फ्लाप शो सबित हुआ पाटीदार सम्मेलन,नहीं चला हार्दिक पटेल का जादू
दावे एक लाख के थे,तीन हजार तक भी नहीं पंहुच आंकडा
रतलाम,11 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। एक लाख से अधिक की उपस्थिति के दावे के साथ आयोजित किया गया पाटीदार सम्मेलन फ्लाप शो साबित हुआ। सम्मेलन में पूरा पाण्डाल खाली पडा रहा और बमुश्किल तीन हजार लोग इस सम्मेलन में शामिल हुए। गुजरात में करिश्माई पटेल नेता साबित हुए हार्दिक पटेल का जादू भी यहां नहीं चल पाया। सम्मेलन के जरिये अपनी राजनीति को चमकाने का मंसूबा बांधे बैठे कुछ स्थानीय भाजपा नेताओं के मंसूबों पर भी इस असफलता ने पानी फेर दिया। सम्मेलन की असफलता के चलते यह भी कहा जा रहा है कि अब हार्दिक पटेल दोबारा मध्यप्रदेश में आने का नाम भी नहीं लेंगे।
पाटीदार सम्मेलन के आयोजकों का दावा डेढ लाख की उपस्थिति से शुरु होकर पचास हजार लोगों की उपस्थिति पर आकर रुका था। आयोजकों के दावे के मद्देनजर पुलिस और प्रशासन ने भी बडे पैमाने पर तैयारियां की थी। आयोजकों ने अधिक उपस्थिति की उम्मीद में बरवड हनुमान का स्थल बदल कर एक निजी भूमि को आयोजन स्थल बना लिया था। आयोजकों के दावों के आधार पर ही पुलिस ने यातायात व्यवस्था के विशेष इंतजाम किए थे। सम्मेलन के लिए आने वाले वाहनों की पार्किंग के लिए तीन अलग अलग स्थानों पर व्यवस्था की गई थी। लेकिन आयोजकों के दावे पूरी तरह गलत साबित हुए। सम्मेलन स्थल पर महज ढाई तीन हजार लोग पंहुचे। वाहनों के लिए बनाए पार्किंग स्थल पूरी तरह खाली पडे हुए थे। सम्मेलन स्थल का पाण्डाल भी खली था।
समाचार लिखे जाने तक गुजरात के युवा नेता हार्दिक पटेल मंच पर मौजूद थे। स्थानीय पटीदार नेताओं द्वारा हार्दिक पटेल का स्वागत किया जा रहा था। लेकिन कम उपस्थिति का असर मंच पर मौजूद नेताओं के साथ साथ हार्दिक पटेल के चेहरों पर भी साफ झलक रहा था।
अखबारों में विशाल पाटीदार सम्मेलन की खबरें पढ पढ कर सम्मेलन स्थल पर बडी संख्या में खोमचे रेहडी वाले भी पंहुच गए थे। उन्हे उम्मीद थी कि प्रदेश भर से आ रहे हजारों लोगों के कारण उन्हे अच्छा धंधा मिलेगा। लेकिन खोमचे रेहडी वाले भी सम्मेलन की असफलता से निराश नजर अए। उनकी ग्राहकी नहीं चली।
सम्मेलन के जरिये भाजपा में अपनी पकड को मजबूत बनने के इच्छुक स्थानीय पाटीदार नेताओं के मंसूबों पर भी पानी फिर गया। पूर्व जिल पंचायत अध्यक्ष पति शंकरलाल पाटीदार भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ईश्वरलाल पाटीदार आदि स्थानीय नेताओं को उम्मीद थी कि सम्मेलन में भारी भीड जुटने पर भाजपा में उनका रुतबा बढ जाएगा लेकिन सम्मेलन के फ्लाप होने से मामला उलटा पडता नजर आ रहा है।