November 8, 2024

18 इंच में उज्जैन पानी..पानी..

व्यवस्थाएं ध्वस्त..। सभी ओर तबाही का मंजर..।

उज्जैन ,20 जुलाई( इ खबरटुडे)। 24 घंटे मेें 18 इंच बारिश, कई कॉलोनी-बस्तियों में पानी घुसा, 2006 का रिकॉर्ड टूटा, शिप्रा ने बड़ा ब्रिज कई फीट लांघा, गंभीर के चार गेट देर रात्रि 16 मीटर खुले रहे, रूद्रसागर के उफान से हरसिध्दि, महाकाल, जयसिंहपुरा मार्ग बंद, महाकाल नंदीगृह में घुसा पानी, नगर निगम टीम ऊंट के मुंह में जीरा, तैयारी शून्य साबित, पुलिस ने संभाला मोर्चा, स्वयं सहायता से हुई नागरिकों की मदद, घरों में पानी घुसने से आर्थिक नुकसान
24 घंटे में 18 इंच बारिश..। व्यवस्थाएं ध्वस्त..। सभी ओर तबाही का मंजर..। पानी का जलजला ऐसा था कि उसके आगे कोई व्यवस्था पानी नहीं भर सकी..। सड़कों पर पानी..। खेतों में पानी..। रेलवे ट्रेक पर पानी..। नदी-नालों ने तटबंध तोड़ दिये..। पानी की रेलमपेल घरों तक पहुंची..। क्या कॉलोनी और क्या बस्ती..। पानी के सामने सब एक समान..। किसी का छोटा नुकसान..। किसी का बड़ा नुकसान..। कोई नहीं बच सका..। शिप्रा ने 8 फीट ऊंचाई से बड़नगर ब्रिज लांघ इतिहास रचा..। शहर के कई क्षेत्रों में नाव चलाना पड़ी..। नगर निगम की व्यवस्थाएं किसी नगर पंचायत के हालात में दिखाई दी..। पानी के जलजले के हालात देख निगम का अमला बेहोशी के आलम में आ गया..। होमगार्ड, पुलिस, प्रशासन मैदान में कूदा..। स्वयंसेवी नवयुवक पहले ही मोर्चा संभाल चुके थे। पानी निकालने की जुगत शुरु..। सुबह से लेकर दोपहर तक एक ही काम..। आसमान की मेहरबानी रही..। कई जगह पानी निकला..। कई जगह अब भी परेशानी का पानी बाकी है..। शहर में 16 स्थानों पर राहत शिविर खोले गये हैं..। घरों में हुए नुकसान और खेतों में नुकसान को लेकर जिलेभर से मुआवजे की मांग उठने लगी है..। सोयाबीन तो मानो पानी में बह निकली..। जिले के कई तालाब खतरनाक स्थिति में आ चुके हैं..। गंभीर डेम के देर रात तक 4 गेट 16 मीटर खोलकर पानी बहाया जा रहा था..। मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटे भी भारी वर्षा की संभावना जताई गई है..।
करोड़ों का नुकसान
वर्ष 2006 में 9 अगस्त की रात से 10 अगस्त की सुबह तक 301 मिमी. यानि 12 इंच बारिश हुई थी। इस रिकार्ड को भी शनिवार और रविवार को हुई बारिश ने तोड़ दिया है। जीवाजीराव वैधशाला के मौसम प्रेक्षक दीपक गुप्ता ने बताया कि बीते 24 घंटे में 436 मिमी. बारिश दर्ज की गई। जो साढ़े 17 इंच पार हो गई। यह अब तक की रेकार्ड बारिश है। इसी के साथ इस मानसून में बारिश का आंकड़ा साढ़े 29 इंच जा पहुंचा है। वहीं मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि बारिश लगातार जारी रहेगी।
शिप्रा का ऐसा रौद्र रुप कई वर्षों बाद दिखा
शिप्रा अपने रौद्र रूप में बड़नगर रोड बड़ा पुल से करीब 8 फीट की ऊंचाई से बह निकली। पूर्वान्ह के समय में ही यह स्थिति बन गई थी। शिप्रा का पानी कार्तिक चौक तक आ पहुंचा था। कार्तिक चौक में नाव चलाना पड़ी। जयसिंहपुरा के पिछले हिस्से सहित इंदौर रोड की कई कॉलोनियाें में भी शिप्रा का पानी जा घुसा था। नीलगंगा, मोहनपुरा, चिंतामण, ईलाका, भैरवगढ़ आदि क्षेत्रों में शिप्रा के बढ़ते जल स्तर से प्रशासन के माथे पर सिलवटें आना शुरु हो गई थीं।
आज सभी स्कूलों में अवकाश
भारी बारिश के मद्देनजर जिले के सभी शासकीय, अशासकीय, केन्द्रीय विद्यालय में अवकाश घोषित कर दिया गया है। प्रांरभिक रूप से एक दिवसीय अवकाश घोषित किया गया है। आज पुन: समीक्षा की जायेगी। जिला शिक्षा अधिकारी संजय गोयल ने इस संबंध में कहा कि शिक्षकों को स्कूल में बुलाया गया। सिर्फ विद्यार्थियों का अवकाश रहेगा। इधर जिले के करीब 100 स्कूलों में 5 से 7 फीट पानी भर गया है। अत: आज पूरी तरह स्कूलों में अवकाश रहेगा।
बिजली कंट्रोल रूम छोड़ भागे, कई जगह चक्काजाम
भारी बारिश के चलते शहर में बिजली आपूर्ति की स्थिति गड़बड़ा गई है। कईं ईलाकों में शनिवार रात से ही बिजली गुल थी। वहीं शिप्रा में जल स्तर बढ़ जाने और शहर में जल भराव की स्थिति निर्मित होने से पुलिस प्रशासन ने ही एस्सेल को निर्देशित कर करीब 15 फीडरों से आपूर्ति रुकवा दी। इसके पश्चात बिजली कंट्रोल रूम से स्थिति की समीक्षा की जा रही थी लेकिन उग्र भीड़ वहां भी आ पहुंची। दो मर्तबा बिजली कंट्रोल रूम मक्सी रोड पर पुलिस गार्ड बुलाने पड़े। इसके अलावा कियोस्क, खेड़ापति झोन नई सड़क, गोपाल मंदिर आदि बिजली झोनों पर भी लोगों ने चक्काजाम कर प्रदर्शन किया। शाम तक 15 में से 8 फीडर पर बिजली आपूर्ति बहाल की जा चुकी थी, किंतु 24 घंटे में भी शहर के करीब 7 फीडरों से बिजली गुल थी। अधिकांश सड़के जलमग्न हो जाने के कारण ट्रांसफार्मर के डिस्ट्रीब्यूटर बाक्स में पानी जा पंहुचा जिससे आपूर्ति रोकना पड़ी। जैसे जैसे पानी खाली हो रहा था वैसे-वैसे बिजली व्यवस्था दुरुस्त की जा रही थी। इंदौर गेट, नईसड़क, कियोस्क, खेड़ापति, अंजूश्री, बाफना पार्क आदि क्षेत्रों में बिजली तथा पानी भराने की समस्या को लेकर चक्काजाम किया गया।
स्वयं सहायता से नागरिकों ने की मदद
24 घंटे में बारिश का रौद्र रुप ऐसा रहा कि जहां देखो पानी का जलजला था। पानी घरों और अन्य स्थानों पर घुस आया था। ऐसे में नगर निगम का अमला हालात देखकर बेहोशी के आलम में आ गया। अमला कहां था और कैसे काम कर रहा था, कोई खबर नहीं। इसके चलते नागरिकों ने स्वयं सहायता की स्थिति अपना ली। पानी निकालने के लिये युवाओं ने मोर्चा लिया। ऋषिनगर क्षेत्र में कई घंटों तक निगम गैंग के नहीं पहुंचने पर क्षेत्रीय युवाओं ने पानी के बहाव को बदला। नाले पर रुकाव की स्थिति को दूर किया। यही नहीं यहां तक कि जाम नालियों को भी चेम्बर खोल-खोलकर साफ करते हुए स्थिति को सुधारा।
समय निकला, पार्षद गायब
रविवार को जब नागरिक सो कर उठे तो घरों में पानी फैला पड़ा था। अलसाये नागरिकों ने सुबह से ही बर्तन हाथ में लेकर पानी निकाले की कवायद शुरु की। यह कवायद बहुत छोटी पड़ रही थी। इसके बावजूद पानी बढ़ रहा था। ऐसे हालातों में कई क्षेत्रों में क्षेत्रीय पार्षद न तो घरों के हालात देखने पहुंचे और न ही उन्हें इससे कोई लेना-देना बचा था। महिला पार्षदों ने तो पांच साल कार्यकाल पूर्ण करने की स्थिति में मुंह दिखाना भी वाजिब नहीं समझा। इसे लेकर नागरिकों में पार्षदों के प्रति आक्रोश की स्थिति देखी गई।
सोयाबीन पर दोहरी मार
इस बार सोयाबीन की फसल पर कम पानी और अधिक पानी की दोहरी मार पड़ गई है। पहले 25 दिन पानी नहीं बरसने से करीब 20 फीसदी फसल बर्बाद होने की बात सामने आ रही है। अब एक ही दिन में भयावह वर्षा से कई खेतों में पानी भर गया है और ढलान वाले खेतों में पानी के बहाव से फसल बह गई है। ऐसे में सोयाबीन पर दोहरी मार पड़ चुकी है।
कुएं-बावड़ी-नलकूप में ड्रेनेज का पानी, प्रशासन जागे
जल भराव की स्थिति में कई क्षेत्रों में कुएं-बावड़ी-नलकूप-हैण्डपंप और ड्रेनेज का पानी एक समान स्थिति में आ गया। इसके चलते आगामी दिनों में इन जल स्त्रोतों के पानी का उपयोग किया जायेगा। जिससे जल जनित बीमारियां फैलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसके चलते नगर निगम का स्वास्थ्य अमला पानी रुकते ही जल स्त्रोतों में ब्लिचिंग और क्लोरीन के साथ जल शुध्दिकरण की दवाइयां डाल देगा तो ऐसे में अगली परेशानी से नागरिकों को बचाया जा सकता है।
आधे घंटे पूर्व सूचना, सायरन बजाया फिर खोले डेम के गेट
गंभीर डेम पर शनिवार रात लेबल 479.14 मीटर था। रातभर हुई बारिश के चलते सुबह 8 बजे लेबल 482.75 मीटर पर पहुंच गया। इस स्थिति को भांपते हुए डेम का संधारण कर रहे पीएचई ग्रामीण के अधिकारियों ने डेम का गेट खोलने का निर्णय लिया। इसके पूर्व बाढ़ नियंत्रण कक्ष, जिला प्रशासन, रेलवे, एसडीएम नागदा, महिदपुर को सूचना दी गई। डेम के गेट खोलने से पूर्व सायरन बजाया गया। दो बार सायरन बजाने के बाद सुबह 8 बजे गेट नं. 2 और 3 खोले गये। 9 बजे स्थिति यह थी कि लेबल 483 मीटर पर छू रहा था। इसके चलते एक गेट और खोल दिया। 11 बजे भी स्थिति नियंत्रण में न देख अधिकारियों ने गेट नं. 5 को भी खोल दिया। इसके बाद भी पानी बढ़ता देख अधिकारियों ने दोपहर 12 से 1 बजे के मध्य 5 गेट खोल दिये। इस समय कुल 21 मीटर गेट खुले हुए थे। इसके बावजूद पानी 483 के मीटर पर डेम में बना हुआ था। रात 9 बजे लेबल कम होता देख अधिकारियों ने एक गेट बंद करवाया। समाचार लिखे जाने तक डेम के 4 गेट करीब 16 मीटर खुले हुए थे और डेम में पानी का लेबल 482.90 मीटर बना हुआ था। गौरतलब है कि गंभीर डेम में कुल 7 गेट हैं। इन सभी गेटों को हायड्रोलिक और मेकेनिकल दोनों सिस्टम से खोला जा सकता है। अत्याधुनिक इस डेम में अधिकतम पानी का लेबल 483.35 मीटर तक रखा जा सकता है। इस स्थिति में 2250 एमसीएफटी का डेम भर जाता है और बिड़वई गांव के ऊपरी छोर तक पानी पहुंच जाता है।
हालात अब भी बदतर
शहर के कई क्षेत्रों में देर रात तक हालात बदतर स्थिति में थे। कई क्षेत्रों में रात तक पानी का जमाव बना हुआ था। एकता नगर में प्रथम तल तक पानी का लेबल बना हुआ था।
भारी बारिश और जल भराव की स्थिति के चलते नगर की कई कालोनियों में और बस्तियों के घरों के साथ ही कारोबारियों को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है। डाबरी पीठा स्थित नजमी इंटरप्राईजेस नामक कॉपी कारखाने पर करीब 3 लाख रुपये की कॉपियां जल मग् होकर गल गई। प्रो.प्रा. इब्राहिम साहिल ने इस संबंध में कहा कि नई सड़क से पानी का जल स्तर कारखाने तक आ पहुंचा। डाबरी पीठा में करीब 7 फीट पानी जमा हो गया था। इसी प्रकार तोपखाना में भी कारोबार को काफी नुकसान पहुंचा है। ढाबारोड, कार्तिक चौक, नलिया बाखल आदि क्षेत्रों में भी व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है। शहर की व्यवस्थित कॉलोनियों में गिने जाने वाली ऋषिनगर ईडब्ल्यूएस के क्षेत्र में नाले का पानी घुसने से घरों में लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। यहीं के पटेलजी के नमकीन व्यवसायी को अकेले ही लाखों का नुकसान उठाना पड़ा है। अनुमान के अनुसार करोड़ों का नुकसान शहर भर में इस बारिश के चलते व्यापारियों और निवासियों को झेलना पड़ा है।
पुलिस ने संभाला मोर्चा
पानी से बेकाबू हालात देखकर नगर निगम का अमला बेहोशी के आलम में आ गया था। इसके विपरीत पुलिस होमगार्ड और नगर सुरक्षा समिति ने मोर्चा संभाला। जिन क्षेत्रों में पानी भरा था, वहां के थाना प्रभारी सीएसपी यहां तक कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भी मैदान में कूद गए थे। नीलगंगा, माधवनगर, नानाखेड़ा, चिमनगंज, जीवाजीगंज, भेरुगढ़, महाकाल थाने का अधिकतम स्टाफ लोगों को मुसीबत से बचाने और उनकी सहायता में लगा रहा। खुद पुलिस अधीक्षक एम.एस. वर्मा पूरी स्थिति पर नजर रखते हुए जहां से उन्हें मदद की गुहार लग रही थी, वहां अपने फोर्स को भेज रहे थे। यहां तक कि लाइन से भी नव आरक्षकों का उपयोग मदद के कार्य में किया गया।
सड़कें बनाई, ड्रेनेज सिस्टम नहीं
नगर निगम ने सिंहस्थ को देखते हुए नगर में सड़कें तो बनाई, इन सड़कों को बनाने में नगर निगम के यंत्रियों ने ड्रेनेज सिस्टम को लेकर बिल्कुल सिरे से ही अपनी नाफरमानी का अंदाज अख्तियार किया। यही कारण रहा कि सड़क पर सड़क का लेप चढ़ता गया। सड़कें ऊंची, मकान नीचे। आखिर क्यों न पानी घरों में घुसे। आगर रोड, देवास रोड, इंदौर रोड में सड़क निर्माण के दौरान लोक निर्माण विभाग, नगर निगम ने मटेरियल डालकर नाले और नालियों को जाम कर दिया। जाम की स्थिति आज आम हुई। नागरिक परेशान और निगम हैरान। इन हालातों को पूरे शहर ने भोगा है। सड़कें चौड़ी, नालियां संकरी ये है नगर निगम के दिमागी दिवालियेपन का एक नमूना। नाले की नैसर्गिक चौड़ाई 14 से 16 फीट थी, जिसे निर्माण के दौरान 5 फीट में तब्दील कर दिया। 16 फीट की चौड़ाई में पानी के बहाव और 5 फीट के निर्मित नाले में पानी के बहाव की स्थिति का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। इन्हीं हालातों के कारण कई क्षेत्रों में पानी घुसा और कॉलोनियों के निवासी परेशान हुए। महीनों से नाले और नाली की सफाई को लेकर निगम का अमला कागजों में ही उपलब्धियां दर्शाता रहा।
आज जल प्रदाय नहीं
24 घंटे में जोरदार बारिश ने पीएचई नगर निगम को भी बेहाल कर दिया है। पानी में गाद आने की वजह से फिल्टर प्लांट जाम की स्थिति में आ रहे हैं। वोल्टेज कम यादा होने से पंप नहीं चल पा रहे हैं। गऊघाट फिल्टर प्लांट पम्प हाउस में शिप्रा का पानी घुसने से यहां पंप चलाना नामुमकिन स्थिति बन रही है। इन समस्याओं के चलते सोमवार को नागरिकों को नलों से जल नहीं मिल पायेगा। शहर की टंकियां खाली पड़ी हैं, जिन्हें वर्तमान हालात में भरने की स्थिति नहीं बन पा रही है। पीएचई कंट्रोल रुम प्रभारी कमलेश कजोरिया के मुताबिक सोमवार को स्थिति सामान्य होने पर टंकियां भरकर मंगलवार को जलप्रदाय किया जायेगा।
उज्जैन से बड़नगर-आगर का कई बार संपर्क टूटा
भारी बारिश के चलते उौन का आसपास के शहरों से कई बार संपर्क कटता-जुड़ता रहा। बड़नगर रोड पर इंगोरिया, धरेरी के पास ब्रिज पर पानी आने से आवागमन अवरुध्द रहा। इसी प्रकार केसुर और मौलाना के पास चंबल नदी के ऊफान पर आने की स्थिति में मार्ग बंद-चालू होता रहा। घट्टिया तहसील अंतर्गत पिपलई पुलिया पर पानी आने से उज्जैन-आगर मार्ग बंद रहा। पानबिहार व्हाया महिदपुर रोड पर पानी आने से यह मार्ग भी बंद हुआ था। मक्सी रोड पर भी इसी प्रकार के हालात बनते रहे। देवास रोड पर भी यही हालात कई बार बने और इंदौर रोड पर भी इन हालातों से आवागमनकर्ताओं को गुजरना पड़ा है।
एस्सेल ने प्रशासन को दोहरी परेशानी में डाला
एस्सेल विद्युत वितरण कंपनी के कारण प्रशासन रविवार को दोहरी परेशानियों में घिरा रहा। एस्सेल के झोन पर कर्मचारी नहीं और फिल्ड में पहुंचे कर्मचारी काम के लायक नहीं, की स्थिति के कारण अनेक झोन पर विवाद होते रहे। महाश्वेता झोन, वल्लभ नगर सहित करीब 5 झोन पर विवाद हुए हैं। बिजली नहीं मिलने पर कई जगह चक्काजाम किया। पुलिस प्रशासन की समझाइश के बाद जैसे-तैसे नागरिक माने।
नगर निगम कंट्रोल रुम पर कुल 54 शिकायत
इसे आश्चर्य से कम नहीं कहा जायेगा कि नगर निगम कंट्रोल रुम पर शहरभर में परेशानी और पानी घुसने की स्थितियों के बावजूद मात्र 54 शिकायतें दर्ज की गई हैं। रविवार सुबह से लेकर रात तक यहां उपस्थित कर्मचारी 54 शिकायतों की जानकारी दे रहे थे। इनमें कोठी रोड पर वृक्ष गिरने की शिकायत दर्ज थी। ऋषिनगर में वृक्ष गिरने की शिकायत दर्ज नहीं की गई।
गऊघाट पाले पर 24 फीट पानी
पीएचई कंट्रोल रुम के मुताबिक शिप्रा के गऊघाट पाले पर रात 10 बजे 24 फीट पानी चल रहा था। यहां स्थिति यह है कि गऊघाट पाले पर अगर 16 फीट पानी पहुंचता है तो इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि बड़नगर रोड बड़े पुल के नजदीक पानी चल रहा है। इसी प्रकार त्रिवेणी पाले पर 22 फीट पानी चल रहा था। साहेबखेड़ी तालाब में 6 फीट और उण्डासा में 8 फीट पानी की स्थिति सामने आ रही है।
सड़कें खुदी, डामर अलग, गिट्टी अलग
नगर निगम ने हाल ही में शहर की गली-कुचों की सड़कों पर डामरीकरण करवाया था। करीब 18 इंच बारिश ने निगम की इस करोड़ों रुपये की सड़कों को खोद कर पटक दिया है। हालत यह है कि सड़कों पर डामर, चूरी, गिट्टी अलग-अलग पड़ा हुआ है। सड़कें छितरी पड़ी हैं।
संघ स्वयंसेवकों ने संभाला मोर्चा
जब कुछ क्षेत्रों में समस्याग्रस्त नागरिकों की मदद को कोई आगे नहीं आ रहा था, ऐसे में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ महानगर सेवा विभाग ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में सेवा कार्य कर नागरिकों को मुसीबत से बाहर निकाला है। सेवा कार्य पाण्डयाखेड़ी, नीमनवासा सहित कई बस्ती और कॉलोनियों में चलाया गया। इसमें विभाग सेवा प्रमुख मुकेश दिसावल सहित अनुराग जैन, प्रदीप झा, रमेश गुर्जर, दिनेश चोटी, प्रेम राठौर, वीरेन्द्र सुगंधी, प्रतीक जोशी, दीपक कुमावत आदि ने नागरिकों की मदद करते हुए उन्हें बाढ़ के पानी से बाहर निकाला और सेवा की है।
भाजपा नगर अध्यक्ष ने पार्षदों को कहा क्षेत्रों में जाएं
भाजपा नगर अध्यक्ष इकबालसिंह गांधी ने देर शाम पार्टी के पदाधिकारियों और क्षेत्रीय पार्षदों को क्षेत्र में जाकर जहां पानी भर गया है वहां लोगों की मदद करने और उन क्षेत्रों में भोजन की व्यवस्था में सहयोग करने का निवेदन किया है। गौरतलब है कि इस्कॉन ने कई क्षेत्रों में भोजन पहुंचाने की व्यवस्था की थी।

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