December 24, 2024

Fighter Plane Power : वायुसेना के बेड़े में शामिल होंगे 233 नए लड़ाकू विमान,पुराने होंगे फेज आउट,अब भारत की ताकत देख कांपेंगे दुश्मन

iaf plane

नई दिल्ली ,07 अक्टूबर(इ खबर टुडे)। आसमान में अब भारत की ताकत इतनी बढ़ेगी कि दुश्मन इसे देख कर कांपेंगे। भारतीय वायुसेना के बेड़े में अगले दस वर्षों के भीतर 233 अत्याधुनिक लड़ाकू विमान शामिल किए जाएंगे। नए विमानों की खरीद के लिए आरंभिक प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। सरकार की योजना है कि ज्यादातर लड़ाकू विमानों का निर्माण देश में ही किया जाए। इससे एक तरफ जहां वायुसेना के लिए पुराने मिग विमानों को हटाने का रास्ता साफ होगा। वहीं, देश में लड़ाकू विमानों के निर्माण से आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी गति मिलेगी।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 83 तेजस हल्के लड़ाकू विमानों की खरीद को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। ये विमान एचएएल द्वारा निर्मित किए जाने हैं तथा इसके अत्याधुनिक संस्करण एलसीए-1ए की खरीद वायुसेना के लिए की जाएगी। हालांकि, इसके आरंभिक संस्करण के 22 विमान वायुसेना पहले ही खरीद चुकी है। रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए 38 हजार करोड़ रुपये भी स्वीकृत किए हैं। एलसीए का यह संस्करण अत्याधुनिक हथियारों से लैस होगा।

एक दिन पहले ही वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा कि 114 मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) की खरीद के लिए आरंभिक प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। इसके लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए गए थे जिनका अध्ययन करने के बाद निर्णय लिया जाएगा। इन विमानों का निर्माण भी देश में ही होगा। जिस कंपनी को भी इनकी आपूर्ति का ठेका मिलेगा, उसे देश में ही इनका निर्माण करना होगा। इसके पीछे भी सरकार का मकसद मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है।

बता दें कि हाल में वायुसेना के लिए 56 परिवहन विमानों की खरीद भी एयरबस से मेक इन इंडिया की शर्त पर की गई है। इसमें से 40 विमान देश में ही बनाए जाएंगे। इसके अलावा वायुसेना की तरफ से 36 और राफेल खरीदने के लिए भी सरकार से लगातार कहा जा रहा है। हालांकि सरकार ने अभी इसे स्वीकार नहीं किया है। लेकिन जिस प्रकार पाकिस्तान एवं चीन से चुनौतियां मिल रही हैं, उसके मद्देनजर प्रस्ताव को जल्द मंजूरी मिलने के आसार हैं।

अभी 600 से कम विमान

सूत्रों के अनुसार वायुसेना के पास अभी 600 से कुछ कम विमान हैं। लेकिन वायुसेना के मानकों के अनुसार करीब 756 विमान यानी 42 स्क्वाड्रन होने चाहिए। प्रत्येक स्क्वाड्रन में 18 लड़ाकू विमान होते हैं। अभी स्क्वाड्रन की संख्या 32 के करीब है। इस प्रकार नए विमानों के अधिग्रहण से आने वाले समय में वायुसेना के आधुनिक लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ेगी। लेकिन एलसीए तेजस 2024 के बाद ही वायुसेना को मिल पाएंगे। मल्टी रोल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति भी 2030 से पहले शुरू होने के आसार नहीं हैं। राफेल को लेकर अभी सौदा नहीं हुआ है लेकिन इनकी भी आपूर्ति पांच साल से पहले संभव नहीं है।

पुराने विमानों को फेज आउट करना चुनौती

इस बीच वायुसेना के समक्ष चुनौती यह है कि उसे पुराने विमानों को फेज आउट करना है। इनमें मिग के 4 स्क्वाड्रन हैं। जिनमें करीब 65 विमान बाकी बचें हैं। वायुसेना प्रमुख ने अगले तीन-चार सालों के भीतर इन्हें सेवा से हटाने की बात कही है। जगुआर, मिराज विमान भी पुराने पड़ रहे हैं। उन्हें अपग्रेड कराने का खर्च नए विमान खरीदने से कुछ ही कम होता है। इसलिए चुनौती यह है कि नए विमान आने के बावजूद पुराने विमान घटने से स्क्वाड्रन की संख्या 35 से ज्यादा नहीं हो पाएगी। जबकि 2001-02 के दौरान वायुसेना की स्क्वाड्रन 42 तक पहुंच चुकी थीं।

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