December 24, 2024

हिंदी की अनिवार्यता पर भड़के कर्नाटक-तमिलनाडु, नई शिक्षा नीति के मसौदे का विरोध

kumarswami

नई दिल्ली ,3जून (इ खबर टुडे )। देश में नई शिक्षा नीति के मसौदे को लेकर विवाद हो गया है. इस मसौदे में क्लास 8 तक हिंदी अनिवार्य किए जाने की सिफारिश की गई है. इस सिफारिश पर कई राज्यों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है. इन राज्यों में ज्यादातर गैर-हिंदी भाषी राज्य हैं. कर्नाटक, तमिलनाडु और बंगाल में विरोध के स्वर तेज हैं. इन प्रदेशों ने कहा है कि किसी भी भाषा को थोपने के प्रयास का चौतरफा विरोध किया जाएगा.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने एक ट्वीट कर नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा (तीन भाषा) की नीति का विरोध किया है. कुमारस्वामी ने कन्नड़ में ट्वीट किया और लिखा, ‘मानव संसाधन मंत्रालय (एचआरडी) की ओर से जारी मसौदे को कल मैंने देखा जिसमें हिंदी थोपने की बात की गई है. तीन भाषा की नीति के नाम पर किसी पर कोई भाषा नहीं थोपी जानी चाहिए. इसके बारे में हमलोग केंद्र सरकार को सूचित करेंगे.’

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर लंबित मसौदा रिपोर्ट शुक्रवार को सार्वजनिक की गई. के कस्तूरीरंगन समिति ने हाल में केंद्र सरकार को सौंपे अपने राष्ट्रीय शिक्षा नीति मसौदे में त्रिभाषा फार्मूले को लागू करने का सुझाव दिया है. इसके खिलाफ तमिलनाडु में राजनैतिक दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. इसके बाद कई राज्यों में विरोध की आवाज तेज हुई है. हालांकि केंद्र ने शनिवार को साफ किया कि त्रिभाषा फार्मूला एक सिफारिश मात्र है, कोई नीति नहीं. सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने भी कहा कि समिति ने नई शिक्षा नीति पर अपनी रिपोर्ट सौंपी है. सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है. पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री जावडेकर ने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं को प्रमुखता दी जाएगी.

कस्तूरीरंगन समिति ने राज्यों को हिंदीभाषी और गैर हिंदीभाषी में बांटा है और सुझाव दिया है कि गैर हिंदीभाषी राज्यों में त्रिभाषा सिस्टम के तहत अंग्रेजी और राज्य की क्षेत्रीय भाषा के साथ हिंदी पढ़ाई जानी चाहिए. समिति ने सुझाव दिया है कि हिंदीभाषी राज्यों में हिंदी और अंग्रेजी के साथ देश के अन्य हिस्सों की आधुनिक भारतीय भाषाओं में से किसी एक को पढ़ाया जाए. समिति ने यह साफ नहीं किया है कि आधुनिक भारतीय भाषा से उसका क्या अर्थ है. तमिल को केंद्र सरकार ने क्लासिकल भाषा का दर्जा दिया हुआ है.

दूसरी ओर इस मसौदे को लेकर मचे हो-हल्ले के बीच उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को सभी से आग्रह किया है कि वे जल्दबाजी में अपनी राय देने के बदले पूरी रिपोर्ट को पढ़ें. उन्होंने कहा, “हमें भाषा पर लड़ाई नहीं करनी चाहिए.” वेंकैया ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय एकता के लिए उत्तर भारतीयों को एक कोई दक्षिण की भाषा सीखनी चाहिए और दक्षिण भारतीयों को उत्तर भारत की कोई एक भाषा सीखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मसौदा नीति में प्रस्ताव किया गया है कि कम से कम कक्षा पांचवीं तक के बच्चों को और आदर्श रूप में कक्षा आठवीं तक के बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “बच्चे अपनी मातृभाषा में बेसिक बातों को समझ पाते हैं. अंग्रेजी भी सीखने की जरूरत है लेकिन वह बुनियाद मजबूत होने के बाद.”

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds