Good News/देश में अब मॉडर्ना वैक्सीन का रास्ता साफ,सरकार ने की घोषणा
नई दिल्ली,29 जून (इ खबरटुडे)। देशवासियों के लिए अच्छी खबर है। मॉडर्ना वैक्सीन के भारत आने का रास्ता साफ हो गया है। सिप्ला को मॉर्डना वैक्सीन के आयात के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की मंजूरी मिल गई है। सरकार ने मंगलवार को इसे लेकर घोषणा की।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित पहली वैक्सीन मॉडर्ना को ‘न्यू ड्रग परमिशन’ दिया गया है। यह मंजूरी सीमित उपयोग के लिए है। इस तरह से देश में अब चार वैक्सीन हैं। इनमें कोवैक्सीन, कोविशील्ड, स्पुतनिक-वी और मॉडर्ना शामिल हैं। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने यह जानकारी दी। इससे पहले बताया गया था कि भारत का दवा नियामक डीसीजीआई मॉडर्ना की कोविड वैक्सीन के आपात उपयोग को जल्द ही मंजूरी दे सकता है।
पॉल ने यह भी बताया कि ये चार वैक्सीन (कोवैक्सीन, कोविशील्ड, स्पुतनिक-वी और मॉडर्ना) स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए पूरी तरह सुरक्षित हैं। वैक्सीन का बांझपन से कोई संबंध नहीं है। इससे पहले एक सूत्र ने बताया था, ‘डीसीजीआई ने ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स एक्ट,1940 के तहत नई औषधि एवं क्लिनिकल परीक्षण नियम, 2019 के प्रावधानों के मुताबिक सिप्ला को देश में सीमित आपात उपयोग के लिए मॉडर्ना के कोविड-19 टीके का आयात करने की अनुमति दे दी है।’
मॉडर्ना ने एक अलग पत्र में सूचना दी है कि अमेरिका ने यहां उपयोग के लिए कोविड-19 के अपने टीके की एक विशेष संख्या में खुराक ‘कोवैक्स’ के जरिये भारत सरकार को दान में देने की सहमति दी है। साथ ही उसने इसके लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से मंजूरी मांगी है। वहीं, भारतीय बहुराष्ट्रीय औषधि कंपनी सिप्ला ने अमरिकी फार्मा कंपनी की ओर से इन टीकों के आयात और विपणन की अनुमति मांगी है।
कोवैक्स कोविड-19 के टीके के न्यायसंगत वितरण के लिए एक वैश्विक पहल है। सीडीएससीओ भारत में महामारी की स्थिति को देखते हुए जनहित में देश में आपात उपयोग के लिए सिप्ला को कोविड-19 के मॉडर्ना के टीके के आयात की अनुमति देने के पक्ष में था।
सिप्ला ने सोमवार को एक आवेदन देकर इस टीके के आयात की अनुमति मांगी थी। उसने 15 अप्रैल और एक जून के डीसीजीआई नोटिस का हवाला दिया था नोटिस में कहा गया था कि यदि टीके को आपात उपयोग अधिकार (ईयूए) के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) की ओर से अनुमति दी जाती है, तो टीके को बिना ‘ब्रिजिंग ट्रायल’ के मार्केटिंग का अधिकार दिया जा सकता है। इसके अलावा हर खेप को केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल), कसैली से जांच कराने की जरूरत की छूट मिल सकती है।