नर्मदा को अलग पहचान दिलाई अनिल माधव दवे ने
नई दिल्ली,18 मई (इ खबर टुडे )। भारतीय जनता पार्टी का थिंक टैंक माने जाने वाले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे को नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए किए गए कामों ने एक अलग पहचान दिलाई। केंद्र में उन्होंने 5 जुलाई 2016 को केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संभाला था। दिल्ली के एम्स में गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने से दवे का निधन हो गया। 61 साल के अनिल दवे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे।
– राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के बाद भाजपा में उनके राजनीतिक सफर का आगाज हुआ। वह मध्य प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य थे, वे 2009 से ही राज्यसभा में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते आ रहे थे।
– 5 जुलाई 2016 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री के तौर पर नियुक्त हुए अनिल माधव दवे का जन्म 6 जुलाई 1956 को मध्यप्रदेश के उज्जैन जिला स्थित बड़नगर में हुआ था।
– उनकी प्राथमिक शिक्षा गुजरात में संपन्न हुई। इसके बाद इंदौर से उन्होंने रूरल डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट के साथ कॉमर्स में मास्टर्स किया। कॉलेज के दिनों में छात्र नेता रहे।
– नरेंद्र मोदी ने अपनी टीम में जिन्हें जगह दी है, उनमें मप्र के अनिल माधव दवे भी शामिल हैं। मध्यप्रदेश के हर चुनाव में प्रबंधन की जिम्मेवारी दवे की ही होती थी।
– उन्होंने ‘नर्मदा समग्र’ नामक आर्गेनाइजेशन की शुरुआत की थी। दवे वर्ष 2004 में नर्मदा की पहली हवाई परिक्रमा भी कर चुके हैं। दवे को राइफल चलाने का भी शौक है।
– बताया जाता है कि मध्यप्रदेश में भाजपा को सत्ता में लाने में उनका बड़ा योगदान रहा।
– वह जल संसाधन समिति और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार समिति में शामिल रहे। ग्लोबल वार्मिंग पर संसदीय समिति के भी सदस्य थे।
– अनिल माधव दवे ने मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के प्रत्येक स्कूल में बायो टॉयलेट के विकास के लिए प्रोग्राम चलाया। इस प्रोजेक्ट के तहत होशंगाबाद के 1880 स्कूलों में 98000 छात्र छात्राओं के लिए अलग अलग टॉयलेट सुविधाओं की बात रख गयी।
– इसके अलावा उन्होंने राजनीति, एडमिनिस्ट्रेशन, कला व संस्कृति, यात्रा वृतांत, इतिहास, मैनेजमेंट, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन जैसे विभिन्न क्षेत्रों पर किताबें भी लिखी है। उनकी कुछ किताबें- शिवाजी एंड सूरज, क्रियेशन टू क्रिमेशन, यात्रा वृतांत- राफ्टिंग थ्रू सिविलाइजेशन , शताब्दी के पांच काले पन्ने, संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से, महानायक चंद्रशेखर आजाद आदि शामिल हैं।