December 24, 2024

स्वंयसेवको ने कस्तूरबा नगर स्थित दैनिक श्रीराम शाखा पर महान संत रविदास जी की जयंती हर्षोल्लास पूर्वक मनाई

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रतलाम,19 फरवरी(इ खबरटुडे)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कस्तूरबा नगर स्थित दैनिक श्रीराम शाखा पर स्वंयसेवको ने महान संत रविदास जी की जयंती उल्लास पूर्वक मनाई इस अवसर पर अतिथि वक्ता राजाराम तिवारी एवं रामबाबू शौचे ने अपने उदबोधन मे संत श्री रविदास जी के जीवन के प्रेरक प्रसंग का स्मरण किया।

अतिथियों ने अपने प्रेरणास्पद संबोधन में उल्लेख करते हुए कहा कि संत रविदास अनुसूचित समुदाय के थे पर बचपन मे उनको शिक्षा पंडित शारदानंद ने दी थी…शारदानंद के पुत्र रविदास के साथ ही शिक्षित हुऐ और उन दोनो मे इतना स्नेह था कि अपने मित्र की अकाल मृत्यु होने पर संत रविदास ने अपने मित्र को आध्यात्मिक शक्ति से पुनर्जीवित कर दिया था…पंडित शारदानंद को बालक रविदास के चेहरे के तेज को देखकर यह महसूस हो गया था कि रविदास कोई सामान्य बालक न होकर ईश्वरीय संतान है…पंडित शारदानंद ने रविदास को अपनी पाठशाला में प्रवेश दिया और उनको प्रारम्भिक शिक्षा दी।

संत रविदास आगे चलकर संत रामानंद के शिष्य बने… कबीर भी रामानंद के ही शिष्य थे। संत रामानंद से पाई हुई शिक्षा से ही वे राजस्थान मे सनातन धर्म का प्रचार करने लगे, मध्यकाल की महान कवियित्री मीराबाई जिनके आध्यात्मिक गुरू संत रविदास थे। धर्म प्रचार के दौरान चित्तोड़ का किला उनका निवास हुआ करता था, तब सिकंदर लोधी ने सदन कसाई को रविदास के पास भेजा कि वे मुस्लिम बन जाये क्योकि उनका समाज पर गहरा प्रभाव था।

यदि वे धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बन जाते तो उनके लाखों अनुयायी भी इस्लाम धर्म में परिवर्तित हो जाते पर सदन कसाई संत रविदास से इतना प्रभावित हुआ कि वो खुद सनातन धर्म मे रामदास बनकर शामिल हो गया और हिंदू धर्म का प्रचार करने लगा। तब क्रोधित होकर सिकंदर लोधी ने उन दोनो को बंदी बना लिया, अनेक प्रकार की यातनाऐ दी पर उन्होंने अपना धर्म नही बदला ! संत रविदास ने सिकंदर लोधी को जबाव दिया-

” वेद धर्म सबसे बड़ा, अनुपम सच्चा ज्ञान।
फिर मे क्यो छोड़ू इसे, पढ़ लू झूठ कुरान।।
वेद धर्म छोड़ू नही, कोशिश करो हजार।
तिल तिल काटो चाहि, गोदो अंग कटार।।”

बाद में सन्त रविदास की आध्यात्मिक शक्तियों और चमत्कार से भयभीत होकर सिकन्दर लोधी ने उन्हें कारागार से रिहा कर दिया । संत श्री रविदास जी ने अपना पुरा जीवन भगवान श्री कृष्ण भक्ति मे अर्पित कर दिया। शाखा के प्रारंभ में अतिथियों ने पूज्य संत श्री रविदास जी के चित्र पर माल्यार्पण किया इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक उपस्थित थे।

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