May 2, 2024

यूपी में साथ चुनाव लड़ेंगे मायावती और ओवैसी

लखनऊ 19 नवम्बर(इ खबरटुडे)।बिहार चुनाव में महागठबंधन को मिली बड़ी जीत के बाद देश में नए राजनीतिक समीकरणों पर चर्चा शुरू हो गई है. उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में इस बात का जोर शोर से प्रचार हो रहा है कि प्रदेश में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) एआईएमआईएम मिलकर चुनाव लड़ेंगे.
इस बारे में दोनों में से अभी किसी पार्टी ने आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन फिलहाल प्रदेश में इस संभावना को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है  सूत्रों के मुताबिक बसपा के कई नेता स्वीकार कर चुके हैं कि प्रदेश में बसपा और एआईएमआईएम का गठबंधन हो चुका है, सिर्फ घोषणा बाकी है.

हालांकि, बसपा ने बात करते हुए ओवैसी की पार्टी से किसी भी तरह के गठबंधन से इनकार किया है. इसी तरह यूपी एमआईएम के अध्यक्ष शौकत अली ने भी बातचीत में गठबंधन के अकटकलों को खारिज किया है

.बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) के मुस्लिम ध्रुवीकरण को तोड़ने के लिए मायावती एआईएमआईएम के साथ मिलकर लड़ने को तैयार हो गई है. वहीं, उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी का विस्तार करने के लिए एआईएमआईएम भी बसपा के साथ गठजोड़ को लेकर उत्साहित है. यदि ऐसा हुआ, तो कई सीटों पर दलित मुस्लिम वोट मिलकर प्रदेश में नई सरकार के गठन का समीकरण बदल सकते हैं.

सूत्रों के अनुसार, बसपा प्रमुख मायावती ने अपनी पार्टी के पदाधिकारियों को गुप्त रूप से इस नए गठबंधन की जानकारी दी है. हालांकि गठबंधन तय होने से कुछ दिन पहले ही बसपा ने प्रदेश की कई सीटों पर अपने प्रत्याशी भी घोषित कर दिए.

सूत्रों के अनुसार, गठबंधन की रूपरेखा तैयार होने के बाद ही एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों पर 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा अभी से कर दी है.
बसपा से गठजोड़ होने पर कई राजनीतिक दलों के समीकरण बिगड़ सकते हैं

फिलहाल माना जा रहा है कि बसपा-एमआईएम गठजोड़ प्रदेश में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरेगा. उत्तर प्रदेश में करीब 50 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता चुनाव का रुख तय करते हैं. अकेले पश्चिमी उत्तर प्रदेश की करीब 20 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता ही हार जीत तय करते हैं, वहीं बसपा से गठजोड़ होने पर मुस्लिम और अनुसूचित जाति-जनजातियों के मतदाताओं के ध्रुवीकरण से कई राजनीतिक दलों के समीकरण बिगड़ सकते हैं.

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