राजस्थान संकट: आधी रात तक चली कैबिनेट की बैठक, बहुमत साबित करने पर अड़े मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
जयपुर,25 जुलाई (इ खबरटुडे)।राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आधी रात को कैबिनेट की बैठक बुलाई और विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्रा की तरफ से उठाए गए छह बिंदुओं पर चर्चा की। यह बैठक मुख्यमंत्री आवास पर साढ़े 9 बजे शुरू हुई जो करीब ढाई घंटे तक चली। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया, “कैबिनेट बैठक के दौरान चर्चा राज्यपाल की तरफ से विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर की गई।”
इससे पहले, राज्यपाल ने राज्य की गहलोत सरकार से फ्लोर टेस्ट के लिए विधान सत्र बुलाने के कारण समेत छह बिंदुओं पर जवाब मांगा था। सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट नोट को आज राज्यपाल कलराज मिश्रा को भेजा जा सकता है। पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट समेत 19 पार्टी विधायकों के बागी होने के बाद अशोक गहलोत की नेतृत्व वाली राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर संकट गहरा गया है। गहलोत विधानसभा का सत्र बुलाकर सदन में अपना बहुमत साबित करना चाहते हैं।
इससे पहले, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्रा पर बरसते हुए कहा था कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को चिट्ठी भेजी गई, लेकिन उन्होंने इस पर कोई फैसला नहीं है।
गहलोत के समर्थक विधायकों ने राजभवन पर करीब पांच घंटे तक धरना दिया ताकि विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर दबाव बनाया जा सके। राज्यपाल ने उन्हें भरोसा दिया कि विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर वह संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार चलेंगे। बाद में राजभवन की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि राज्यपाल ने छह बिंदुओं पर जवाब मांगा है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राजभवन के घेराव वाले बयान पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने शुक्रवार सख्त प्रतिक्रिया दी है और पूछा है कि अगर राज्यपाल की सुरक्षा मुख्यमंत्री नहीं करेगा तो फिर यह किसकी जिम्मेदारी है। राजस्थान के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखते हुए कहा, “इससे पहले कि मैं विधानसभा सत्र के लिए विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करता, आपने सार्वजनिक तौर पर कह दिया कि अग राजभवन का घेराव होता है, तो यह आपकी जिम्मेदारी नहीं होगी।”
विधानसभा सत्र को लेकर राजभवन जाने से ठीक पहले अशोक गहलोत ने कहा था कि राज्यपाल महोदय हम सब आ रहे हैं अभी राजभवन के अंदर, उनसे सामूहिक रिक्वेस्ट करेंगे कि आप दबाव में किसी के नहीं आएं, आपका संवैधानिक पद है, शपथ ली हुई है, अपनी अंतरआत्मा के आधार पर, शपथ की जो भावना होती है उसको आधार बनाकर फैसला करें, वरना फिर हो सकता है कि पूरे प्रदेश की जनता अगर राजभवन को घेरने के लिए आ गई तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।