मध्यप्रदेश सरकार का नया कानून : जमीन के बदले मुआवजा नहीं, जमीन ही मिलेगी

new law of the Madhya Pradesh government:अभी तक आपने सुना होगा कि सरकार जो जमीन अधिगृहण करती है, उसके बदले में मुआवजा देती है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि वह मुआवजे के रुप में पैसे नहीं बल्कि जमीन ही देगी। सरकार को उम्मीद है कि अब सरकारी परियोजनाओं में देरी नहीं होगी क्योंकि मुआवजा राशि वितरण में शिकायतों के कारण सरकारी परियोजनाओं लटकती रहती थी। लोगों की शिकायत थी कि सरकार सही मुआवजा नहीं देती, लेकिन अब ऐसा नहीं होग।
मध्यप्रदेश सरकार ने विधानसभा में इस कानून में बदलाव को लेकर एक विधेयक पेश किया है। इस विधेयक के पास होने के बाद सरकार जो जमीन अधिगृहित करके उसके बदले जमीन मालिक को 50 प्रतिशत जमीन विकसित करने के लिए देगी। वह भी कोई विकास के लिए प्रोजेक्ट लगाने के लिए। इसका फायदा सरकार तथा जमीन मालिकों को भी होगा। नाॅन प्लानिंग एरिया में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण जैसी संस्थाए अब सार्वजनिक उपकरणों के लिए प्रोजेक्ट ला सकेंगी। अब इस एकाधिकार को खत्म करके अन्य सरकारी विभाग भी विनेश के द्वार खोल देंगे। कोई भी प्रोजेक्ट अब 500 करोड़ रुपये से कम का नहीं होगा।
अधिनियम में कुछ नई धाराएं जोड़ी
सरकार ने विधानसभा में जो प्रस्ताव रखा है उसे नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम में संशोधन किया गया है। नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 में नई धारा 66 (क) जोड़ी गई है। इस धारा के तहत ही लैंड पूलिंग स्कीम को शामिल किया गया है।
कई विभाग होंगे शामिल
इस अधिनियम के पास होननेके बाद शहरी सीमा के अंदर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित किया जा सकेगा। अब विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण जैसी एजेंसी की जरूरत नहीं होगी। हाउसिंग बोर्ड, विकास प्राधिकरण, पुलिस हाउसिंग और पीडब्ल्यूडी स्वतंत्र रुप से अपना काम कर सकेगा। इसके साथ ही बीडीए, आईडीए शहर के योजना क्षेत्र यानी प्लानिंग एरिया के बाहर भी रोड, पुल, पुलिया समेत अन्य विकास कार्य समेत कॉलोनियां काट सकेंगे। इससे लोगों को भी लाभ होगा और सरकार को भी।
कम से कम 40 हेक्टेयर का होना चाहिए प्रोजेक्ट
नए अधिनियम के तहत इसके लिए कम से कम 500 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट होना चाहिए या फिर जमीन का क्षेत्र कम से कम 40 हेक्टेयर होना चाहिए। इसके बाद ही सरकारी परियोजनाओं पर काम किया जा सकेगा। पहले संबंधित प्राधिकरण को इसकी योजना बनानी होगा और उसके बाद ही राज्य सरकार से इसकी अनुमति ली जा सकेगी।