November 22, 2024

परम देशभक्त थे दादा भाई नौरोजी

पुण्यतिथी ३० जून पर विशेष- डा.डीएन पचौरी
भारत का ही नही अपितु एशिया का प्रथम व्यक्ति जिसे ब्रिटिश पार्लियामेंट का एम.पी. चुना गया था। इतना ही नही सन १८९२ में जब अंग्रेजो का झंडा लगभग आधी से अधिक दुनिया पर लहरा रहा था ऐसे समय उनकी पार्लियामेंट में उनकी इच्छानुसार शपथ लेने से इंकार करना एक दुस्साहस पूर्ण कृत्य माना जायेगा किंतु भारत के इस निडर निर्भीक व साहसी व्यक्ति ने बाइबिल लेकर शपथ लेने से इंकार कर दिया था। इस महान देशभक्त व्यक्ति का नाम था दादा भाई नौरोजी।

आज की कांग्रेस पार्टी की नींव इन्ही दादा भाई नौरोजी ने सर ए ओ हयूम के साथ मिलकर रखी थी। आज की पीढी शायद इस व्यक्ति को न जानती हो किंतु पारसी होते हुए भी उन्होने भारत देश के लिए बहुत कुछ किया है।
दादाभाई नौरोजी का जन्म बम्बई में ४ सितम्बर १८२५ को नौरोजी पालन जी पारसी धर्मावलम्बी के यहां हुआ था । माता श्रीमती मानेक बाई ने गरीबी में इनका पालन पोषण किया था , क्यों कि पिताजी इनकी चार वर्ष की आयु में स्वर्ग सिधार गए थे। बम्बई के ऐलीफिस्टन कालेज में इनकी हायर सैकेण्डरी से लेकर कालेज तक की शिक्षा पूर्ण हुई। अत्यंत कुशाग्र बुध्दि के दादाभाई ने १८४५ में ऐलीफिस्टन कालेज से ग्रेजुएट किया और १८५० में इसी कालेज में गणित के सहायक प्राध्यापक बने।
इस कालेज में ये पहले भारतीय थे जिन्हे नौकरी दी गई अन्यथा एलफिंस्टन कालेज में अंग्रेजो के अलावा किसी अन्य को प्रोफेसर की नौकरी पर नही रखा जाता था। इनकी विद्वत्ता से प्रभावित एक अंग्रेज जज ने इनकी लंदन जाने की व्यवस्था की और २७ जून १८५५  को दादा भाई नौरोजी लंदन गए।
लंदन में इन्होने एक फर्म में नौकरी की तथा १८५९ में स्वयं की फर्म स्थापित की। बाद में ये भारत लौट आए, तथा १८७४ बडौदा राज्य के दीवान पद पर कार्य किया। १८७८ में पुन: लंदन गए और १८८३ में भारत की आवाज वॉइस आफ इंडिया- नाम के समाचार पत्र का प्रकाशन किया।
दादा भाई नौरोजी ने जिस कांग्रेस पार्टी की स्थापना की ये उसके तीन बार १८८६,१८९३ तथा १९०६ में प्रेसीडेंट रहे। १८९२ में लिबरल पार्टी की ओर से चुनाव लडकर हाउस अॅाफ कामन्स अर्थात ब्रिटीश पार्लियामेन्ट में पंहुचे। उन्होने अंग्रेजों को उनकी आईरिश होमरुल पर जमकर लताडा तथा भारत की दुर्दशा पर भाषण दिया। लन्दन में दादाभाई नौरोजी ने पावर्टी आफ इण्डिया नामक पत्र प्रकाशित किया। जिसमें भारत की गरीबी का वर्णन होता था।नौरोजी के सहायक मोहम्मद अली जिन्ना थे,जिन्होने पाकिस्तान की नींव रखी। रतलाम राज्य के एक दीवान पं.श्यामजी कृष्ण वर्मा थे,जो रतलाम में १८८३ से १८८५ तक रहे। रतलाम के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। इन्ही श्याम जी कृष्ण वर्मा ने लन्दन में एक कीमती मकान हाईगेट खरीदा था। उन दिनों अंग्रेजों द्वारा भारतीयों को बडी दयनीय दृष्टि से देखा जाता था और लन्दन में किसी भारतीय को कोई अंगे्रज कमरा किराए पर नहीं देता था। जो भी भारतीय लन्दन में शिक्षा या अन्य किसी कार्य के लिए जाता था उनके ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं रहती थी। अत: दादाभाई नौरोजी की सलाह पर मानकर पं.श्यामजी कृष्ण वर्मा ने अपने निवास हाईगेट के निकट एक होस्टल का निर्माण कराया,जिसका नाम भारत भवन (इण्डिया हाउस) रखा गया। उस समय इसका पता था,इण्डिया हाउस ६५,कार्निवाल एवेन्यू हाईगेट लन्दन। इसका उद्घाटन हैनरी हिण्डमेंन नामक भारत प्रेमी एक अंग्रेज से कराया गया। इसकी देखभाल विनायक दामोदर सावरकर(वीर सावरकर) किया करते थे। फिल्म पूरब और पश्चिम में नायक मनोज कुमार पर फिल्माया गया गीत -है प्रीत जहां की रीत सदा,मै गीत वहां के गाता हूं,भारत का रहने वाला हूं भारत के गीत सुनाता हूं- इसी इण्डिया हाउस में फिल्माया गया था। दादाभाई नौरोजी गोपालकृष्ण गोखले तथा महात्मा गांधी के मार्गदर्शक रहे। दादाभाई नौरोजी की अधिक आयु के कारण तबियत खराब रहने लगी। गिरते स्वास्थ्य के कारण उन्होने राजनीतिक कार्यों में रुचि लेना कम कर दिया और ९१ वर्ष की आयु में बम्बई के वर्सोवा इलाके में ३० जून १९१७ को इनकी ईहलीला समाप्त हो गई। आज उनकी पुण्यतिथी पर इस परम देशभक्त को सादर नमन।

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