नारियल के छिलके और हेण्डलूम का कॉर्टन कला के विभिन्न रंग बिखेर रहे हस्तशिल्प मेले में
नगर के कलाप्रेमी पहुंच रहे है
रतलाम 24 मई(इ खबरटुडे)।भगवान के मंदिर में नारियल चढ़ाने के बाद उसके छिल्के का बेहतर उपयोग शील और रत्ना लश्करी से सिखना चाहिए। इसी प्रकार गैस पिड़ीत महिलाओं के हाथों की कारीगरी कॉर्टन के कुर्ते एवं शर्ट में नजर आती है।
ग्राहकों के लिये उच्च गुणवत्ता की सामग्री देने के लिये प्रतिबध्द
दोनो शिल्पकार मृगनयीन से जुड़कर कर्मचारी से मालिक बन गए है और ग्राहकों के लिये उच्च गुणवत्ता की सामग्री देने के लिये प्रतिबध्द हो गये है। यही कारण है कि रोटरी हॉल, अजन्ता टॉकिज रोड़ में शिल्प कला के लिये नगर के कईं कलाप्रेमी पहुंच रहे है।
प्रदेश के अधिकांश भागों से लगभग 50 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे
मृगनयनी एम्पोरियम म.प्र.शासन द्वारा 20 से 30 मई 2016 तक 11 दिवसीय हस्तशिल्प एवं हाथकरघा प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। शिल्पकारों एवं बुनकरों को प्रोत्साहन देने तथा रतलाम नगर की कलाप्रेमी जनता को शिल्प, हेण्डलूम, पर्यावरण एवं शरीर की अनुकूलता वाले परिधान प्रदर्शन एवं विक्रय के लिये उपलब्ध कराये जा रहे है। मेले में प्रदेश के अधिकांश भागों से आये लगभग 50 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। इन्हीं कलाकारों में से इन्दौर से आये कलाकार दम्पत्ति शील एवं रत्ना लश्करी के हाथों की बनाई गई सामग्री बेजोड़ है।
दम्पत्ति पहले रोजगार की तलाश में भटकते रहें, कुछ दिन इन्होने इन्दौर के कारखाने में काम किया लेकिन आखिर में मृगनयनी से जुड़कर न केवल लाभान्वित हो गये वरन् अपनी कला का विस्तार करके अन्य लोगों को रोजगार के लिये प्रेरित कर रहे है।इनकी बनाई सामग्री पर्यावरण के अनुकूल होती है इसलिए घर की सजावट के साथ वातावरण को सुकून देती है। रत्ना अपने हाथों से सजावटी पेड़, कलात्मक मोबाईल स्टेण्ड, फ्लॉवर पॉट, व चमड़े के आकर्षक खिलौने बनाती है। यह सामग्री बाजार में कहीं उपलब्ध नहीं होती है। जिससे मेले में आने वाले लोग इसे हाथहाथ लेते है।
कॉटर्न के कपड़ों का इन दिनों काफी चलन है। हर वर्ग और खासकर उच्च वर्ग कॉटर्न को काफी पसन्द कर रहा है। मेले में भोपाल से आये शिल्पी शैलेन्द्र सिंह कॉटर्न के शर्ट और कुर्ते की जो रेंज है व अद्भूत है। इससे भी ज्यादा कुर्ते, शर्ट बनाने की बात है। भोपाल का गैस काण्ड किसी से छिपा नहीं है और उस काण्ड का खामियाजा भुगत रही महिलाओं को मृगनयीन के माध्यम से सम्बल देने का प्रयास निगम कर रहा है।
शर्ट बनाने के लिये फैक्ट्री का नहीं, हेण्डलूम के बने कपड़े का इस्तेमाल-श्री सेन
ऐसी ही महिलाओं को रोजगार देने तथा उन्हें कला से जोड़ने का काम श्री सेन कर रहें है। उन्होने बताया कि कॉटर्न कुर्ते और शर्ट बनाने के लिये फैक्ट्री का नहीं, हेण्डलूम के बने कपड़े का इस्तेमाल करते है। उनका मकसद है कि इससे सभी को रोजगार मिलता है और सामग्री गुणवत्ता उच्च कोटि की होती है। मेला पूरी तरह निःशुल्क है और सुबह 11 बजे से रात्रि 09 बजे तक आम जनता के लिये खुला है।