December 24, 2024

मुख्यमंत्री श्री चौहान की नवाचारी योजनाओं ने प्रदेश को दिलाई प्रतिष्ठा

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उज्जैन 15 दिसम्बर  (इ खबरटुडे) ।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी नवाचारी सोच, लोकोन्मुखी प्रशासन और सबके कल्याण के अंत्योदय दर्शन को विकास योजनाओं का आधार बनाया और मध्यप्रदेश को प्रसिद्धि मिली। अनेक लोक केन्द्रित विकास कार्यक्रमों, समुदाय आधारित और आम लोगों के सुझावों से बनी योजनाओं ने मध्यप्रदेश को देश-विदेश में प्रतिष्ठा दिलाई। प्रदेश का समानांतर सामाजिक और आर्थिक विकास हुआ। कई उपलब्धियाँ पिछले पाँच-छह दशक में पहली बार मध्यप्रदेश को मिलीं।
सामाजिक क्षेत्र की अनूठी योजनाओं ने मध्यप्रदेश को सम्मान दिलाया। मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में लाखों की संख्या में समाज के विभिन्न वर्गों के बुजुर्गों ने तीर्थ दर्शन किये। सामाजिक सरोकार से जुड़ी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना गरीब परिवारों के लिये वरदान और सामाजिक समरसता बढ़ाने वाली साबित हुई। बेटियों के भविष्य को सुरक्षित रखने और माता-पिता को उनकी पढ़ाई-लिखाई के बोझ से चिंतामुक्त करने वाली लाड़ली लक्ष्मी योजना की मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि देश और विश्व मंच पर सराहना हुई। अब तक 15 लाख से ज्यादा बेटियों का पंजीयन हो चुका है और योजना निरंतर जारी है।
श्री चौहान ने विकास के हर क्षेत्र के लिये योजनाएं बनाईं ताकि समाज के हर परिवार को किसी न किसी योजना का लाभ मिल सके। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मध्यप्रदेष की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है विकास दर में अभूतपूर्व बढ़ोत्तारी। एक दशक पहले ऋणात्मक विकास दर ऐतिहासिक रूप से बढ़कर 10.02 प्रतिशत तक बनी रही और वर्ष 2011-12 में देश में सर्वाधिक 11.81 प्रतिशत तक पहुँच गई, यह प्रदेश के इतिहास में भी सर्वाधिक है।
इसी प्रकार सिंचाई और बिजली की कमी से पिछड़ती खेती श्री चौहान के अथक प्रयासों से देश में सर्वाधिक 18.91 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल की। गेहूँ उपार्जन करने वाले राज्यों में मध्यप्रदेश देश में दूसरे नम्बर का राज्य बन गया। एक दशक पहले गेहूँ उपार्जन मात्र 16 लाख मीट्रिक टन के आसपास था, जो बढ़कर 85 लाख मीट्रिक टन तक पहुँच गया। उत्पादन 127 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा रहा। गेहूँ के ई-उपार्जन की पहल पूरे देश में अनूठी साबित हुई। सर्वाधिक कृषि उत्पादन की सराहना करते हुए भारत सरकार ने मध्यप्रदेश को कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया। सिंचाई का क्षेत्र साढे सात लाख हेक्टेयर से बढ़कर 25 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया। किसानों को बिना ब्याज कर्ज देने वाला पहला राज्य बन गया मध्यप्रदेश।
श्री चौहान के उद्यमितापूर्ण व्यवहार और स्वभाव का ही परिणाम रहा कि मध्यप्रदेश के गाँवों ने अटल ज्योति अभियान के अंतर्गत 24 घंटे बिजली की उपलब्धता का दौर देखा। पिछले छह दशक में कमजोर हुई विद्युत अधोसंरचना मजबूत हुई। खेती और उद्योग दोनों को बिजली मिली। औद्योगिक निवेश की नीति ने प्रदेश में विकास को नई गति दी। प्रदेश में राजनैतिक स्थिरता और निवेश मित्र नीतियों के चलते करीब 85 हजार करोड़ निवेश हुए। नये इण्डस्ट्रियल कॉरीडोर बनाने और उद्योगों के लिये लेण्ड बैंक बनाने के लिये 77 नये औद्योगिक विकास केन्द्र बनाने जैसी नई पहल हुई।
प्रशासन को आम लोगों के प्रति जवाबदेह और जिम्मेदार बनाने की मुख्यमंत्री की पहल का ही परिणाम रहा कि लोक सेवा गारंटी अधिनियम बना और इसे 14 राज्य ने हू-ब-हू अपनाया। इस पहल को नवाचारी मानते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ लोक सेवा अवार्ड मिला। आज लोक सेवा केन्द्रों के माध्यम से समय-सीमा में लोगों को सेवाएँ मिल रही हैं।
संस्कृति के क्षेत्र में देश के प्रथम श्रेणी के राज्यों में मध्यप्रदेश का नाम लिया जा रहा है। म.प्र. की पहल को संस्कृति के संरक्षण और सांस्कृतिक परंपराओं को बढ़ाने वाली बताया गया है। चाहे यह तीर्थ यात्राओं के लिये अनुदान हो, गौ-अभयारण्य की स्थापना हो, नर्मदा शुद्धिकरण की पहल  हो,  अंतर्राष्ट्रीय बौध्द एवं भारतीय ज्ञान विश्वविद्यालय, अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना से मध्यप्रदेश की चर्चा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। श्रीलंका में सीता माता मंदिर का जीर्णोध्दार हो या मध्यप्रदेश में राम वन गमन पथ, नर्मदा परिक्रमा पथ के निर्माण की शुरूआत हो, सभी संस्कृति की रक्षा के लिये उठाये गये कदम हैं।
समुदाय से संवाद की परंपरा की शुरूआत करते हुए मुख्यमंत्री ने सुशासन की नई शैली विकसित की है। विभिन्न समुदाय और हितग्राही समूहों की पंचायतें हुई। विभिन्न पंचायतों के जरिये लोक और तंत्र का सीधा संवाद हुआ। परिवर्तनकारी निर्णय हुए। अंत्योदय मेलों से शासन पर लोगों का विश्वास मजबूत हुआ। इसी प्रकार सर्वधर्म समभाव की विरासत को मजबूती देने और समृध्द बनाने की जो पहल मुख्यमंत्री ने की, वह देश में अनूठी है। मुख्यमंत्री निवास पर प्रमुख धार्मिक आयोजन करने की परंपरा कायम हुई जिसकी सभी धर्मगुरूओं ने सराहना की।
मुख्यमंत्री के खेल प्रेम को दर्शाती खेलों को प्रोत्साहित करने की नीतियाँ और अकादमियों की स्थापना देश के लिये उदाहरण बनीं। मुख्यमंत्री ने न सिर्फ खेल प्रतिभाओं को बढ़ाया बल्कि ओबेदुल्ला खाँ गोल्ड कप हॉकी टूर्नामेंट जैसे प्रतिष्ठित आयोजनों को दोबारा शुरू करवाया। युवाओं के लिये युवा आयोग का गठन, मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना, मुख्यमंत्री युवा कान्ट्रेक्टर योजना की शुरूआत हुई।
वित्ताीय प्रबंधन में मध्यप्रदेश ने उल्लेखनीय काम किया। राज्य पर ऋण का भार घटा है। कर राजस्व में चार गुना बढ़ोत्तारी हुई। बजट का आकार पाँच गुना बढ़ा। एक दशक पहले बजट करीब 21 हजार करोड़ रूपये रहता था जो अब एक लाख करोड़ रूपये हो गया है। प्रति व्यक्ति आय तीन गुना बढ़ी।
नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएँ बनाई गई। सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में मुख्यमंत्री के प्रयासों ने वंचित वर्गों को जीने का नया उत्साह दिया। मुख्यमंत्री अंत्योदय अन्न योजना, ऑटो रिक्शा चालकों, हाथठेला चालकों, घरेलू कामकाजी महिलाओं का कल्याण, खेतिहर मजदूरों का कल्याण, सब्जी-फल बेचने वालों सभी के लिये योजनाएँ बनाईं। स्पर्श अभियान हो या रैनबसेरा सभी में अंत्योदय दर्शन स्पष्ट दिखता है। अल्पसंख्यकों के लिये रोजगार की नई योजनाएँ बनीं और बेटियों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिये अभियान चलाये गये।
नब्बे हजार किलोमीटर सड़कों के निर्माण के साथ विकास को तेजी मिली। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कें बनाने में प्रदेश सबसे आगे रहा। भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने के लिये विभिन्न जाँच एजेंसियों को कार्य करने की छूट दी गयी। लोक सेवकों द्वारा गलत तरीके से अर्जित धन को राजसात करने और समय-सीमा के भीतर जाँच पूर्ण कर दण्डित करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बना। सर्वाधिक कार्रवाइयाँ मध्यप्रदेश में हुईं।

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