पुलिस-जनसंपर्क के अविश्वास में उलझे प्रेस पास
आज रात से स्नान कवरेज में आयेगी बाधा,
फील्ड में तैनात पुलिसकर्मी कुछ सुनने-समझने को तैयार नहीं
उज्जैन,21 अप्रैल(इ खबरटुडे)। सिंहस्थ के प्रथम शाही स्नान के पूर्व अव्यवस्था के हालात आम हैं। इन्हीं हालातों में उज्जैन सहित पूरा प्रेस जगत उलझा हुआ है। पुलिस और जनसंपर्क विभाग के अविश्वास में यह उलझन पैदा हुई है।
इसी के चलते अविश्वास में प्रेस पास उलझकर रह गये हैं। इस अविश्वास से उपजी अव्यवस्था का शिकार मीडियाजनों का होना तय है। मीडियाजनों में से कईयों को पास मिले हैं तो वाहन पास नहीं मिले, जिन्हें वाहन पास मिले उन्हें पास नहीं मिल पाये। कई पास पर से फोटो उखड़ गये। कई आवेदन गायब हैं। नियंत्रण के हालात न इधर हैं न उधर हैं। बीच की खाई में मीडिया है।
सिंहस्थ-2016 के प्रचार-प्रसार में मीडिया की भूमिका भरपूर रही है। इस बात से कोई भी इंकार नहीं कर सकता है। स्थानीय मीडिया ने इसके लिये भरपूर और भरसक कार्य किया। नि:स्वार्थ भावना के प्रचार-प्रसार किया। इसके उलट राज्य शासन ने जो प्रचार-प्रसार विदेशों में किया उसके ऊपर करोड़ों रुपये फूंके गये हैं। गिनती के लोगों के आने के लिये करोड़ों रुपया व्यय किया गया। विपरीत हालातों में भी स्थानीय मीडिया ने भरपूर परिणाम दिये। सकारात्मक भाव भी समयानुकूल बनाये रखा। सिंहस्थ के मुख्य आयोजनों के कवरेज के लिये अब यही मीडिया, पुलिस और जनसंपर्क विभाग के बीच अविश्वास की खाई से उपजी अव्यवस्था का शिकार हो गया है
क्या है समस्या?
इस पूरे मसले की जड़ यह है कि पुलिस विभाग के पास एक-दो नहीं सैकड़ों प्रकार के पास बनाने की जिम्मेदारी है। इसके बावजूद पुलिस विभाग ने मीडिया के पास बनाने की जिम्मेदारी भी ओढ़ ली। पुलिस कर्मचारी कम काम अधिक, विपरीत हालात के बावजूद प्रेस के पास की जिम्मेदारी भी ले ली गई। या यूं कहें कि खुद उखल में सिर दिया, प्रेस पास बनाने की जिम्मेदारी पहली बार सिंहस्थ में पुलिस निभा रही है। उसी से ये समस्या उलझन के रूप में खड़ी हो गई।
ये हैं दोनों विभागों के बीच की प्रक्रिया
प्रेस पास बनाने के लिये जनसंपर्क विभाग ने आवेदन मांगे थे। करीब 3000 आवेदन उसे मिले। इसमें से एक हजार 400 आवेदन छांटे गये। विभागीय सूत्रों के मुताबिक इनमें से 1150 पास बना दिये गये हैं। 250 पास अब भी बनाना लंबित है। विभागों के अनुसार जनसंपर्क विभाग ने 15 कर्मचारी जिनमें 2 सहायक संचालक एवं अन्य तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल हैं। इस कार्य में ही लगाये हैं।
जनसंपर्क विभाग आवेदन मुताबिक फोटो काटकर पुलिस द्वारा उपलब्ध कराये गये पास पर उसे चिपकाता है। इसके बाद फार्म की स्कूटनी की जाती है। दस्तावेजों के साथ मिलान कर पास भरा जाता है। इसके बाद ये पास दस्तावेजों के पंजीकरण के साथ पुलिस विभाग के जिला विशेष शाखा के उप पुलिस अधीक्षक विजयशंकर द्विवेदी के पास भेजे जाते हैं। वहां पास पर पुलिस अधीक्षक की हस्ताक्षर सील लगाते हुए पास पर होलोग्राम लगाया जा रहा है। जनसंपर्क विभाग एक दिन अपनी ओर से प्रक्रिया के तहत जो पास देता है वो दूसरे दिन भी पर्याप्त नहीं बन पा रहे हैं। इसके पीछे कारण यह है कि विभाग में पहले ही कार्यालयीन कार्य के लिये स्टाफ की कमी है। उस पर पुलिस विभाग संतों सहित सैकड़ों तरह के पास बनाने में लगा हुआ है। यही स्थिति वाहन पास की भी है। दस्तावेजों के मिलान के साथ वाहन पास भी पंजीकरण करते हुए पुलिस के पास भेजे जा रहे हैं। लौटते समय इनमें गड़बड़ हो जाती है। संख्या बदल जाती है।
पिछले सिंहस्थ में ये थी प्रक्रिया
विभागीय सूत्रों के अनुसार पिछले सिंहस्थ में जनसंपर्क विभाग को जिम्मेदार मानते हुए पुलिस विभाग ने भरोसा जताया था। पास पर सील लगाकर जनसंपर्क विभाग को दिये गये थे। विभाग ने ही पास तैयार करते हुए तत्काल ही उनका वितरण किया था। इस बार जनसंपर्क पर भरोसा नहीं रहा और उसे जिम्मेदारी नहीं दी गई।
जनसंपर्क की जैकेट नहीं मिली
गत दिवस जनसंपर्क मंत्री के उज्जैन आगमन पर स्थानीय मीडिया ने अव्यवस्थाओं की स्थिति उनके समक्ष रखी थी। उन्हें बताया गया था कि इलेक्ट्रानिक मीडिया के लोगों को जैकेट दी जा रही है। यही जैकेट जनसंपर्क सभी पत्रकारों को दे दे, जिससे स्थिति काफी स्पष्ट होगी। मंत्रीजी ने अपर संचालक को तत्काल ही जिम्मेदारी सौंपी थी कि वे जैकेट सभी को दिलवा दें। शाही स्नान के एक दिन पूर्व तक इलेक्ट्रानिक मीडिया और गिनती के ही पत्रकारों को जैकेट मिली है। बाकी पत्रकार अब भी इसका इंतजार कर रहे हैं।
पास और जैकेट की गफलत में उलझेगी पुलिस
सूत्रों के अनुसार पुलिस विभाग ने पास जारी किये हैं। कई स्थानों पर हालात ऐसे बन रहे हैं कि खुद अपने ही विभाग के पास पुलिसकर्मी मानने से इंकार कर रहे हैं। दूसरी स्थिति और भी गफलतपूर्ण होगी जबकि फील्ड में तैनात पुलिसकर्मी इस संदेश से भ्रमित हैं कि कार्ड और जैकेट वाले ही अधिकृत मीडिया से हैं। उन हालातों में जिनके पास कार्ड है और जैकेट नहीं वे परेशान होंगे। जिनके पास जैकेट है और कार्ड नहीं वे भी परेशान होंगे। भिड़ंत की स्थिति बनेगी और बेवजह का तनाव भी।
इसलिए वाहन पास आवश्यक
सिंहस्थ क्षेत्र में देश-दुनिया के संत और महापुरुष आये हुए हैं। वे अपनी बात समाज के सामने रखना चाहते हैं। उज्जैन की मीडिया से मुलाकात के लिये वे उसे अपने कैम्प में बुलाना चाहते हैं। यही नहीं सिंहस्थ क्षेत्र में कहीं भी कोई घटना-दुर्घटना, समस्या के लिये मीडिया सूचना मिलते ही दौड़ पड़ता है। इसके लिये मीडिया को दोपहिया वाहन के पास आवश्यक हैं। अन्यथा सिंहस्थ क्षेत्र में पैदल-पैदल जाने पर तो धूल उड़ती हुई ही मिल सकती है। हाईटेक देश और दुनिया की स्थिति में मीडिया को वाहन पास न देकर उलझन की स्थिति बन रही है। इससे पुलिसकर्मी भी भ्रम की स्थिति में बने रहेंगे। ढेर सारे पास के चलते हर दूसरा आदमी गले में पट्टी लटकाये बैठा है। पुलिस इसे क्या समझे? वाहन पास पर आगे ही स्पष्ट प्रेस अंकित होता है, जिससे कि स्थिति साफ हो जाती है। पुलिसकर्मी दूर से ही इसे भांप लेता है। विवाद की स्थितियों का अंत वहीं किया जा सकता है। अभी तो हालात विपरीत हैं। संबंधित विभाग को जिम्मेदार बनाओ, हम पर भरोसा करें, गलत करें तो दण्डित करो।