण होना बहुत ही प्रशंसा की बात है । पर ऐसा करने या होने के साथ समय का अनुकूलन उतना ही आवश्यक होता है जितना कि अपने नेता का बचाव को संस्था की प्रगति ।कांग्रेस के लिए राजनीतिक वातावरण प्रतिकूल होकर संगठन के भविष्य की राजनीतिक चुनावी तैयारियों को अधिक प्रभावित कर रहा है ।
पांच बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है। इसके लिए प्रादेशिक संगठनों को अभी से तैयारी शुरू कर देना चाहिए थी । पर सारे ही कांग्रेसियों के लिए सबसे प्रमुख मुद्दा राहुल गांधी की सदस्यता बहाली बन गया है । भाजपा के हाथ तो अंधेरे में बटेर लगने जैसा हो गया है । पूरी कांग्रेस राहुल की बहाली के लिए लड़ते भिड़ते हुए प्रदर्शनों में समय जाया करेगी और भाजपा पांच राज्यों में विधानसभा की तैयारी में जुट जाएगी । हाल ही में भाजपा ने विधानसभा चुनाव की तैयारी के चलते क्षेत्रों में अर्थ पन्ना प्रमुख तक बनाने की घोषणा कर डाली है। जबकि कांग्रेसमें अभी भी कई जिला अध्यक्षों की घोषणा आपसी द्वंद के कारण होल्ड पर रखी गई है ।
क्षेत्रीय से लेकर नुक्कड़ चर्चाओं का सार तलाशे तो ऐसा लगता है कि भाजपा सूरत कोर्ट के निर्णय को भावी विधान सभा चुनावो के लिए बेहतर तरीके से भुना रही है । क्योंकि देश भर के कांग्रेस नेताओं में राहुल गांधी के पक्ष में प्रदर्शन करने की होड़ सी लगी हुई है। कांग्रेसियों की इस स्वामी भक्ति का फायदा उठाते हुए भाजपा ने अर्ध पन्ना प्रमुख बना गलियों के घरों के एक-एक मतदाता तक पहुंचने की तैयारी कर ली है। राजनीतिक परिदृश्य में भी अभी यह साफ नजर आ रहा है कि कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की प्राथमिकता राहुल की सदस्यता की बहाली है। जबकि भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए साल के अंत में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव जीता सरकार बनाना है । कुछ जानकार तो इस निर्णय को भाजपा की चुनावी योजना का दूरदर्शी दावं भी मान रहे हैं। , हो भी सकता है क्योंकि रॉबर्ट वाड्रा को भी आज तक भाजपा जेल नहीं भेज पाई है। राहुल गांधी को भी सजा दिलाने की बजाय होल्ड पर रखा जा सकता है भावी चुनावों में फायदा उठाने के लिए ..!