न्याय में आस्था लोकतंत्र की कसौटी है – कलेक्टर श्री दुबे
नेशनल लोक अदालत का समारोहपूर्वक शुभारंभ
रतलाम 30नवम्बर (इ खबरटुडे)। कलेक्टर राजीव दुबे ने कहा कि नागरिकों की न्याय में आस्था भारतीय लोकतंत्र की कसौटी है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का स्थान हमारे समाज और व्यवस्था के लिए रीढ़ की तरह है। इसकी मजबूती हमारे लोकतंत्र को शक्तिशाली बनाती है। श्री दुबे आज यहां न्यायालय परिसर में आयोजित नेशनल लोक अदालत के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि नेशनल लोक अदालत का आयोजन एक प्रकार से न्याय का पर्व है। श्री दुबे ने कहा कि लोक अदालतों ने न्याय प्रणाली की संवेदनशीलता के पहलू को बड़ी खूबी से रेखांकित किया है और उसे नए मायने दिए हैं। लोक अदालतों के माध्यम से आम आदमी को सस्ता और त्वरित न्याय मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।साथ ही लोक अदालतों ने सामाजिक परिवेश में संसाधनहीन व्यक्ति को भी इंसाफ दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कामयाबी हासिल की है।श्री दुबे ने कहा कि नेशनल लोक अदालत के माध्यम से शासकीय विभागों में लम्बित प्रकरणों के निराकरण की पहल हर दृष्टि से स्वागत योग्य है। कलेक्टर ने आशा व्यक्त की कि नेशनल लोक अदालत एक सफल आयोजन सिद्ध होगा और इसकी सफलता न्याय क्षेत्र में नए मानदण्ड स्थापित करेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय पंवार ने कहा कि लोक अदालतों में दोनों पक्षों में समझौता होने से विवादों का अंत होता है। यह हासिल नि:संदेह अनमोल होता है क्योंकि दोनों पक्षों की संतुष्टि के आधार पर ही मामलों का निराकरण किया जाता है। श्री पंवार ने नेशनल लोक अदालत की सफलता के लिए बार एसोसिएशन की ओर से शुभकामनाएं व्यक्त की।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए पुलिस अधीक्षक डा.जी.के.पाठक ने कहा कि नेशनल लोक अदालत का आयोजन इसके व्यापक उद्देश्यों को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण है।यहां पक्षकार अपने हितों का संरक्षण सुनिश्चित करते हुए न्याय हासिल कर सकते हैं। इस विराट आयोजन में एक ही दिन में बहुत बड़ी संख्या में लोगों को न्याय मिलना अपने आप में बड़ी उपलब्धि होगी। डा.पाठक ने कहा कि पारम्परिक व्यवस्था में न्याय की प्रक्रिया तुलनात्मक रूप से लम्बी होती है परिणाम स्वरूप न्याय प्रदान करने में विलम्ब भी होता है।लोक अदालतों के माध्यम से विलम्ब की स्थितियां नहीं बनती और पक्षकारों को त्वरित न्याय हासिल होता है। पुलिस अधीक्षक ने अपेक्षा की कि नेशनल लोक अदालत में एक ही दिन में अधिकाधिक संख्या में लोगों को न्याय प्रदान कर इसे एक ऐतिहासिक दिन बनाने की कोशिश की जानी चाहिए।
इस मौके पर एडीजे एन.के.गोधा ने कहा कि नेशनल लोक अदालत के आयोजन का दिन एक पावन पर्व की भांति है।लोक अदालत में न कोई जीतता है न कोई हारता है। पक्षकार साथ बैठकर अन्य पक्ष की बात सुनते हैंै जिससे ज्यादातर मामलों में आपसी सुलह से मामलों का निपटारा हो जाता है। श्री गोधा ने 1982 में छोटे पैमाने पर आरंभ हुए लोक अदालत के प्रक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि आज यह एक विराट स्वरूप ले चुका है। उन्होंने बताया कि जिले-भर में नेशनल लोक अदालत में 43 खण्डपीठें गठित की गई हैं और 23 हजार प्रकरण समझौता वार्ता के रूप में रखे गए हैं,ताकि आपसी सुलह के जरिए उनका निराकरण हो सके।
कार्यक्रम के आरंभ में मुख्य अतिथि कलेक्टर श्री दुबे एवं अन्य अतिथियों ने महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित किया। मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों का पुष्पहारों से स्वागत भी किया गया। अपने स्वागत भाषण में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि लोक अदालत के माध्यम से किया जाने वाला निराकरण अंतिम होता है और इसकी कोई अपील नहीं होती।इसी कारण लोक अदालत के आयोजन का त्यौहारों की तरह इंतजार किया जाता है। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों में एक साथ हजारों की संख्या में प्रकरणों के निराकरण का मार्ग प्रशस्त होता है। जिला न्यायाधीश ने बताया कि लोक अदालतों के माध्यम से प्रकरणों के निराकरण के संबंध में ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में जागरूकता लाने के लिए सतत् प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी हरचंद कोशिश है कि आम जनता सस्ता व सुलभ न्याय हासिल करने के लिए आगे आए।
नेशनल लोक अदालत में जिला मुख्यालय पर कुल 22 खण्डपीठ कार्यरत थीं जिनमें 15 न्यायालयीन, चार राजस्व न्यायालय की पीठ तथा सहकारिता,उपभोक्ता फोरम व श्रम न्यायालय की एक-एक पीठ स्थापित की गई थी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में न्यायाधीशगण,अभिभाषकगण और विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं पक्षकार मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन व्यवहार न्यायाधीश पंकज श्रीवास्तव ने किया तथा जिला विधिक सहायता अधिकारी फारूख अहमद सिद्दीकी ने अतिथियों का आभार माना।