गहन दस्त रोग नियंत्रण पखवाड़ा आज से आरंभ
कलेक्टर ने तैयारियों की समीक्षा की
रतलाम 27जुलाई (इ खबरटुडे)। दस्त रोग के कारण होने वाली बाल मृत्यु में कमी लाने के उद्देश्य से जिले में 28 जुलाई से 8 अगस्त तक गहन दस्त रोग नियंत्रण पखवाड़ा आयोजित होगा। इस दौरान दस्त रोग से बचाव और प्रभावित बच्चों के उपचार के सिलसिले में प्रभावी कदम उठाए जाएंगे और आमजन को जागरूक भी बनाया जाएगा।
कलेक्टर डॉ. संजय गोयल ने गत दिवस एक बैठक में दस्त रोग नियंत्रण पखवाड़े की तैयारियाें की समीक्षा की। कलेक्टर ने कहा कि पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में दस्त रोग मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। बाल्यकाल में 11 फीसदी बच्चों की मृत्यु दस्त रोग के कारण होती है। उन्होंने कहा कि दस्त रोग से होने वाली लगभग सभी मृत्यु के प्रकरणों में जिंक एवं ओआरएस के उपयोग तथा उचित आहार की निरन्तरता से निर्जलीकरण को रोका जा सकता है और उपचार भी किया जा सकता है। डॉ. गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि स्वच्छ पीने का पानी, साफ-सफाई, स्तनपान या उचित आहार तथा साबुन एवं पानी से हाथ धोने से दस्त रोग की रोकथाम की जा सकती है। बैठक में मौजूद स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कलेक्टर ने कहा कि कुपोषित बच्चों में दस्त रोग बार-बार तथा गंभीर होता है। इस रोग की पुनरावृत्ति से वजन घटता है और स्वस्थ बच्चों में कुपोषण परिलक्षित होता है। इस प्रकार दस्त रोग एवं कुपोषण एक दूसरे की गंभीरता को तीव्र करते हैं।
कलेक्टर डॉ. गोयल ने दस्त रोग नियंत्रण पखवाडे के दौरान की जाने वाली कार्यवाही एवं गतिविधियों के लिए की गई तैयारियों की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने कहा कि समुदाय में दस्त रोग से संबंधित जागरूकता लाने की दिशा में पखवाडे क़े दौरान व्यापक प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए।उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों से जानना चाहा कि ओआरएस बनाने की विधि तथा जिंक के प्रयोग की जानकारी देने के लिए स्थलों के चिन्हांकन की कार्यवाही की गई अथवा नहीं।इसी प्रकार डा.गोयल ने पखवाडे क़े दौरान आशा द्वारा गृह भेंट कर ओआरएस पैकेट के वितरण तथा आईवाईसीएफ को बढावा देने, कुपोषित बच्चों की पहचान और उपचार तथा आईवाईसीएफ कार्नर की स्थापना के बारे में उठाए गए कदमों की भी समीक्षा की।
बैठक के दौरान कलेक्टर डा.गोयल ने निर्देश दिए कि प्राईमरी स्कूलों में स्थाई तौर पर ओआरएस पैकेट शिक्षक के पास रखे जाएं। एएनएम प्राथमिक स्कूलों में पहुंचकर बडे बच्चों को हाथ धोने के बारे में जागरूक बनाएंगी। कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि वे स्कूलों के शिक्षकों को एएनएम को सहयोग देने का संदेश भेजे। डा.गोयल ने शहरी क्षेत्र में प्रचार-प्रसार संबंधी गतिविधियों के अभाव की स्थिति को रेखांकित करते हुए इस दिशा में पहल की जरूरत पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र में एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियमित बैठक आवश्यक है ताकि स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग के इन जमीनी कर्मचारियों के बीच समन्वय स्थापित हो। कलेक्टर ने स्कूलों में प्रार्थना के समय ही बच्चों को रोग से बचाव के लिए जरूरी जानकारियां देने के निर्देश दिए।
डा.गोयल ने सीईओ जिला पंचायत अर्जुनसिंह डावर को अभियान के सिलसिले में ग्राम स्वास्थ्य समितियों की बैठकें सुनिश्चित करने और पखवाड़े के दौरान शुरू की जाने वाली गतिविधियों की जानकारी देने के लिए पहल के निर्देश दिए। उन्होंने स्कूलों में ब्लीचिंग पावडर उपलब्ध कराने के लिए सीएमएचओ एवं ईई पीएचई को पाबंद किया। कलेक्टर ने स्वास्थ्यकर्मियों को जरूरी प्रशिक्षण दिए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि गहन दस्त रोग पखवाडे की दैनिक रिपोर्टिंग सुनिश्चित की जाए। डा.गोयल ने आशा व्यक्त की कि पखवाडे क़े दौरान शिक्षा विभाग,महिला एवं बाल विकास विभाग,पंचायती राज संस्थाएं,लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग तथा आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी अपेक्षित सहयोग सुनिश्चित करेंगे।
बैठक में एनआरएचएम की जिला कार्यक्रम प्रबंधक श्रीमती माधवी पाण्डे ने पावर प्वाईन्ट प्रजेन्टेशन के माध्यम से पखवाड़े के दौरान आयोजित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी।उन्होंने बताया कि प्रथम सप्ताह 28 जुलाई से 2 अगस्त तक चलेगा तथा इस दौरान पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों के परिवार को आशा द्वारा गृह भेंट दी जाएगी और ओआरएस पैकेट का वितरण किया जाएगा। साथ ही ओआरएस बनाने की विधि का प्रदर्शन तथा इसके उपयोग के लिए परामर्श दिया जाएगा। आशा उम्र आधारित एवं बाल्य पोषण आहार पूर्ति/आईवाईसीएफ/व्यवहार परामर्श भी देंगी। श्रीमती पाण्डे ने ग्राम आरोग्य केन्द्र, एचएससी, पीएचसी, सीएचसी और जिला चिकित्सालय पर ओआरएस-जिंक कार्नर की स्थापना के बारे में भी बताया।उन्होंने समस्त स्वास्थ्य सेवा प्रदायकर्ताओं द्वारा प्रिस्क्रिप्शन के माध्यम से दस्तरोग में जिंक एवं ओआरएस दिया जाना सुनिश्चित करने के बारे में भी जानकारी दी।उन्होंने बताया कि साबुन एवं पानी से हाथ धोने की प्रक्रिया का प्रदर्शन किया जाएगा तथा शाला में हाथ धोने का व्यवहार बढ़ाने के प्रयास भी किए जाएंगे।
श्रीमती पाण्डे ने बताया कि पखवाड़े क़े दूसरे सप्ताह 4 से 8 अगस्त के दौरान उम्र आधारित शिशु एवं बाल्य पोषण आहार पूर्ति आईवाईसीएफ व्यवहार परामर्श दिया जाएगा। आशा गृह भेंट के दौरान कुपोषण चिन्हांकन करेंगी तथा पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों के परिवार को आईवाईसीएफ संदेश देगी। प्रत्येक स्वास्थ्य संस्था तथा आंगनबाड़ी केन्द्र में आईवाईसीएफ परामर्श स्थल स्थापित किए जाएंगे। कुपोषित बच्चों का उपचार सुनिश्चित किया जाएगा। श्रीमती पाण्डे ने क्षमता संवर्धन,समुदाय में जागरूकता के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार तथा विभिन्न विभागों से समन्वय के माध्यम से अभियान को अधिक से अधिक प्रभावी बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की भी जानकारी दी।
बैठक में जिला पंचायत सीईओ अर्जुनसिंह डावर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. पुष्पेन्द्र शर्मा,कार्यपालन यंत्री पीएचई श्री संतोष साल्वे,कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्री सीएल पासी,जिला शिक्षा अधिकारी श्री जे.के.शर्मा, सिविल सर्जन डा.आनंद चंदेलकर तथा स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।