May 8, 2024

मरने के बाद भी मृतकों को नसीब नही हुई चिर निद्रा- काकानी

रतलाम 20 जुलाई ( इ खबर टुडे )। मानव सेवा समिति के पूर्व ब्लड बैंक प्रभारी गोविन्द काकानी ने भक्तन की बावड़ी क्षेत्र में दफनाई गई लाश के साथ हुई घटना से नाराजगी प्रकट करते हुए नवागत जिलाधीश राजीव दूबे से मांग की है कि लावारिस मृतकों के अंतिम संस्कार को गंभीरता से लिया जाये. गत दिनों रेलवे पुलिस द्वारा दफनाये गए एक लावारिस मृतक के शव को आवारा कुत्तो ने निकलकर क्षत विक्षत कर दिया था.
श्री काकानी ने कलेक्टर को लिखे पत्र में कहा है कि हिन्दु धर्म में नवजात, छोटे बच्चों को छोडकर किसी को भी जमीन में नहीं गाडा  जाता है। परन्तु दुःख के साथ यह जानकारी आपको भी प्राप्त हो गई होगी की भक्तन की बावड़ी स्थित मुक्तिधाम पर विगत दिवस दो लावारिसों की मृतकों का अंतिम क्रिया कर्म हुआ जिसमें से एक लावारिस की मृतक देह का अंतिम संस्कार मेरे द्वारा हिन्दू रीति अनुसार किया गया वहीं दूसरे लावारिस को जीआरपी के माध्यम से मुक्तिधाम के समीप जमीन में गाढ़ा गया था। गाढ़े गये लावारिस को सही तरीके से जमीन में नहीं गाढ़े जाने के परिणामस्वरूप आवारा कुत्तों ने शव को बाहर निकालकर उसे क्षत विक्षत करने से मन को गहरा आघात लगा है।

श्री काकानी ने कहा  कि भक्तन की बावड़ी सहित अन्य मुक्तिधामों में रिक्त जमीन की वैसे ही कमी है ऐसे में वयस्कों की मृतक देह को पुलिस द्वारा गाड़े  जाने से शमशान की व्यवस्था बिगड़ रही है वहीं किसी दिन बड़ी घटना होने की संभावना बनी रहेगी। भक्तन की बावड़ी क्षेत्र में पूर्व में दफन किये गये सैकड़ो शवों के उपर रेलवे द्वारा अब बड़ी रेल लाईन बिछाई जा रही है जिससे उनके उपर से गुजरने वाली रेल मल, मूत्र गिराते हुए निकलेगी तो उन मृत आत्माओं को ऐसा प्रतीत होगा की मरने के बाद भी चिर निद्रा में सोना भी नसीब नही हुआ। वहीं अनेक दफनाए गये शव अपने उपर से गन्दे नाले को गुजरने की त्रासदी से मजबुर है। इन मृत आत्माओं की आवाज ने मेरे मन को बड़ा व्यथित कर रखा है। जिला चिकित्सालय से प्राप्त लावारिस देहों का अंतिम संस्कार जिस प्रकार किया जाता है उसी प्रकार से जीआरपी एवं अन्य थानों से लाये गये शवों का अंतिम संस्कार करने हेतु कहा गया किन्तु वे इस बात पर राजी न होते हुए प्रशासन की अपनी मजबूरी बताया।
प्रशासन चाहे तो इस तरह के लावारिसों की विडियोग्राफी/फोटोग्राफी कर उसके पास जो भी सामग्री हो पहचान हेतु रख लें तो मृतक देह का अंतिम संस्कार करने में काफी सुविधा होगी। वैसे भी शास्त्रों में मरने के तुरंत बाद अंतिम संस्कार करने की परंपरा है। ऐसे में दफनाई गई लाश को लम्बे समय बाद खोदकर कोई भी परिचित घर ले जाना नहीं चाहेगा। श्रीमान् जिला चिकित्सालय द्वारा दी गई मृतक देहों के अंतिम संस्कार बाद उनकी अस्थियों को शमशान में ही व्यवस्थित रख दिया जाता है। कई बार मृतक की पहचान होने पर उनके परिवार वाले आकर उनकी अस्थियों ले गये ओर अंतिम क्रिया कर्म अच्छे से करने पर शहर की जनता व प्रशासन की तारीफ की।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds