Tax Evasion : सर्राफे में अरबों की बिक्री और करोडों की कर चोरी,बिना बिल के हो रहा है सोने चांदी का व्यापार,कर चोरी से घाटे में जा रही सरकार
रतलाम,23 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। दीवाली के सीजन में इस बार सारे बाजार गुलजार हो रहे है और लोग जमकर खरीददारी कर रहे हैैं। देश भर में प्रसिद्ध रतलाम के सर्राफे में भी दीवाली के सीजन में अरबों रुपए का व्यापार हो रहा है। लेकिन इसमें से ज्यादातर व्यापार बिना बिल के किया जा रहा है और व्यापारी जमकर करचोरी कर रहे है। कर चोरी को रोकने वाली एजेंसियां पूरी तरह निष्क्रिय दिखाई देती है। हज़ारो करोड़ की इस कर चोरी से सरकार को राजस्व की बड़ी हानि हो रही है।
रतलाम का सोना पूरे देश में अपनी क्वालिटी के लिए जाना जाता है। इसलिए त्यौहारी सीजन में देश के दूर दराज तक के लोग सोने चांदी के आभूषण खरीदने के लिए रतलाम के सर्राफे चांदनीचौक में आते है। इतना ही नहीं रतलाम के सोने चांदी के आभूषण देश के अन्य राज्यों में बिकने के लिए भेजे जाते है।
लेकिन सोने चांदी के इस अरबों रुपए के व्यापार में जबर्दस्त कर चोरी की जाती है। सर्राफा व्यवसाय की जानकारी रखने वाले सूत्रों का दावा है कि रतलाम के सर्राफे में होने वाले कुल व्यापार का कम से कम सत्तर प्रतिशत व्यापार बिना बिल के किए जाता है और इस तरह हर दिन करोडों की कर चोरी की जाती है।
सर्राफा व्यवसाय से जुडे सूत्रों के मुताबिक सोने के व्यापार की तुलना में चांदी के व्यापार में करचोरी और अधिक होती है। सोने के गहनों को खरीदते समय व्यक्ति अधिक सावधान रहता है और सोने की क्वालिटी को चैक करने के लिए हालमार्क लगवाने की सुविधा भी उपलब्ध है। इसलिए बड़ी खरीददारी करते समय व्यक्ति बिल लेना ठीक समझता है। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या कुल ग्राहकों की संख्या का मात्र तीस प्रतिशत या उससे भी कम है। शेष सत्तर प्रतिशत या उससे भी ज्यादा संख्या उन लोगों की है,जो बिना बिल के ही खरीदी करते है। दुकानदार हाथ का बना कच्चा बिल ग्र्राहक को थमा देते है और ग्र्राहक बिना किसी एतराज के कच्चे बिल से गहने खरीद लेता है।
चांदनीचौक में प्रतिदिन होने वाले हजारों सौदों में कोई इक्का दुक्का ग्राहक अगर किसी दुकानदार से बिल मांग भी लेता है,तो दुकानदार तुरंत टैक्स की राशि जोड कर बढा हुआ भाव बताता है,जिसकी वजह से ग्राहक बिल लेने से इंकार कर देता है।
सोने के गहनों में होने वाली करचोरी से कहीं ज्यादा करचोरी चांदी के गहनों और अन्य वस्तुओं में की जा रही है। चांदी व्यवसाय से जुडे सूत्र बताते है कि रतलाम में दो तीन बडे व्यापारी है,जो चांदी का थोक का व्यवसाय करते है। रतलाम में आने वाली चांदी गुजरात के राजकोट और उत्तरप्रदेश के आगरा इत्यादि स्थानों से आती है। अन्य राज्यों से आने वाली ये टनों चांदी बिना बिल के रतलाम लाई जाती है। बिना बिल की चांदी को लाने के लिए व्यापारियों ने एक नया रास्ता खोजा है। वे “सेल आन एप्रूवल” का एक लैटर साथ में लाते है। इस लैटर के सहारे चांदी यहां बिना किसी दिक्कत के आ जाती है। इसके बाद इस चांदी को छोटे छोटे हिस्सों में छोटे व्यापारियों को बेचा जाता है,जो इनके आभूषण बनाकर मध्यप्रदेश राजस्थान और गुजरात आदि प्रदेशों के बाजारों में इसे बेचते है। ये पूरा व्यापार धडल्ले से बिना बिल के ही चलता है।
इसके अलावा चांदी के खुदरा बाजार में भी जमकर अनियमितताएं की जा रही है। सूत्र बताते है कि सोने में जहां हालमार्किंग की सुविधा उपलब्ध है,वहीं चांदी में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। चांदी की सबसे ज्यादा खरीद बिक्री आदिवासी वर्ग द्वारा की जाती है। सूत्र बताते है कि कई व्यापारी आदिवासियों को अत्यन्त कम गुणवत्ता वाली मिलावटी चांदी शुद्ध बताकर बेच देते है और पूरी कीमत वसूलते है,लेकिन जब वहीं चांदी आदिवासी दोबारा बेचने के लिए बाजार में पंहुचता है,तो उसे चांदी की कीमत का सिर्फ साठ प्रतिशत ही वापस मिलता है। उसे बताया जाता है कि चांदी में 40 प्रतिशत खोट है।
सर्राफे में ऐसे कई व्यापारी है,जो चांदी के व्यापार में चांदी काट रहे है। एक तरफ तो कम क्वालिटी की चांदी की पूरी कीमत वसूलते है,दूसरी तरफ इस पर किसी तरह का टैक्स भी नहीं चुकाते।
टैक्स चोरी में बडा हाथ उन बडे शोरुम्स और ब्रान्ड्स का है,जो अब स्वयं को कारपोरेट में बदल रहे है। कारपोरेट कंपनी बनने के बावजूद इन संस्थानों की कार्यप्रणाली कस्बाई तौर तरीकों वाली ही बनी हुई है। चूंकि ग्राहकों का भरोसा इन दुकानों पर है,इसलिए वे बिना किसी हिचक के बिना बिल के आभूषण बेचते है। बडी कंपनियों को रेकार्ड में बिलिंग भी दिखानी होती है। इसलिए वे कुछ सौदे तो बिल वाले करते है,लेकिन ग्राहक द्वारा बिल ना मांगे जाने पर वे बिल देने का कोई उपक्रम नहीं करते। रेकार्ड में बिल दिखाने के लिए बाद में बिल तैयार कर लिए जाते है। ग्राहक के पास बिल ना होने से उसके उपभोक्ता के अधिकार सृजित नहीं हो पाते। और यह स्थिति दुकानदार के लिए फायदेमन्द साबित होती है। क्योकि बिल के अभाव में उपभोक्ता की किसी भी शिकायत को सुनने से इंकार किया जा सकता है।
कुल मिलाकर अरबों के व्यापार से व्यापारी तो जमकर कमाई कर रहे है,लेकिन सरकार को जमकर नुकसान पंहुचाया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि यदि अकेले रतलाम के सर्राफा बाजार के सारे सौदे बिल से होने लग जाए,तो प्रदेश को हजारों करोड रु. का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने लग जाएगा,जिसका उपयोग प्रदेश के विकास में किया जा सकता है।