November 3, 2024

सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजनों से मलाई काटते जिम्मेदार

तीन गुना से अधिक बिल पेश करने का दिया जाता है फरमान
व्यक्ति विशेष को अलग अलग नाम से दिए जाते है कार्यक्रम के ठेके

रतलाम,25 दिसम्बर (इ खबर टुडे)। शहर में नगर निगम द्वारा वर्षभर में विभिन्न धार्मिक उत्सवों के दौरान मेलों व अन्य आयोजन आयोजित करने की पुरानी परंपरा है। इन आयोजनों में मनोरंजन हेतु सांस्कृतिक गीत-संगीत के कार्यम भी आयोजित किए जाते है। जैसा कि अमूमन सरकारी आयोजनों में होता है जिम्मेदार पदो पर बैठे जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी एैसे आयोजनों में स्वयं का फायदा पहले देखते है। उन्हें कार्यक्रम की गुणवत्ता या कलाकारों की योग्यता से कोई मतलब नहीं होता है।

अमूमन इस सांस्कृतिक कार्यो में जिस भी कार्यक्रम में जिम्मेदारों अधिकारीयों को ज्यादा कमीशन की गुंजाइश होती है वे उसी कार्यक्रम पर हामी भरते है। आमजन प्राय: भूमाफिया, शराब माफिया, शिक्षा माफिया को ही जानते है परंतु हमारे शहर रतलाम में संगीत-माफिया भी सक्रीय है। उल्लेखनीय है कि पिछले कई वर्षो से नगर निगम के विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनो में गीत-संगीत, आर्केस्ट्रा आदि कार्यक्रम लगभग सभी एक ही व्यक्ति विशेष को अलग-अलग फर्जी संस्थाओ के नाम पर दिए गए है। सूत्रो की माने तो वर्तमान महापौर एवं बाजार समिति के अध्यक्ष संदीप यादव के कार्यकाल में यह फर्जीवाडा अपने चरम पर पहुंच चुका है। वर्तमान में चल रहे त्रिवेणी मेले में बीती रात हुई भजन संध्या जो कि तथाकथित प्रिंस म्यूजिकल ग्रुप द्वारा की गई थी का संबंध भी सीधा शहर में सीय संगीत माफिया से बताया जाता है। इस आयोजन में हुई भजन संध्या का स्तर वहां उपस्थित श्रोताओ की उपस्थिति देख कर ही लगाया जा सकता है जो कि नगण्य थी। जानकारों की माने तो कमीशन का यह बडा गोरखधंधा है जिसमें बाजार समिति के अध्यक्ष से लेकर सदस्य एवं जनसंपर्क अधिकारीयों का भी हिस्सा होता है। कहा तो यह भी जाता है कि निगम अध्यक्ष , महापौर एवं आयुक्त तक का भी हिस्सा इसमें मिला होता है।

इस घपलेबाजी की तुलना बहुचर्चित व्यापम घोटाले से की जा सकती है, जिसे शुरूआत में ज्यादा तूल न देने वाला घोटाला कहा गया और बाद में भाजपा की ही नेत्री व मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने ही इसे कोयला घोटाले से भी बडा घोटाला करार दिया है।

यदि ईमानदारी से हुए भ्रष्टाचार की जांच की जाए तो करोडाे का गबन सामने आ सकता है। पूर्व में भी इस संबंध में शिकायते संगीत से जुडे लोग करते आए है लेकन उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज ही साबित होती है। सूचना के अधिकार की धज्जीया उडाने में माहिर नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी ने इन्हीं कार्यक्रम से संबंधित एक जानकारी पिछले वर्ष दिसंबर से दबा रखी है। विगत वर्ष दिसंबर में बॉडी बिल्डर्स एसोसिएशन द्वारा निगम से आयोजन संबंधी जानकारी मांगी गई थी जिसका जवाब आज दिनांक तक निगम के अधिकारीय ो द्वारा नहीं दिया गया है, मजबूरन बॉडी बिल्डर्स एशोसिएशन को उच्च न्यायालय की शरण में जाना पडा, लेकिन बाजार समिति के संदीप यादव ने उच्च न्यायाल के आदेश की भी अवहेलना की है।

इसी संदर्भ में जब हमारे संवाददाता ने संगीत से जुडी क़ुछ संस्थाओ से संपर्क कर नगर निगम की कार्यप्रणाली जानना चाही तो कई आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए। नाम न छापने की शर्त पर एक कलाकार ने निगम के जिम्मेदार व्यक्ति के  नवरात्रि के दौरान मेले में प्रस्तुति देने हेतु तीन हजार रूपये में कार्यक्रम करने का प्रस्ताव दिया, जिसके बदले में इस कलाकार को रू 35000 का बिल पेश करने को को कहा गया। यदि इस कलाकार की बात माने तो अंदाजा लगाया जा सकता है की कलाकारों तक पहुंचने वाली राशि और बीच में हडप ली जाने वाली कमीशन की राशि में कितना अंतर होता है। एैसे में कार्यक्रम की गुणवत्ता कैसी होगी इसका अंदाजा कोई भी लगा सकता है। वर्षभर में चार मेलों में लगभग दो दर्जन से भी ज्यादा सांस्कृतिक आयोजन होते है कवि सम्मेलन और मुशायरों को छोड दे तो बाकि के सभी आयोजन संगीत से जुडे होते है और सारे कार्यक्रम एक ही व्यक्ति को अलग अलग नामों से देने के पीछे जिम्मेदारों का स्वयं का हित जुडा हुआ है।

संगीत से जुडी क़ुछ संस्थाऐ पुन: सूचना के अधिकार को हथियार बना कर इस घपलेबाजी को उजागर करने का मन बना लिया है। साथ ही नवनियुक्त नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी लिखित शिकायत भेजकर जनता की गाढी क़माई पर पडने वाले इस डाके पर रोक लगाने की गुहार की है, यह भी निवेदन किया गया है कि कलाकारों को उनका सम्मानजनक मेहनताना भी बिना किसी कमीशन या बिचौलियो के सीधा उन्हें देने व प्रस्ताव की स्वीकृति आपत्ति हेतु नियम व पारदर्शी किया जाए। मध्यप्रदेश में तीसरी बार कमान संभाल चुके लोकप्रिय मुख्यमंत्री भी भ्रष्टाचार को पूरी तरह मिटाने के लिए प्रतिबध्द है और एैसा करना उनके लिए आवश्यक भी है वरना मध्यप्रदेश में भी दिल्ली जैसे हालात  उत्पन्न हो सकते है। ज्ञातव्य है कि पूरे प्रदेश में ‘आप’ का सदस्यता अभियान जोरो पर है।

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