BJP / गृह मंत्री मिश्र के बिगड़े ‘ग्रह’! भाजपा के दिग्गज नेताओं ने नहीं दिया मुलाकात का समय
भोपाल/,12 जून (इ खबरटुडे/तुषार कोठारी )। मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के राजनीतिक ग्रह तेजी से बिगड़ते दिख रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के तमाम वरिष्ठ चेहरों ने मिश्रा से दूरी बना ली है। दिल्ली पहुंचकर गृह मंत्री ने कई दिग्गजों से मुलाक़ात की कोशिश की, लेकिन किसी ने भी उन्हें समय देने में दिलचस्पी नहीं ली। मिश्रा मध्यप्रदेश में बीते कुछ दिनों के राजनीतिक समीकरण और विवादों के केंद्र हैं और माना जाता है कि इसी मामले पर सफाई देने की गरज से वे दिल्ली पहुंचे थे।
राज्य में बीते कुछ दिनों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए नरोत्तम ने कई बार खुलकर अपना विरोध जाहिर किया है। कैबिनेट की इसी मंगलवार को हुई बैठक में मिश्रा आपा खो बैठे और उन्होंने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में ही राज्य के मुख्य सचिव को खरी-खोटी सुना दी थी। इससे पहले भी भोपाल में भाजपा संगठन और सरकार के कई प्रमुख चेहरों के बीच चले चर्चित मेल-मुलाकातों के सिलसिले में भी नरोत्तम ख़ास रूप से चर्चा में रहे थे।
इन सिलसिलों को सरकार में नेतृत्व परिवर्तन से भी जोड़ा गया। हालांकि नरोत्तम ने भी बाद में कहा कि राज्य में कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन यह तथ्य भी किसी से नहीं छिपा है कि उन अटकलों को हवा देने में नरोत्तम के ख़ास लोग सबसे ज्यादा सक्रिय रहे थे। चीफ सेक्रेटरी से हुए बखेड़े को भी एक तरह से मुख्यमंत्री के लिए नरोत्तम के तीखे तेवरों से जोड़ा जा रहा है।
भाजपा से जुड़े सूत्रों का दावा है कि इन सबके बीच नरोत्तम को लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में नाराजगी है। इसकी वजह यह कि बीते कुछ दिनों में हर विवाद खड़ा करने के बाद नरोत्तम सीधे प्रदेश के संगठन महामंत्री सुहास भगत और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा तक भी वह मामला ले गए। संगठन का मानना है कि इससे इन विवादों में संघ सहित संगठन की भी भूमिका को लेकर सवाल उठ सकते हैं।
हम याद दिला दें कि कैबिनेट की बैठक में हुई बहस के बाद नरोत्तम ने मीडिया को भी बैठक की जानकारी नहीं दी थी। जबकि प्रदेश सरकार के प्रवक्ता होने के नाते यह उनका ही दायित्व था। मीडिया को ब्रीफ करने की बजाय मिश्रा सीधे प्रदेश भाजपा कार्यालय जाकर भगत और शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ पदाधकारियों से बंद कमरे में मिले थे।सूत्रों ने बताया कि इन विवादों में संगठन को खींचने की मिश्रा की कोशिशों को पार्टी ने गंभीरता से लिया है।
नरोत्तम की मुसीबत यह भी कि प्रदेश में नेतृत्व में बदलाव से जुड़ी चर्चाओं को हवा देकर उन्होंने अपनी पार्टी की एक बहुत बड़ी रणनीति को नुकसान पहुंचाया है. मध्यप्रदेश में जिस समय मेल-मिलाप की राजनीति को लेकर अटकलें सरगर्म थीं, उसी समय केंद्र में भाजपा ने जितिन कुमार को कांग्रेस से अपनी तरफ तोड़ लिया। सूत्र बताते हैं कि उसी मौके पर राजस्थान से सचिन पायलट को भाजपा में लाने की भी पूरी तैयारी की जा चुकी थी, मगर मध्यप्रदेश में सरकार को लेकर डगमग स्थिति के चलते पायलट गुट भाजपा की शक्ति को लेकर सशंकित हो गया।
नरोत्तम से सीधे जुड़े यही तमाम कारण कि गृह मंत्री के दिल्ली प्रवास के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित राष्ट्रीय संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष और राष्ट्रीय सचिव मुरलीधर राव से मिलने की मिश्रा की सभी कोशिशें नाकाम रहीं। शिव प्रकाश और बीएल संतोष तो दिल्ली के बाहर थे, लेकिन नड्डा तथा राव ने मिश्रा को मिलने का समय तक नहीं दिया। बताया जाता है कि केवल नड्डा ने मिश्रा से फ़ोन पर बातचीत की मगर उनसे मिलने में कोई रूचि नहीं दिखाई।
जानकारों का कहना है कि सीनियर नेताओं की इस बेरुखी के बाद नरोत्तम मिश्रा की स्थिति बहुत कमजोर पड़ गयी है। यही कारण है कि अमित शाह भी अब इस मामले से दूरी बना चुके हैं। जबकि कुछ समय पहले तक मिश्रा को शाह की गुड बुक में शामिल माना जाता था।
मिश्रा की गतिविधियां उस समय से ही शीर्ष नेतृत्व के राडार पर आ गयी थीं, जब उन्होंने राज्य में बदलते सियासी समीकरणों के बीच खुद को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने के लिए जमकर लॉबिंग की थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से जब राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ, तब नरोत्तम के लिए वह बड़ा झटका था। उसके बाद भी वे उप मुख्यमंत्री पद पाने के लिए हाथ-पांव मारते रहे थे।