समय के साथ विकास की कसौटी पर हमेशा खरा उतरा हैं बोहरा समाज: मैं प्रधानमंत्री नहीं आपके परिवार का सदस्य हूं: प्रधानमंत्री मोदी
-पंडित मुस्तफा आरिफ
मुंबई की अरेबिक एकेडमी अल जमिअतुस सैफियाह के उद्घाटन का दिन दावत के इतिहास मे स्वर्णिम दिन के रूप में याद रहेगा। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अल जमिअतुस सैफियाह के मुंबई में नव निर्मित परिसर का शुभारंभ सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब की उपस्थिति में किया।
अरेबिक एकेडमी ‘अल जमिअतुस सैफियाह’ के सूरत, कराची, नैरोबी के बाद मुंबई में खोलने का लगभग दो सौ साल पूर्व मुकद्दस सैयदना अब्दुल कादर नजमुद्दीन साहब ने जो सपना संजोया था पूर्ण हुआ।
इसका संपूर्ण श्रेय वर्तमान सैयदना डाक्टर मुफद्दल सैफुद्दीन साहब को जाता हैं। बोहरा समाज के बहुत निकटस्थ साथी गुजरात की मिट्टी से जुड़े भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी इसका श्रेय डाक्टर सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन को देते हुए कहा कि कोई समुदाय, कोई समाज या किसी भी संगठन की पहचान इससे होती है कि वो समय के साथ अपनी प्रासंगिकता समय की कसौटी पर कितना कायम रखता हैं। समय के साथ विकास की कसौटी पर दाउदी बोहरा समाज ने हमेशा उत्कर्ष कार्य किया और उतरा है। अल- जमिउतस-सैफिया जैसे शिक्षा के केंद्रो का विस्तार इसका जीता जागता उदाहरण हैं।
डाक्टर सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब के नेतृत्व में डाक्टर सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब की शैक्षणिक, सामाजिक और वैश्विक उत्थान की परंपराओं को जिस प्रकार आगे बढ़ाया गया हैं, उसकी गूंज न केवल भारत में अपितु संपूर्ण विश्व में है। अल जामिअतुस सैफिया की मुंबई शाखा परिसर का उद्घाटन करने आए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के उद्बोधन मे इसकी सहमति और झलक दिखाई दी।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के उद्बोधन से साफ स्पष्ट था कि वो बोहरा समाज से बहुत प्रभावित थे या यूं कहें कि वो बहुत अभिभूत दिखाई दिए तो गलत न होगा। उन्होने अपने उद्बोधन के प्रारंभ में कहा कि मै आपसे निवेदन करता हूं कि बार बार प्रधानमंत्री और मुख्य मंत्री के रूप में संबोधित करना बंद करें मैं तो आपके परिवार का सदस्य हूं। मैं दुनिया में कहीं पर भी गया, वो प्यार एक प्रकार से बरसता रहता हैं, जिसका वर्णन असंभव हैं।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सैयदना मोहमद बुरहानुद्दीन साहब के व्यक्तित्व को अद्भुत और चमत्कारी बताते हुए अपनी बात की पुष्टि एक संस्मरण के माध्यम से करते हुए कहा कि मैं सैयदना बुरहानुद्दीन साहब के बारे में सूरत की एक बात हमेशा बताता हूं। मैं ऐसे ही चला गया वहां, 99 साल की उम्र में भी वो बच्चो को पढ़ा रहे थे, मेरे मन को आज भी वो घटना इतनी प्रेरित करती हैं, नयी पीढी को प्रशिक्षित करने का क्या कमिटमेंट था। 99 उम्र में भी बैठकर 800 से 1000 बच्चो को पढ़ाना, मेरे दिल को वो दृश्य हमेशा हमेशा प्रेरणा देता हैं। परिवार का ही सदस्य हूं। और हर बार एक परिवार के सदस्य के रूप में आने का जब भी अवसर मिला मेरी ख़ुशिया दोगुनी हो गई।
कुल मिलाकर मुंबई के मरोल में एकेडेमी के उद्घाटन का समारोह न केवल ऐतिहासिक था अपितु अविस्मरणीय था, जिसे प्रधान मंत्री जैसे अत्यंत निकट और आत्मिक व्यक्तित्व ने आजादी के अमृत महोत्सव के काल में अमृत्व प्रदान कर दिया। इस अवसर पर प्रधान मंत्री मोदी ने स्मरण कराया कि देश जब आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हैं ऐसे में बोहरा भाई-बहनो से निवेदन हैं कि वे गुजरात के दांडी जरूर जाएं जहां सैयदना बुरहानुद्दीन साहब ने शासन के निवेदन पर वो बंगला भेंट कर दिया, जिसमे महात्मा गांधी ठहरे थे, और वहीं से महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा की शुरुआत की थी। इस बंगले को अब गांधी स्मारक का रूप दे दिया गया हैं।
डाक्टर सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब ने भी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को देश के विकास के लिए मिल का पत्थर बनाया। उन्होंने भी प्रधान मंत्री मोदी जी के सैयदना मोहमद बुरहानुद्दीन साहब और बोहरा समाज से उनके संबंधो की सराहना की।
पूर्ण रूपेण अनुशासित दाऊदी बोहरा समाज का यह समारोह भारत की आजादी के अमृत महोत्सव काल में समाज के शिक्षा के क्षेत्र मे योगदान को प्रदर्शित करने का एक ऐतिहासिक और अद्भुत अवसर सिद्ध हुआ, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के उद्बोधन के अमृत पान का रसास्वादन बोहरा समाज के सैयदना साहब की कीर्ति को ताकयामत अमर करेगी। सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब की दुआओं से भारत निश्चित रूप से फलीभूत होगा। आमीन।