वर्तमान प्रणाली से मुकदमे सुलझने में लग जाएंगे 320 साल -प्रियदर्शन शर्मा
डिजिटलाईजेशन पर अधिवक्ता परिषद का व्याख्यान
रतलाम,06 मार्च(इ खबरटुडे)। वर्तमान समय में वही अस्तित्व में है जो समय के हिसाब से खुद को बदल रहा है। न्यायालयों में आज एक सेकंड में काम होने लगा है। इससे मुकदमे निपटाने में समय नहीं लगता। जिडिटिलाईजेशन का यही फायदा है इसके बिना यदि न्याय की वर्तमान प्रणाली से चलें, तो एक सर्वे के अनुसार मुकदमे सुलझाने में 320 साल लग जाएंगे।
यह बात चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश प्रियदर्शन शर्मा ने जिला अभिभाषक संघ के सभागृह में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद द्वारा आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में कही। भारतीय न्याय व्यवस्था का डिजिटलाईजेशन-अधिवक्ताओं की भूमिका विषय पर उन्होंने कहा कि वर्तमान न्याय व्यवस्था धीमी है। इसे गति देने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। पक्षकारों, अभिभाषकों, न्यायाधीशों और प्रशासन सभी को तकनीक के अनुरूप ढ़लना होगा। कुछ प्रकरणों का उल्लेख करते हुए श्री शर्मा ने डिजिटलाईजेशन के फायदों की विस्तार से जानकारी दी।
उन्हंोने कहा कि अब पक्षकारों को न्यायालय आने की जरूरत नहीं होगी। अपनी फाइल को वे घर बैठे ही देख सकते हैं। वेबसाइट से सारी जानकारी मिल जाती है। डिजिटल लॉकर की सुविधा भी है। ईकोर्टस, पेपरलेस कोर्ट के उद्घाटन हो चुके हैं। टचस्क्रीन की सुविधा से भी कई जानकारियां मिल रही है। न्याय व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए डिजिटलाईजेशन एक क्रांतिकारी कदम है।
श्री शर्मा ने कहा कि देश में अभिभाषकों की भूमिका प्रारंभ से गौरवमयी रही है। अधिवक्ता बेजुबान लोगों की आवाज है। समाज को सही दिशा देने का कार्य वे करते आ रहे हैं। वर्तमान परीपेक्ष्य में अधिवक्ताओं को भी तकनीक के साथ बदलना होगा। इससे न्याय जल्द सुलभ होने लगेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष किशोर कुमार मंडोरा ने कहा कि परिषद के रजत जयंती वर्ष में प्रतिमाह ऐसी परिचर्चाए आयोजित की जाएंगी। विशेष अतिथि के रूप में जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष संजय पंवार ने भी आयोजन की प्रशंसा की। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश एमए खान व द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश सत्येंद्र जोशी मंचासीन थे। संचालन परिषद के महामंत्री सतीश त्रिपाठी ने किया। आभार कोषाध्यक्ष विरेंद्र कुलकर्णी ने माना।