मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी को दिया 5 हजार अरब डॉलर की इकॉनमी बनाने का मंत्र
जयपुर08 सितंबर (इ खबर टुडे) पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने देश को 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंत्र दिया है. उन्होंने कहा है कि एलपीजी (Liberalization, Privatization, Globalization) की नीतियों पर आधारित आर्थिक सुधार जारी रखकर ही रणनीति बनाकर भारत को 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाया जा सकता है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश को 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंत्र दिया है. उन्होंने कहा है कि एलपीजी (यानी उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण Liberalization, Privatization, Globalization) की नीतियों पर आधारित आर्थिक सुधार जारी रखकर ही रणनीति बनाकर भारत को 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाया जा सकता है.
गौरतलब है कि बतौर केंद्रीय वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 में देश में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीति लागू की थी. सिंह जयपुर में एक निजी विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. पूर्व प्रधानमंत्री जब संबोधन के लिए मंच पर आ रहे थे तो छात्रों के एक गुट ने मोदी के समर्थन में नारे भी लगाए. पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि गरीबी, सामाजिक असमानता, सांप्रदायिकता और धार्मिक कट्टरवाद तथा भ्रष्टाचार लोकतंत्र के समक्ष कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं.
सोची-समझी रणनीति की जरूरत
मनमोहन सिंह ने कहा, इस समय हमारी अर्थव्यवस्था धीमी पड़ती दिखती है. जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट आ रही है. निवेश की दर स्थिर है. किसान संकट में हैं. बैंकिंग प्रणाली संकट का सामना कर रही है. बेरोजगारी बढ़ती जा रही है. भारत को 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए देश को एक अच्छी तरह से सोची-समझी रणनीति की जरूरत है. उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को टैक्स आतंकवाद रोकना चाहिए, भिन्न विचारों की आवाजों का सम्मान करना चाहिए और सरकार के हर स्तर पर संतुलन बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उदारीकरण की नीतियों पर खड़े किए गए आर्थिक सुधारों को जारी रखना समय की मांग है.
देश को सिद्धांतवादी, ज्ञानी और दूरदर्शी नेताओं की जरूरत
देश में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने की वकालत करते हुए राजस्थान से राज्यसभा सदस्य सिंह ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए आने वाले समय में देश को सिद्धांतवादी, ज्ञानी और दूरदर्शी नेताओं की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की शक्ति संविधान में निहित है और राजनीतिक दलों को संविधान में उल्लेखित मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता जतानी होगी. उन्होंने कहा कि हमारी एकता बनी रहे इसके लिए जरूरी है कि सरकार न्याय, स्वतंत्रता एवं समानता के साथ-साथ ऐसा वातावरण दे जो भिन्न विचारों का सम्मान करता हो. उन्होंने कहा कि हमें संसद और इसकी प्रक्रियाओं की सर्वोच्चता का सम्मान करना होगा