हम पूरा इंटरनेट फ्री नहीं दे सकते-जुकरबर्ग फेसबुक के सीईओ
नई दिल्ली28 अक्टूबर(इ खबरटुडे) । फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने बुधवार को दिल्ली आईआईटी में हुए टाउनहॉल में स्टूडेंट्स के सवालों के जवाब दिए। आईआईटी के डोगरा हॉल में बुधवार दोपहर 12.15 बजे टाउनहॉल के लिए पहुंचे जुकरबर्ग से पहला सवाल पूछा गया कि उन्हें भारत में इतनी दिलचस्पी क्यों है? इसके जवाब में जुकरबर्ग ने कहा कि भारत एक बड़ा बाजार है। यहां 130 मिलियन यूजर हैं। जुकरबर्ग ने माना कि भारत को कनेक्ट किए बिना दुनिया को कनेक्ट नहीं किया जा सकता। नेट न्यूट्रैलिटी के सवाल पर जुकरबर्ग ने कहा कि वे इसका समर्थन तो करते हैं, लेकिन इंटरनेट पूरी तरह फ्री नहीं दिया जा सकता। बता दें कि फेसबुक के प्रोग्राम internet.org को लेकर पूरी दुनिया में सवाल उठे हैं। आरोप लगे हैं कि इसके जरिए इंटरनेट को कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है।
कैंडी क्रश पर भी सवाल
वहीं, एक स्टूडेंट ने उनसे पूछ लिया कि कैंडी क्रश गेम की इनविटेशन रोकने के लिए क्या करें। इसके जवाब में मार्क ने कहा कि उन्हें इस समस्या के बारे में पता है और वे इस पर काम कर रहे हैं। बता दें कि कैंडी क्रश गेम फेसबुक फ्लैटफॉर्म पर बेहद मशहूर है। हालांकि, इस गेम को खेलने वाले अन्य यूजर्स को रिक्वेस्ट भेजते हैं। इसकी वजह से बहुत सारे यूजर्स को परेशानी होती है। बता दें कि लॉटरी के जरिए सिलेक्ट हुए नौ में एक स्टूडेंट को प्रोग्राम में शामिल होने का मौका मिला। करीब 900 स्टूडेंट्स पहुंचे। सवाल-जवाब के बाद मार्क जुकरबर्ग ने वहां मौजूद लोगों के साथ फोटो खिंचवाई।
जुकरबर्ग से पूछे गए सवाल और उनके जवाब
गार्गी का सवाल- भूकंप आने पर नोटिफिकिशन मिलता है कि हम सेफ हैं या नहीं। क्या लापता लोगों के बारे में भी ऐसा कोई नोटिफिकेशन मिल सकता है?
जुकरबर्ग का जवाब- हमने अमेरिका में AMBER नाम का एक ऐसा प्रोग्राम शुरू किया है। वहां लोग बच्चों के गायब होने पर न्यूज फीड में अपडेट कर देते हैं। यह सक्सेसफुल रहा। जनवरी में हमने इसे शुरू किया है। अब तक फेसबुक के इस फीचर से कई बच्चे वापस मिल चुके हैं। फोटो देख कर लोग पुलिस को बता रहे हैं। कम्युनिटी प्रोग्राम, सेफ्टी चेक, ऑर्गन डोनेशन जैसे कई और प्रोग्राम आने वाले दिनों में हम शुरू करेंगे।
1सवाल– फेसबुक शुरू करने के बाद क्या आपने कभी ऐसे फैसले लिए, जिस पर बाद में पछताना पड़ा?
जुकरबर्ग का जवाब- मैं बड़ा पॉजिटव था। मैं बिजनेस के बारे में नहीं सोचता था। जैसे आप सीखते हैं, मैंने भी वैसे ही किया। आप डरे नहीं और आपको फोकस करना होगा उन गलतियों के बारे में, जो आप कर रहे होते हैं। 1.5 अरब यूजर्स हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हमने गलतियां नहीं की। हम सब इंसान हैं। कोई भी परफेक्ट नहीं होता।
रोशी का सवाल– सबकी लाइफ में एक डिमोटिवेटिव फेज आता है। उस वक्त क्या करना चाहिए?
जुकरबर्ग का जवाब- मीडिया इस बारे में बहुत बायस्ड है। मैंने फेसबुक बनाया, स्टीव जॉब्स ने एप्पल बनाया। सच्चाई है कि कोई भी को-फाउंडर, दोस्त या पार्टनर की मदद के बिना ऐसा नहीं कर सकता। मेरे साथ कई लोग हैं जो इस कंपनी को चला रहे हैं। यह कोई मैजिक नहीं है। फेसबुक जैसी बड़ी कंपनी एक शख्स या यूरेका मोमेंट से नहीं तैयार की जा सकती।
आयुष ने सवाल पूछा– दुनिया में स्टार्टअप की बहुत हलचल है। सब ऐप लेकर आ रहे हैं। आइडियल स्टार्टअप का कॉन्सेप्ट क्या है?
जुकरबर्ग का जवाब- लोग जानने से पहले स्टार्टअप के बारे में काम शुरू कर देते हैं। एक कंपनी खड़ी करना बहुत कठिन है। आपको हर बात का ख्याल रखना पड़ता है। प्रैक्टिकल रीजन होते हैं। आइडिया की पहले गहराई देखें। फिर कंपनी बनाने के बारे में सोचें। महान कंपनियां जो स्टार्टअप से शुरू होती हैं, ऐसा ही करती हैं। फोकस रखें कि आप करना क्या चाहते हैं और क्या बदलना चाहते हैं।
मोहित का सवाल– गरीबी को कैसे खत्म करेंगे? एजुकेशन का लेवल कैसे उठाएंगे?
जुकरबर्ग का जवाब- यह दिलचस्प फील्ड है। हम फेसबुक पर शेयरिंग की पावर देते हैं। एक-दूसरे से जुड़ने का मौका देते हैं। हम पांच साल पहले एक प्रोग्राम ले कर आए थे। इसके तहत कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क में हम नये स्कूल का मॉडल देने की कोशिश कर रहे हैं। हम इसके रिजल्ट देखने के लिए उत्साहित हैं। अफ्रीका में नए तरीके से स्कूल खोल रहे हैं। इंडिया में भी हम इस फील्ड में काम करना चाहते हैं। स्कूल में इंटरनेट कनेक्टिविटी रहने से छोटे स्कूल में भी हम सारी सुविधाएं दे सकते हैं। यह साइंस को आगे ले जाने में मदद देगा।