November 25, 2024

कहानी

पिंकी आज बहुत खुश थी,क्योंकि आज उसके मनपसंद भगवान गणेश जी का घर में आगमन हो रहा था, इसलिए आज सुबह वह सबसे पहले उठ गई,फिर उसने मम्मी पापा को भी उठाया। उठते ही उसने पूरे घर में धूम मचा दी ! पिंकी दादा दादी मम्मी पापा की लाडली थी, इसलिए उसकी कई शेतानियों को तो यूँही टाल दिया जाता है । भले ही पिंकी नौ वर्ष की है , किन्तु वह बातों में किसी से कम नही! नटखट, हमेशा शरारत तो उसकी आंखों में दिखती रहती, रंग गोरा थोड़ी सी गोलू मोलू छोटे बालों में एक दम गुडिय़ा जैसी लगती,जो भी उसे देखता उससे बात किये बिना नही रह सकता। अगर उससे बात कर ली तो समझ लो अब उससे पीछा  छुड़ाना ना मुमकिन होता। इतने सवाल करती मानो सवालों की पुडिय़ा हो। कुछ इसी तरह का स्वभाव है, पिंकी का।

खैर आज उसने सभी को सुबह जल्दी जल्दी उठा दिया। सभी ने पूछा अरे! “पिंकी क्या हुआ क्यों इतनी जल्दी उठा रही हो”? पिंकी खुश होते हुए बोली आज गणेश जी आने वाले है, उनके स्वागत के लिए सभी को आज जल्दी उठकर तैयारी करना चाहिए। सभी ने थोडी आनाकानी की तो पिंकी जोर से चिल्लाई उठो…… सभी! उठ कर सभी अपने नित्य काम करने लगे। पिंकी ने सबसे पहले गणेश जी जहां बैठेगें वहां की सफाई और तैयारी की। साथ सुंदर सुंदर फूल और झालर से उस घर को सजाया। सभी लोग उसका ये काम देख बहुत खुश हुए। पिंकी की मां ने नाश्ता बना कर डाइनिंग टेबल पर रखा और सभी को आवाज लगाई,! नाश्ता तैयार है……., नाश्ता करने के लिए सभी आ जाए, सभी लोग आ गए टेबल पर किंतु पिंकी नही आई, इसलिए उसकी मां उसे देखने बाहर के बारांडे में गई तो देख कर अवाक रह गई! पिंकी ये क्या किया? ये शब्द सुन सभी चौंक कर बाहर आ गए, ‘कितनी सुन्दर बना दी यह जगह ‘!….सभी ने ‘पिंकी की पीठ थपथपाई और तारिफ की’। सभी हंसते हुए डाइनिंग टेबल पर आए,बैठकर नाश्ता करने लगे।

पिंकी बोली गणेश लेने कब चलेगेंं? पिंकी के पापा बोले चलते …चलते ….है। थोड़ा इंतजार तो करो। सभी हंसने लगे। पिंकी के पापा बोले इस बार बड़े गणपति लाते है। सभी के घरों में बडे बडे गणपति जी होते हैं। इस बार हम भी बडे वाले ही गणपति जी लाते है। सभी बोले हां सही कहा….। बात खतम हुई ही, थी कि पिंकी की मां बोली पिछली बार बड़े घमंड के साथ शर्माइन बोल रही थी,कि हमारे यहां तो हमेशा बडे वाले ही गणेश जी लाते है। सभी लोग गणेश जी के आकार की बात कर रहे थे,किंतु पिंकी चुपचाप कहीं दूसरे ख्यालों में खोई हुई थी । पिंकी को चुप देख पिंकी के पापा बोले,- “पिंकी तुम क्यों चुप हो…,”? तुम भी तो बताओ ! कैसी गणेश जी की प्रतिमा लानी चाहिए,  पिंकी उदास होकर बोली पापा पिछली बार मेरी स्कूल बस नदी वाले रास्ते से आ रही थी। उस समय मैंने देखा कि ‘नदी किनारे सभी बडे बडे गणेश जी टुटे फूटे हालात में कचरे जैसे पड़े हुए थे’। वहीं कुछ जानवर और इंसान भी घूम रहे थे। ‘गणेश जी की मूर्तियों के टुकड़े सभी के पैरो के नीचे आ रहे थे’, पिंकी की यह बात सुन सभी चुप हो गए।

पिंकी बोली “पापा सभी लोग दस दिनों तक पूजा पाठ करते, उनका ख्याल रखते है”, फिर उनको ऐसे क्यों फैंक देते है? पिंकी का यह प्रश्न सुन सभी निरुत्तर हो गए। पिंकी की दादी बोली बेटा फेंकते नही है उनका विसर्जन करते है। पिंकी बोली विसर्जन तो पानी के अंदर किया जाता है। फिर नदी के बाहर टुटी फूटी हालात में क्यों मिलती है मुर्तियां? दादी बोली पानी के बहाव के साथ बाहर आ जाती है,पिंकी बोली पर दादी नदी में तो मछलीयां भी रहती हैं। लोग ‘गणेश जी की प्रतिमा के साथ उनके मोती हार कपड़े भी नदी में ही डाल देते है’, “तो बैचारी मछलियां भी खा कर मर जाती होगीं,” दादी पिंकी का ये प्रश्न सुन फिर चुप हो गई, पिंकी बार बार पूछ रही थी बताओं न दादी….। पिंकी बोली – दादी  “गणेश जी तो मिट्टी के बनाए जाते है तो फिर पानी में क्यों नही घुलते है” ? दादी बोलती उससे पहले पिंकी के पापा बोले नही पिंकी आजकल तो ‘प्लास्टर ऑफ पैरिस’ से बनाए जाते है, जो कि पानी में एक दम नही घुलते। महीनों लग जाते है,इसलिए विसर्जन के बाद नदी किनारे खंडित मुर्तिया पड़ी रह जाती। यह सब सुन पिंकी और उदास हो गई।

Vaidehi Kothari

चारों ओर खामोशी का माहौल छा गया। खामोशी को तोड़ते हुए पिंकी की मां बोली ‘”पिंकी अब तुम दूध पियो फिर तैयार भी तो होना है”। “बताओं आज क्या स्पेशल बनाए गणेश जी के आगमन पर “, पिंकी बोली पर मां अभी तो गणेश जी कौनसे लाने है,वो भी तय नही हुआ। सभी बोले पिंकी तुम बताओं,- पिंकी बोली अपन छोटे से मिट्टी के गणेश जी लाएगें। पिंकी की बात सुन सभी खुश हुए। पर बडो के मन में पिंकी के सारे प्रश्न घूम रहे थे। क्या जिस तरह हम विसर्जन करते हैं वह सही है? दस दिनों तक जिनकी आराधना मान करते हैं, क्या विसर्जन पश्चात मुर्तियों का अपमान सही है ?

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