Raag Ratlami : महानगर बनने लगा रतलाम,एक साथ तीन कत्ल,दिनदहाडे लाखों की चोरी,मुजरिमों का पता नहींं,धडल्ले से चल रहा है बावन पत्तों का खेल
-तुषार कोठारी
रतलाम। डरने वालों के लिए भले ही ये डरावनी बात हो लेकिन दूसरी नजर से देखा जाए तो अब शहर महानगरों की राह पर चलता हुआ दिखाई देगा। महानगरों के तौर तरीके ज्यादातर लोग फिल्मों में देखते है। अण्डरवल्र्ड,फिल्मी स्टाइल की चोरी, लूट और हत्याएं और इस तरह के तमाम हाई फाई गुनाह महानगरों में होते दिखाए जाते है। लेकिन अब रतलाम में भी बिलकुल फिल्मी स्टाइल के सनसनीखेज मामले हो रहे हैैं। पहले एक महिला चिकित्सक का उसी के घर में गोली मार कर कत्ल हुआ था। कातिल का कोई अता पता आज तक नहीं मिल पाया। अब एक ही कुनबे के तीन लोगों को एक एक गोली से आनन फानन में हलाक कर दिया गया। वर्दी वाले अपने कप्तान की कप्तानी में पिछले तीन चार दिनों से दिन रात गुत्थी सुलझाने में लगे है,लेकिन गुत्थी है कि सुलझने का नाम तक नहीं ले रही।
वर्दी वाले कत्ल की इस वारदात से अभी जूझ ही रहे थे कि न्यूरोड पर चोरों ने दिनदहाडे अपना कमाल दिखाया और एक वकील साहब के घर में घुसकर लाखों के जेवरात पर हाथ साफ कर दिया।
एक साथ तीन कत्ल की हंगामाखेज वारदात अपने पीछे कई सारे सवाल छोड गई है। जांच में पता चला कि मरने वाली अपने घर से शराब का कारोबार करती थी? अगर ये बात सही है,तो पहला सवाल यही होगा कि पुलिस को इसकी खबर क्यों नहीं थी? अवैध शराब का कारोबार जहां चलता है,वहां जुर्म और जरायम का ही बोलबाला होता है। चार दिन की मेहनत मशक्कत के बाद भी ये तक पता नहीं चल पाया है कि आखिर कातिल ने कत्ल किया किस वजह से? अगर कत्ल की वजह ढूंढ ली जाती तो कातिल को आसानी से ढूंढा जा सकता था। लेकिन चार दिन की जांच पडताल में लाख टके के इस सवाल का जवाब ही नहीं मिल पाया। वर्दी वालों के कप्तान खुद तीन दिनों तक इलाके की कोतवाली में ही डेरा डाले बैठे रहे। तमाम शहर को उम्मीद थी कि बडे साहब खुद खोजबीन में लगे है तो मुजरिम ज्यादा समय बच नहीं पाएंगे। लेकिन बडे साहब और दूसरे और तीसरे नम्बर के तमाम साहबान मिल कर भी ना तो कत्ल की वजह ढूंढ पाए और ना ही कातिलों का कोई सुराग मिल पाया।
वैसे कुछ जानकारों का अंदाजा है कि वर्दी वालों को छोटे मोटे सुराग तो हाथ लगे हैैं लेकिन ये सुराग पूरी गुत्थी सुलझाने में मददगार साबित नहीं हो पा रहे हैैं।
वर्दी वालों के तौर तरीकों को जानने समझने वालों का कहना है कि बडे साहब लोग उनके पास लाई गई खबरों की चीर फाड करके नतीजा निकाल सकते है, संदिग्धों से पूछताछ करके जानकारियां हासिल कर सकते है,लेकिन खबरें लाने का काम तो डण्डा लेकर घूमने वाले सिपाही ही करते है। इनमें भी काम की खबरें उन्ही डण्डे वालों को मिलती है,जिनके नेटवर्क जमे जमाए है। शहर के ऐसे कई करामाती डण्डे वालों को इन दिनों शहर से दूर भेज दिया गया है। शायद इसीलिए काम की खबरें मिल नहीं पा रही है और शायद इसीलिए कत्ल करने वाले बडे आराम से घूम रहे हैैं। जबकि वर्दी वाले अन्धेरे में ही तीर चला रहे हैैं।
हांलाकि ये बात भी सही है कि इन दिनों वर्दी वालों का ट्रेक रेकार्ड सही चल रहा था। अभी हाल ही में मण्डी व्यापारी के मुनीम के साथ दिनदहाडे हुई लूट को वर्दी वालों ने तुरंत खोज निकाला था और लुटेरे भी गिरफ्त में आ गए थे। लेकिन फिलहाल रतलामी बन्दों को तो एक साथ तीन तीन कत्ल की वारदात ही नजर आ रही है। वर्दी वाले गुत्थी सुलझाने की कोशिश में लगे हुए है। उम्मीद की जाए कि कातिलों का पता चल जाएगा और वर्दी वालों का गौरव सुरक्षित रह सकेगा।
धडल्ले से चल रहा है बावन पत्तों का खेल
नम्बरों के खेल यानी सïट्टे के लिए मशहूर रतलाम के नामचीन सटोरियों ने आईपीएल का पूरा सीजन दूसरे शहरों में जाकर अच्छे से गुजार लिया। छोटे मोटे तो यहीं रहकर कारोबार कर रहे थे,लेकिन नामचीन जानते थे कि यहां रहना खतरे से खाली नहीं है,इसलिए उन्होने दूसरे शहरों में जाकर जमावट कर ली थी। हांलाकि कुछ नामचीन तो इतने बडे थे,कि बडे शहरों के वर्दीवालों तक उनके नाम पंहुचे हुए थे,इसलिए बडे शहरों में भी उन पर छापे पडे। लेकिन ये सब पुरानी बात हो गई। आईपीएल खत्म,कारोबार भी बन्द। इन दिनों तो शहर के कुछ इलाकों में बावन पत्तों का खेल जोर पकड रहा है। बावन पत्तों के शौकीन बता रहे है कि ये खेल रेलवे वालों के इलाके में जोरशोर से चल रहा है। रेलवे के वर्दी वाले इस खेल का जमकर फायदा उठा रहे हैैं। इधर के वर्दीवालों को भी इसकी खबर है। खेल खिलाने वाले शहर के वर्दीवालों को भी उनकी उजरत वक्त वक्त पर दे देते है और इसी लिए शहर के वर्दी वाले बडे आराम से इसे अनदेखा कर रहे है। शहर के वर्दीवालों को पता ही है कि इलाका रेलवे वालों का है,इसलिए उन पर कोई आंच आने वाली नहीं है। बस इसी चक्कर में बावन पत्तों के शौकीन जमकर मजे ले रहे है।