विज्ञान को आध्यात्म की आवश्यकता,आध्यात्म को नहीं
गायत्री परिवार द्वारा प्रबुध्द वर्ग गोष्ठी का आयोजन
रतलाम,16 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। बुरे व्यक्तिको अच्छा बनाना ही वैज्ञानिक अध्यात्म है। विज्ञान परिणाममूलक है और अध्यात्म भी परिणाममूलक है। यदि दोनो परिणाम नहीं देते है तो वह न तो विज्ञान है,ना ही अध्यात्म। पश्चिम की परिभाषा में किसी भी विष? का विधिवत ज्ञान ही विज्ञान है,लेकिन भारतीय संस्कृति में विज्ञान का अर्थ है विशीष्ट ज्ञान। आज की परिस्थितियों में विश्व में विज्ञान को आध्यात्म की आवश्यकता है,अध्यात्म को विज्ञान की नहीं।
उक्त विचार ब्रम्हवर्चस शोध संस्थान हरिद्वार के प्रतिनिधि डॉ.अमल कुमार दत्ता ने वैज्ञानिक अध्यात्मवाद समय की मांग विषय पर अखिल भारतीय गायत्री परिवार रतलाम द्वारा स्थानीय रामकृष्ण मिशन आश्रम पर रविवार को आयोजित प्रबुध्द वर्ग गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रुप में व्यक्त किए। डॉ.दत्ता ने कहा कि कोई व्यक्ति ईश्वर में आस्था व्यक्त करे अथवा नहीं लेकिन उसके भीतर मनुष्यता है तो वह धार्मिक है। क्योकि धर्म का अर्थ है गुण और इन गुणों में अभिवृध्दि करने के कार्य को साधना कहते है। स्वयं के प्रति कठोर और दूसरे के प्रति उदारता का गुण यदि विकसित न हो तो वह साधना नहीं अपितु पाखण्ड होगा इसलिए जीवन में शुध्दता पर नहीं पवित्रता पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
प्रबुध्द वर्ग की गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे पर्यावरण विद् डॉ.खुशालसिंह पुरोहित ने भी संबोधिथ किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ पुरोहित ने कहा कि दुख की निवृत्ति और आनंद की प्राप्ति ही जीवन का लक्ष्य है और यह लक्ष्य विज्ञान और आध्यात्म के मार्ग से ही प्राप्त किया जा सकता है। गोष्ठी का प्रारंभ अतिथियों द्वारा ठाकुर रामकृष्ण परमहंस के पूजन द्वारा किया गया। अतिथियों का स्वागत गायत्री परिवार रतलाम के प्रमुख पातीराम शर्मा ने किया। अतिथि परिचय विवेक चौधरी ने दिया।ष इस परिचर्चा में राजेन्द्र सिंह राठौर,डॉ मुकुन्द वाणी,डॉ एमएल ठन्ना ने भाग लिया. गोष्ठी में पं. बाबूलाल जोशी,डॉ.हरिकृष्ण बडोदिया,डॉ सरोज कल्याणे,शरद जोशी,डॉ दिनेश जोशी,राममनोरथ पाण्डे,शरत चतुर्वेदी,आशीष दशोत्तर,अर्जुनसिंह चौहान सहित बडी संख्या में प्रबुध्द जन एवं गायत्री परिवार के परिजन उपस्थित थे। संचालन डॉ रत्नदीप निगम ने किया।