May 4, 2024

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री चौरड़िया के प्रकरण में कार्यवाही

प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश

 रतलाम 1सितम्बर(इ खबरटुडे)। कलेक्टर ने नगर निगम आयुक्त सोमनाथ झारिया को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजमल चौरड़िया के मकान संबंधी प्रकरण में माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों एवं वर्तमान में हो रही कार्यवाहियों के बारे में कार्यवाही प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। जन सुनवाई में श्री चौरड़िया ने शिकायत दर्ज कराई कि न्यायालय के द्वारा उसके मकान को बगैर क्षति पहुॅचाये पड़ोसी को कार्य करने की अनुमति दी थी किन्तु पड़ोसी के द्वारा किये जाने वाले निर्माण कार्य से उसके मकान को क्षति पहुॅच रही है। कलेक्टर ने तत्काल मकान का कार्य रूकवाने और जॉच करने के निर्देश दिये है कि क्या श्री चौरड़िया के मकान को क्षति पहुॅची हैं यदि हॉ तो इसे उच्च न्यायालय के आदेश की अवेहलना मानते हुए कार्यवाही करने और पश्चात् प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।

 शम्भुलाल रांगी के प्रकरण की जॉच करे एसडीएम आलोट

कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर ने ग्राम पंचायत बिसलखेड़ा में 1997 में नियुक्त किये गये एवं बाद में पद से हटा दिये गये। पंचायत कर्मी शम्भुलाल रांगी के प्रकरण में परीक्षण कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश एसडीएम आलोट को देते हुए प्रकरण को समयसीमा की बैठक के एजेण्ड में रखने के निर्देश दिये। श्री रांगी के द्वारा जन सुनवाई में शिकायत दर्ज कराई कि पॉच सौ रूपये प्रतिमाह के मानदेय पर उसकी नियुक्ति हुई थी। उसने कार्य भी किया किन्तु तत्कालिन सरपंच गंगाबाई के पति के द्वारा उससे बीस हजार रूपये की रिश्वत की मांग बार-बार की गई। उनकी मांग नहीं माने जाने पर उसे नौकरी से हटा दिया गया और वह और उसका परिवार आज तक मुश्किल से अपना गुजारा कर पा रहे है।

इन्दिरा आवास के बदले रिश्वत मांगी और आवास नहीं मिला

कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर ने जनपद पंचायत रतलाम के सीईओ को धबाईपाड़ा के कालु एवं हुरजी के द्वारा इन्दिरा आवास योजना का लाभ नहीं मिलने और राशि को गबन करने संबंधी शिकायत में जॉच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिये है। आज जन सुनवाई में शिकायतकर्ताओं के द्वारा लिखित में शिकायत कर बताया गया कि वर्ष 2012-13 में उन्होनें इन्दिरा आवास के लिये आवेदन किया था। तत्कालिन सरपंच मांगुबाई एवं सचिव बालु कटारा द्वारा बैंक में खाता खुलवाने के नाम पर पॉच-पॉच सौ रूपये लिये गये। बाद में उनका नाम प्रतिक्षा सूची में रखा गया एवं अन्तत: उन्हें पुन: दस – दस हजार रूपये की रिश्वत की मांग पूरी नहीं करने पर योजना से वंचित होना पड़ा। संबंधितों के द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की मांग पर डराया एवं धमकाया भी गया।

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