अनामिक रहकर कार्य करने वाले दिखते नहीं,लेकिन उनके कार्यों से समाज लाभांवित हो रहा है
सेवाभारती के छात्रावास भवन का भूमिपूजन करते हुए श्री सोहनी ने कहा
रतलाम,30 मार्च (इ खबरटुडे)। अनामिक रहकर कार्य करने वाले अनेक ऐसे लोग है, जो दिखते नहीं, लेकिन उनके कार्यों से समाज परिवर्तन के विभिन्न कार्य हो रहे है, समाज का समग्र विकास हो रहा है तथा समाज के विभिन्न लोग लाभांवित हो रहे है। ऐसे केन्द्र आदर्श बने, करणीय बने, प्रेरणादायी बने जिससे समाज के सभी वर्गों का भला हो।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्रीय संघ चालक अशोक सोहनी ने उक्त विचार सुभाष नगर हरिजन बस्ती में रतलाम सेवा भारती द्वारा 25 लाख रुपए की लागत से बनने वाले छात्रावास भवन के रविवार को आायोजित भूमिपूजन समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सेवा से ही परोपकार की भावना प्रबल होती है। समाज के दुखी,अभावग्रस्त,शोषित, पीड़ित बंधुओं के दुखों को आत्मसात कर अनुभव करेंगे तो हम अपने बंधुओं के लिए सेवा कर परोपकार करने को तत्पर हो सकेंगे। जब तक हमारे ह्दय में सेवा का भाव उदित नहीं होगा तब तक हम दुखी व्यक्ति के प्रति सेवा नहीं कर सकते। सेवा की भावना संस्कार में है। कार्य करने से सेवा होती है, बोलने से नहीं। नर सेवा ही नारायण सेवा है। सेवाभारती सहित अन्य जो सेवाप्रकल्प चल रहे है उससे बड़ा कोई पूण्य का कार्य नहीं है।
उन्होंने बाबा आम्टे की सेवाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने उन कुष्ठ रोगियों की सेवा की जिनकी सेवा करने से लोग घबराते है। इतना ही नहीं उनके पुत्र और बहु भी जो चिकित्सक है कुष्ठ रोगियों की सेवा में लगे हुए है।
श्री सोहनी ने कहा कि हमारे देश में अनेक ऐसी दिव्य आत्माएं हुई है, जिन्होंने सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए है। ऐसे लोगों ने सेवा धर्म का निर्वाह अपने जीवन को समर्पित करके पूरा किया है। सेवा के कार्य में संकल्प के साथ ही आत्मभाव की भी जरूरत है। समाज में आमूलचुल परिवर्तन सेवाभाव से ही संभव है। लगभग डेढ़ लाख सेवा प्रकल्प चल रहे है, जिससे समाज में परिवर्तन हुए है और हो रहे है। यह सब समर्पण भाव के कारण ही संभव हो सके है। सेवा कार्य करने से मन को जो शांति मिलती है उसका अलग ही अनुभव होता है। श्री सोहनी ने अपने उद्बोधन में सामाजिक समरसता और समग्र विकास के लिए जहां आत्मीय भाव से कार्य करने की आवश्यकता बताई वहीं यह भी आव्हान किया कि सारे देश में समाज समरस बने, एक बन, सभी में विश्वास उत्पन्न हो, ताकि हम अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ सके।
उद्बोधन के पूर्व श्री सोहनी ने छात्रावास भवन का भूमिपूजन किया। उनके साथ संस्था अध्यक्ष शरद फाटक, विभाग संघचालक माधव काकानी तथा संघ एवं सेवाभारती के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
प्रारंभ में संस्था अध्यक्ष शरद फाटक ने कहा कि रतलाम सेवाभारती द्वारा संचालित एकल विद्यालय के दौरान यह पाया गया कि ग्रामीण एवं वनवासी क्षेत्र के होनहार बालक 5 वीं तथा 8वीं के बाद आगे की शिक्षा नहीं ले पाते है, क्योंकि उनकी आवासीय व्यवस्था काफी खर्चीली होती है। इसी दृष्टि से हमने 25 छात्रों के रहने की व्यवस्था के लिए छात्रावास की योजना बनाई है, जिसमें न्यूनतम शुल्क पर भारतीय संस्कृति के अनुरूप गतिविधियां भी संचालित की जाएगी। बच्चों में अनुशासन व संस्कारित परिवेश ही हमारा लक्ष्य है। उन्होंने संस्था की गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर श्री सोहनी के प्रेरणादायिक उदबोधन से प्रेरित होकर उपस्थित समाजसेवियों ने छात्रावास भवन के लिए सहयोग राशि की घोषणा की। इनमें समाजसेवी एवं विधायक चेतन्य काश्यप ने 1 लाख 1 हजार रुपए गायत्री हास्पीटल ट्रस्ट की ओर से वेदप्रकाश शर्मा तथा सेवाभारती समिति की ओर से शरद फाटक ने 1-1 लाख रुपए देने की घोषणा की। एकल विद्यालय समन्वय समिति की ओर से गोविन्द मालपानी ने 51 हजार रुपए भामसं के जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर शर्मा ने 11 हजार रुपए तथा अन्य समाजसेवियों ने भी इस अवसर पर सहयोग राशि देने की घोषणा की। उल्लेखनीय है संघ के विभाग संपर्क प्रमुख डा. रत्नदीप निगम अपने बालक के मुंडन संस्कार में प्राप्त राशि सेवाभारती को देने की घोषणा पूर्व में कर आदर्श प्रस्तुत कर चुके है।
संचालन डा.रत्नदीप निगम ने तथा आभार एकल विद्यालय समन्वय समिति के अध्यक्ष गोविन्द मालपानी ने व्यक्त किया। समारोह में काफी संख्या में संघ के स्वयंसेवक, सेवाभारती के पदाधिकारी तथा गणमान्य नागरिक समाजसेवी उपस्थित थे।