November 9, 2024

लोक सेवा गारंटी में 10 अधिकारी को कारण बताओ नोटिस

एक अधिकारी पर शास्ति की कार्रवाई

भोपाल 10 अक्टूबर (इ खबरटुडे)।  भोपाल लोक सेवा गारंटी अधिनियम में आवेदक को चाही गई सेवा का लाभ तय समय-सीमा में नहीं देने पर बालाघाट जिले में 10 अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इन अधिकारियों में किरनापुर के तहसीलदार एस.आर. वर्मा, तिरोड़ी के तहसीलदार रायसिंह कुशराम, विद्युत मंडल तिरोड़ी के कनिष्ठ अभियंता राम स्वरूप धामड़े, कटंगी के तहसीलदार कुशराम, जनपद पंचायत किरनापुर के सी.ई.ओ. रंजीत सिंह ताराम, नगर पंचायत कटंगी के प्रभारी सी.एम.ओ., परसवाड़ा के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ. वासु क्षत्रिय, लालबर्रा के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ. टी.सी. मेश्राम, किरनापुर के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ. नागोराव रंगारे तथा कटंगी के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ. पंकज दुबे शामिल हैं।

लोक सेवा केन्द्रों के जरिये प्राप्त आवेदन का तय समय-सीमा में इन अधिकारियों द्वारा निराकरण नहीं किया गया। समय-सीमा में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर इन पर सेवा देने में विलंब की अवधि का 250 रुपये प्रतिदिन की दर से जुर्माना लगाया जायेगा। जुर्माने की राशि समय पर सेवाएँ नहीं मिलने से परेशान आवेदक को दी जायेगी। बालाघाट के कलेक्टर व्ही. किरण गोपाल ने यह कार्रवाई की है।

सी.ई.ओ. पर शास्ति

आगर-मालवा जिले की सुसनेर जनपद पंचायत की सी.ई.ओ. सुश्री तीजा पवार पर लोक सेवा गारंटी अधिनियम में प्राप्त 5 आवेदन-पत्र का समय-सीमा में निराकरण नहीं करने पर हाल ही में 5000 रुपये की शास्ति आरोपित की गई है। बागरीखेड़ा की भागवंता बाई ने राष्ट्रीय परिवार सहायता योजना का, जामुनिया की नानी बाई, सुसनेर के तंवर सिंह एवं भेरू सिंह ने इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के लाभ के लिए आवेदन प्रस्तुत किए थे। कलेक्टर विनोद शर्मा ने नियत अवधि में इन आवेदन-पत्रों का निराकरण नहीं करने पर पहले शोकॉज नोटिस जारी किया, जिसका संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर यह कार्रवाई की गई।

राज्य शासन द्वारा लोक सेवाओं की समय में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये लागू ‘लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम’ में अभी तक 23 विभाग की लगभग 155 सेवा को इस कानून के दायरे में लाया जा चुका है। इनमें से लगभग 72 सेवा के ऑनलाइन आवेदन प्रदेश में संचालित 336 लोक सेवा केन्द्र के जरिये प्राप्त किये जा रहे हैं।

अधिनियम में सेवाएँ देने की निश्चित समय-सीमा तय की गई है। समय-सीमा में पदाभिहित अधिकारी को यह सेवा देनी होती है। समय-सीमा में काम न करने या अनावश्यक विलंब करने वाले अधिकारी एवं कर्मचारी पर दण्ड का प्रावधान है। यह दण्ड 250 रुपये से 5000 रुपये तक का है। दण्ड के रूप में मिलने वाली राशि आवेदक को क्षति-पूर्ति के रूप में दी जाती है।

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