Raag Ratlami juggling data -आंकडों की बाजीगरी से कोरोना को मात देने की कोशिश
-तुषार कोठारी
रतलाम। और किसी मामले में रतलाम एक नम्बर हो ना हो,इन दिनों कोरोना के मामले में रतलाम नम्बर वन बना हुआ है। अभी चार दिन पहले तक कोरोना के पाजिटिविटी रेट के मामले में रतलाम रेकार्ड बना रहा था। यही वजह है कि सूबे के मामा रतलाम पर खास ध्यान दे रहे है। जिला इंतजामिया भी पूरी ताकत से कोरोना को काबू में लाने की कोशिशों में जुटा है। इन कोशिशों में आंकडों की बाजीगरी भी शामिल है।
सूबे की सरकार भी रतलाम को लेकर बेहद गंभीर हो चुकी है। तीन दिन में दो बार मामा जी खुद विडीयो कान्फ्रेन्सिग कर चुके है। मामा ने उज्जैन वाले डाक्टर साहब को रतलाम की जिम्मेदारी सौंप दी है। सूबे के कालेजों को सम्हालने वाले डाक्टर साहब भी तीन दिन में दो बार रतलाम का दौरा कर चुके है। उन्होने अस्पतालों की व्यवस्थाएं चाक चौबन्द करने और कन्टेनमेन्ट में सख्ती बरतने जैसे कई निर्देश भी अफसरों को जारी कर दिए है। इन सब कोशिशों का असर नजर आने में कुछ दिन तो लगेंगे। लेेकिन इंतजामियां से इंतजार नहीं हो रहा है। इसलिए जब तक कोरोना को रोकने की कोशिशें रंग लाए,तब तक इंतजामियां आंकडों की बाजीगरी भी करने लगा है। ताकि कम से कम लोगों को डर का एहसास कुछ कम हो।
इंतजामियां के आंकडों के मुताबिक पिछले दो तीन हफ्तों से रोजाना चार पांच लोग कोरोना की भेंट चढ रहे है। लेकिन शहर के श्मशानों की सचाई इससे बिलकुल अलग है। इंतजामियां के मुताबिक रोजोना मौतें सिर्फ चार या पांच हो रही है,जबकि श्मशान पर बीस से तीस कोरोना पाजिटिव लोगों का अंतिम संस्कार हो रहा है। दावे टेस्टिंग बढाने के किए जा रहे हैैं। लेकिन दूसरी तरफ जिले के ब्लाक स्तरों पर तैनात कर्मचारियों को कह दिया गया है कि एक दिन में पचास से ज्यादा टेस्ट ना किए जाए। यहां तक कि जिला अस्पताल तक में बडी तादाद में टेस्टिंग के लिए आने वालों को लौटाया जा रहा है। कुल मिलाकर घोषणाएं और दावे टेस्टिंग बढाने के है,लेकिन टेस्टिंग पहले की तुलना में कम करना है।
नतीजा सामने है,पिछले एक हफ्ते से कोरोना पाजिटिव लोगों की संख्या लगातार कम होने लगी है। लोग राहत की सांस ले रहे है कि चलो कोरोना का कहर कुछ कम हुआ। कोरोना का पाजिटिविटी रेट अब भी खतरनाक स्तर पर ही है। इसमें थोडी कमी जरुर आई है,लेकिन ये कमी इतनी भी नहीं है कि पूरी तरह से निश्चिंत हुआ जा सके। कोरोना का पाजिटिविटी रेट 30 प्रतिशत से घटा है,लेकिन फिर भी 19-20 प्रतिशत पर है।
बहरहाल,आंकडों की बाजीगरी तो चल ही रही है,लेकिन यह भी सच है कि कोरोना की तेजी में कुछ कमी जरुर आई है। इंतजामियां का गणित यही है कि आने वाले एकाध हफ्ते में कोरोना काबू में आ सकता है। तब तक आंकडों की बाजीगरी देखने के लिए तैयार रहिए।
नेकी कर जूते खा…
कोरोना के इस दौर में जहां कुछ लोग कालाबाजारी करके कमाई में लगे हैैं वहीं कई सारे सेवाभावी लोग निस्वार्थ भाव से सेवा में भी जुटे है। लेकिन कालाबाजारी करने वालों के चक्कर में निस्वार्थ भाव से सेवा करने वालों को समस्याओं का सामना भी करना पड रहा है। जरुरतमन्दो को नाममात्र के शुल्क पर आक्सि फ्लो मीटर उपलब्ध कराने वाले एक समाजसेवी के लिए नेकी कर जूते खा वाली कहावत सच साबित हो गई। गैरेज चलाने वाले उस बन्दे ने देखा कि सिलैण्डर तो फिर भी मिल रहे है,लेकिन उस पर लगने वाले आक्सि फ्लो मीटर की बेहद कमी है,तो उस बंदे ने जुगाड टैक्नालाजी से आक्सि फ्लो मीटर बना लिए और कई जरुरतमन्दों को नाम मात्र के शुल्क पर ये मीटर उपलब्ध करवा दिए। लेकिन यही सेवा करना उसके लिए तकलीफ दायक हो गया। पुलिस ने उसे फौरन चार सौ बीसी में अन्दर कर दिया। जब वर्दी वालों के अफसरों तक सच पंहुचता तब तक तो बेचारा सेवा करने वाला जूते खा चुका था।