November 24, 2024

85 प्रतिशत से कम के टीकाकरण पर बीपीएम को वेतन नहीं-कलेक्टर

टीकाकरण नहीं होने से समस्या हुई तो जिम्मेदार कौन

रतलाम 11 दिसम्बर(इ खबरटुडे)।कलेक्टर ने आलोट के बीपीएम को पूछा कि विकासखण्ड में क्यों टीकाकरण का प्रतिशत 67 से कम है। उन्होने महिला बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी के साथ मिलकर कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिये। कलेक्टर ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर कार्य को कराये जाने हेतु आशा कार्यकर्ता, आंगनवाडी कार्यकर्ता एवं आंगनगवाड़ी सहायिका हैं तो फिर क्योंकर बच्चों के टीकाकरण करने में बच्चों की समस्या आ रही है।

कलेक्टर ने कम टीकाकरण होने के कारण आलोट के ब्लॉक मेडिकल ऑफीसर और बीपीएम को कारण बताओं सूचना पत्र जारी करने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि जनवरी 2016 में आयोजित होने वाली समीक्षा बैठक में दिसम्बर 2014 से लेकर दिसम्बर 2015 तक की समयावधि में जन्में समस्त बच्चों का सौ प्रतिशत टीकाकरण अनिवार्य रूप से हो जाना चाहिए।

जिला चिकित्सालय की प्रबंधकों को शोकाज़ नोटिस
कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर ने अस्पताल का ठीक तरह से प्रबंधन नहीं करने के लिये हास्पिटल मैनेजर सुश्री कोमल बिमोहा को चेतावनी दी कि आपकी उपयोगिता नजर नहीं आयेगी तो आपको वापस भेज दिया जायेगा। उन्होंने हास्पिटल मैनेजर को समुचित रूप से निरीक्षण नहीं करने एवं जानकारियों से अवगत नहीं कराने के लिये कारण बताओं सूचना पत्र जारी करने के निर्देश दिये।

 

कलेक्टर ने निर्देशित किया हैं कि अस्पताल मैनेजर प्रतिदिन निर्धारित की गई चेकलिस्ट अनुसार निरीक्षण कर शाम को कलेक्टर को रिपोर्ट करेगें। वे निरीक्षण में देखेगे की चादरे नियमित रूप से बदली जा रही हैं या नहीं, समुचित सफाई हो रही हैं या नहीं, ए.सी. चल रहे हैं या नहीं, अस्पताल में लगाये गये टेलीविजन सेट चल रहे हैं या नहीं और टी.बी. पर स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम ही चलाये जा रहे हैं या नहीं।

 

जननी सुरक्षा एक्सप्रेस से ही प्रसूताओं को छोड़ा जाये
कलेक्टर ने जननी सुरक्षा योजनान्तर्गत चलाई जा रही गाड़ियों के द्वारा प्रसव उपरांत महिलाओं को घर छोड़े जाने के न्यून प्रतिशत पर चिंता जताई है। उन्होने कहा हैं कि प्रसव उपरांत नवजात शिशुओं को लेकर बगैर गाड़ी के प्रसूताओं का घर जाना जच्चा और बच्चा दोनों के लिये स्वास्थगत तरीके से हानिकारक है। उन्होने कहा कि प्रसूताओं को जननी सुरक्षा योजना की गाड़ियों से ही घर तक छोडे जाने हेतु व्यवस्था को बेहतर किया जाये।

यदि गाड़ियों को ड्रापबैक 90 प्रतिशत से कम आता हैं तो संबंधित डिलेवरी पाईंट के प्राधिकृत कर्मचारी की सेलरी नहीं निकाली जायेगी। उल्लेखनीय हैं कि जिले मेें 30 डिलेवरी पाईंट चिन्हित किये गये हैं। प्रत्येक डिलेवरी पाईंट पर एक व्यक्ति को जननी सुरक्षा योजना के मार्फत ही गर्भवती माताओं को लाने एवं प्रसूताओं को घर तक छोड़ने के कार्य की मॉनीटरिंग कर दायित्व सौंपा गया है।

 

 

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